कहा जाता है कि देश की राजधानी दिल्ली में प्रतिवर्ष पांच लाख लोग आकर बस जाते हैं.
जाहिर है जब दूसरे राज्यों से लोग यहां आकर बसते हैं तो उनकी सालभर आवाजाही अपने मूल शहर में होती रहती है. इसका अंदाजा त्योहारों, खासकर होली, दिवाली और छठ पूजा के दौरान राजधानी के प्रमुख स्टेशनों नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, सराय रोहिल्ला, आनन्द विहार और हजरत निजामुद्दीन स्टेशनों पर उमड़ने वाली भीड़ से लगाया जा सकता है. यही कारण है कि त्योहारों के दौरान रेलवे को भीड़ प्रबंधन के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा ट्रेनों का इंतजाम करना पड़ता है. लेकिन मौजूदा संसाधनों के बीच इतनी भीड़ का प्रबंधन आसान नहीं है. यही कारण है कि राजधानी के प्रमुख स्टेशनों पर उमड़ने वाली भीड़ के मद्देनजर ही नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली के अलावा अन्य प्रमुख स्टेशनों के विकास का सपना देखा गया है लेकिन आलम यह है कि यह सपना तभी सच होगा जब विकास के लिए पर्याप्त धनराशि मिलेगी.
नई दिल्ली स्टेशन के विकास को चाहिए 50 करोड़ रुपए
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के विकास कार्यो को पूरा करने के लिए सरकार ने पिछले बजट में 28 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे. इसमें से विकास कार्य के लिए रेलवे को सिर्फ 18 करोड़ रुपए ही मिले. इतनी कम धनराशि से काम तो शुरू हुआ, पर वह पूरा नहीं हो सका. अब इसे पूरा करने के लिए 50 करोड़ रुपए की दरकार है. अगर यह राशि मिली तो इससे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर एक पर एक वेटिंग हाल बनाया जाएगा. यह बेटिंग हाल यहां के प्लेटफार्म नम्बर एक पर स्थित रेल डाक सेवा (आरएमएस) की जगह बनना है और आरएमएस को इसी स्टेशन के आखरी छोर पर बनाया जाना है.
आरएमएस कार्यालय को शिफ्ट करने का का काम शुरू हो चुका था लेकिन धन के अभाव में यह काम रोक दिया गया. इसी तरह प्लेटफार्म नम्बर एक से 16 को जोड़ने के लिए बनाए गए फुटओवर व्रिज (एफओबी) को प्लेटफार्मों से जोड़ने के लिए छह स्वचालित सीढ़ियां बनाई जानी हैं लेकिन यह काम भी धन की कमी की वजह से अभी तक शुरू भी नहीं हो पाया है.
इस स्टेशन के एक ही प्लेटफार्म पर स्वचालित सीढ़ियां लगी हैं जो प्लेटफार्म नम्बर 14 व 15 के यात्री इस्तेमाल करते हैं. आरक्षण केन्द्र का पुनरोद्धार किया जाना है. सर्कुलेटिंग एरिया को बेहतर बनाया जाना है. सभी प्लेटफार्मों पर ट्रेनों के आवागमन के बारे में जानकारी देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक चार्ट लगाया जाना है. अभी सिर्फ प्लेटफार्म नम्बर एक और 16 नम्बर पर इलेक्ट्रानिक चार्ट उपकरण लगा है. इसके अलावा पहाड़गंज और अजमेरी गेट के बाहरी हिस्से में भी कुछ काम बाकी है.
बिना पैसे के कैसे बनेगा वर्ल्ड क्लास स्टेशन !
यात्रियों की भीड़ को कम करने के लिए सरकार ने विजवासन स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाए जाने का सपना करीब छह वर्ष पहले देखा था. इसके लिए सरकार ने वर्ष 2006-07 में 214 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था जिसे बाद में बढ़ाकर 225.59 करोड़ कर दिया गया.
इस धन से इस स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाया जाना था, लेकिन पैसे की किल्लत ने वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाए जाने के सपने को सपना ही बना दिया है. यहां पर एक मेगा टर्मिनल बनाया जाना था. एक लूप लाइन, एक प्लेटफार्म बनना था. तीन वाशिंग लाइन, तीन गुड्स लाइन बनानी थीं. इसके अलावा सर्विस बिल्डिंग, बुकिंग आफिस, ऑपरेशन विल्डिंग, मेन लाइन को छोटी लाइन से जोड़ने के लिए फुटओवर ब्रिज बनना था. इस स्टेशन के बनकर तैयार होने के बाद यहां से पश्चिम की ओर जाने वाली ट्रेनों का परिचालन किया जाना था, लेकिन अभी तक इस स्टेशन के लिए जमीन तक का अधिग्रहण नहीं हो पाया है. इसके अलावा सबसे बड़ी समस्या फंड की कमी का है.
पैसे की कमी से रुका पड़ा है निर्माण
सराय रोहिल्ला स्टेशन के लिए 10 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे. इस रकम से यहां पर चार और पांच नम्बर प्लेटफार्म का निर्माण किया जाना था. न्यू रोहतक रोड और ओल्ड रोहतक रोड की तरफ से इंट्री रोड बनाया जाना था. विवेकानंदपुरी हाल्ट पर दो मंजिला रेलवे स्टेशन बनना था. किशनगंज की ओर से आने वाली सड़क पर फुटओवर ब्रिज (एफओबी) बनना है. लिवर्टी सिनेमा की तरफ सराय रोहिल्ला की तरफ आने वाली सड़क को प्लेटफार्म से जोड़ने के लिए एक फुटओवर ब्रिज बनना था. इस पर दो करोड़ की राशि खर्च होनी थी. पूर्व डीआरएम अश्वनी लोहानी ने मौके का मुआयना तक कर लिया था लेकिन धन की कमी की वजह से यह काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है. इस स्टेशन से अभी 64 ट्रेनों का परिचालन हो रहा है. पिछले वजट में चार और ट्रेनों को यहां से चलाए जाने की घोषणा हुई थी. अभी इस स्टेशन से बिहार और जयपुर की ओर जाने वाली ट्रेनों का परिचालन हो रहा है. पिछले वजट में इस स्टेशन के विकास कार्य को पूरा करने के लिए महज एक करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे लेकिन मिला कुछ भी नहीं. अभी पिछले वर्ष इस स्टेशन से जयपुर के लिए एसी डबल डेकर ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ है लेकिन इस स्टेशन तक पहुंचने के लिए अभी भी लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
उद्घाटन से आगे नहीं बढ़ा पुनरोद्धार कार्य
शकूर बस्ती रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाने पर 111 करोड़ रुपए खर्च होने थे. वर्ष 2011-12 के बजट में सरकार ने इसके लिए केवल 12.31 करोड़ रुपए ही जारी किए. पिछले वर्ष के बजट में इस स्टेशन को विकास कार्य के लिए मात्र 3.85 करोड़ रुपए मिले. इस धन से यहां काम का श्रीगणोश तो हुआ पर वह आगे नहीं बढ़ पाया.
इस समय स्टेशन के विकास कार्य को पूरा करने के लिए 111 करोड़ रुपए की दरकार है जबकि जिस वर्ष इस स्टेशन को विकसित किए जाने की योजना बनी थी, उस समय इस पूरे प्रोजेक्ट पर 111 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान था. रेलवे स्टेशन की पुरानी बिल्डिंग को तोड़कर यहां पर एक नई बिल्डिंग बनाई जानी है, जो बन तो गई है, पर पूरी तरह से अभी तक तैयार नहीं है. इसी तरह स्टेशन के रानीबाग वाले हिस्से को मादीपुर की तरफ बन रही वाशिंग लाइन से जोड़ने के लिए एक एफओबी बनना है, जिसकी लंबाई करीब 60-70 मीटर है. इस एफओबी का सिर्फ काम ही शुरू हुआ है. रानीबाग साइट के काम को पूरा करने के लिए 38 करोड़ रुपए की जरूरत थी लेकिन फंड ने विकास कार्य पर ब्रेक लगा दिया है. मादीपुर साइड में बन रही बाशिंग लाइन भी धन की कमी की वजह से बीच में ही रुकी हुई है. इस स्टेशन से अभी 14 जोड़ी ईएमयू, नौ पैसेंजर, 13 मेल एक्सप्रेस और तीन एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं. इस स्टेशन पर अभी कुल तीन प्लेटफार्म हैं, जिन्हें बढ़ाकर छह किया जाना है. स्टेशन के बनने के बाद यहां से जयपुर और बिहार की तरफ जाने वाली ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा.
विकास और बेहतरी के लिए धन तो लगेगा ही
उत्तर रेलवे दिल्ली मंडल के रेल प्रबंधक (डीआरएम) अनुराग सचान का मानना है कि जहां भी विकास कार्य होने हैं, उसके लिए जाहिर तौर पर धन की जरूरत तो होगी ही. जिस तरह से धन का आवंटन हो रहा है उस हिसाब से विकास कार्यो को पूरा कराया जा रहा है. दिल्ली में यात्रियों की भीड़ को देखते हुए सभी प्रमुख स्टेशनों पर विकास के लिए व्यापक योजनाएं बनाई हुई हैं और उन पर सिलसिलेवार ढंग से काम भी चल रहा है. मौजूदा स्थिति में निर्माण कार्य की रफ्तार को संतोषजनक कहा जा सकता है. कार्य में और तेजी लाने की दिशा में कई और कदम उठाए जाएंगे. उम्मीद है कि दिल्ली में रेलवे के विकास कार्यो की जरूरत के मुताबिक धन भी मिलेगा.