नरेंद्र मोदी इसी सप्ताह देश की कमान थाम लेंगे। अपने पूर्णकालिक प्रचारक रहे मोदी को पूर्ण बहुमत के साथ साउथ ब्लॉक भेजने के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कोशिश रहेगी कि उसके कोर मुद्दों पर नई सरकार गंभीरता से अमल करे। हालांकि माना जा रहा है कि अब संघ के सांस्कृतिक मुद्दों को तो तरजीह मिल सकती है, लेकिन मोदी विवादित मुद्दों से दूर ही रहेंगे।
संघ के कोर मुद्दों में एक देश एक कानून का मामला प्रथम स्थान पर रहा है। यानी एक समान नागरिक संहिता, कश्मीर से धारा 370 खत्म करना और अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण, लेकिन यह साफ है कि विकास और सुशासन के मुद्दे पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले मोदी अभी इन विवादित मुद्दों को किसी भी हालत में नहीं छुएंगे।
वैसे संघ भी इन मुद्दों से पहले निर्मल व अविरल गंगा और गायों का संरक्षण सुनिश्चित करने के साथ ही धर्मांतरण पर लगाम कसना चाहेगा। संघ धर्मांतरण खासतौर पर आदिवासी क्षेत्रों में हो रहे धर्म परिवर्तन के सख्त खिलाफ रहा है। गुजरात समेत भाजपा शासित कई प्रदेश पहले ही धर्मांतरण रोकने के लिए कानून बना चुके हैं। इसलिए अब धर्मांतरण के लिए विदेशों से आ रहे पैसे पर निगरानी हो सकती है।
इतना ही नहीं, शरद को मुख्यमंत्री आवास के बाहर और अंदर दोनों ही जगह भारी विरोध भी झेलना पड़ा। विधायक दल की बैठक में शामिल होने जा रहे शरद को सीएम आवास के सामने जदयू कार्यकर्ताओं ने घेर लिया और उनके विरोध में जमकर नारेबाजी की। सुरक्षाकर्मियों की मदद से वह अंदर जा सके।
अंदर बैठक जैसे ही शुरू हुई सबसे पहले शरद ही निशाने पर आए। विधायकों ने बैठक में उनकी उपस्थिति पर सवाल उठाया।
बैठक से पहले ही शरद यादव के इस बयान से विवाद खड़ा हो गया कि नीतीश दोबारा सीएम नहीं बनेंगे। बाहर से समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक दुलाल चंद गोस्वामी ने बताया कि बैठक में एक भी नेता ने नीतीश के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा। विधायकों ने व्यक्तिगत तौर पर नीतीश को इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाने की कोशिश की।
इसके बावजूद जब वह नहीं माने तो विधायक वहीं धरने पर बैठ गए। अंत में नीतीश ने इसके लिए 24 घंटे की मोहलत मांगी और इसके बाद सोमवार को फिर से विधायक दल की बैठक बुलाने का फैसला हुआ। बकौल गोस्वामी इस दौरान नीतीश भावुक थे। मगर ऐसा लगता है कि वह मान जाएंगे।