रक्षा बजट के लिए 2 लाख, 3 हजार, 672 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि रक्षा जरूरतों के लिए पैसों की कमी आड़े नहीं आएगी.
पिछले साल का रक्षा आवंटन एक लाख 93 हजार 460 करोड रूपये था.
वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने 2013-14 का आम बजट पेश करते हुए लोकसभा में कहा कि रक्षा आवंटन में 86, 741 करोड रूपये का पूंजी व्यय शामिल है.
उन्होंने रक्षा मंत्री एके एंटनी की तारीफ करते हुए कहा कि मेरे सहयोगी रक्षा मंत्री अत्यधिक सूझ बूझ वाले रहे हैं और मैं उन्हें और सदन को आश्वासन देता हूं कि देश की सुरक्षा में किसी अतिरिक्त आवश्यकता को पूरा करने में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी.
चिदंबरम ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए 6275 करोड रूपये, अंतरिक्ष विभाग को 5615 करोड रूपये और परमाणु ऊर्जा विभाग को 5880 करोड रूपये के आवंटन का प्रस्ताव किया.
सेना को पैसे की सख्त जरूरत
भारतीय थल सेना के टैंकों के लिए भारी मात्रा में गोला बारूद की जरूरत है. टैंकों के लिए नाइट विजन डिवाइस की जरूरत है. अभी महज 40 फीसदी टैंकों में ही ये सुविधा है. इसके अलावा एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम भी आवश्यक है. तोपखाने की मजबूती दरकार है. सेना को 400 लाइट वेट होवित्जर तोप चाहिए.
इसके अलावा पहाड़ों पर चढ़ सकने वाला वाहन माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स भी चाहिए. थल सेना को दो लाख कारबाइनों और 1500 मशीनगनों की भी जरूरत है. इस सूची में 197 हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टरों की जरूरत भी शामिल है.
इसी तह वायुसेना को 126 बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान रफायल की जरूरत है. इसकी तैनाती पाकिस्तान और चीन की सीमा पर की जानी है. वायुसेना सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों का बेड़ा बढ़ाना चाह रहा है. साथ ही प्रशिक्षण विमान भी चाहिए.
इसके अलावा वायु सेना मिराज 2000 श्रेणी के 49 लड़ाकू विमानों का उन्नतीकरण भी कराना चाहता है. विमानों के अलावा वायुसेना को 300 हेलीकॉप्टर की भी जरूरत है.
नौसेना को 6 नई पनडुब्बियां चाहिए. उसे युद्धपोतों में बराक मिसाइल चाहिए. इसके अलावा मल्टी रोल हेलीकॉप्टर और टोही विमानों की भी उसे जरूरत है.
रक्षा के क्षेत्र में रिसर्च के लिए डीआरडीओ को भी ज्यादा धन चाहिए.
सेना के तीनों अंगों में हजारों पद खाली
सेना के तीनों अंगों में अफसरों और जवानों के हजारों पद खाली पड़े हुए हैं. रक्षामंत्री एके एंटनी ने कुछ दिन पहले लोकसभा में जानकारी दी थी कि थल सेना में अफसरों के 10 हजार 100 और जवानों के 32 हजार 431 पद खाली हैं.
वहीं नौसेना में अफसरों के 1 हजार 996 और जवानों के 14 हजार 310 पद खाली हैं. जबकि वायुसेना में अधिकारियों के 962 और एयरमैन के सात हजार पद खाली हैं.
इतना ही नहीं सेना के अधिकारियों और जवानों के समय पूर्व रिटायरमेंट लेने में भी बढ़ोतरी हुई है. इसमें भी नौसेना और वायु सेना की तुलना में थलसेना से वीआरएस लेने वालों में तेजी दिखाई दे रही है.
आंकड़ों पर नज़र डालें तो 2012 में थलसेना के 10 हजार 81, नेवी के 170 और एयरफोर्स के 571 अधिकारियों और जवानों ने वीआरएस लिया है.