इस पल का इंतजार अरसे से था। अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों को नेगेटिव वोट का अधिकार दे दिया है, जिससे उन्हें चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को खारिज करने का विकल्प मिल गया है।
इस फैसले से उन लोगों को वोट डालने का प्रोत्साहन मिलेगा, जो उम्मीदवारों से संतुष्ट न होने की वजह से मतदान केंद्र नहीं जाते।
शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और मतदाता पत्र में उम्मीदवारों की सूची में सबसे नीचे ‘ऊपर में से कोई नहीं’का विकल्प दे।
‘बढ़ेगी चुनावों की विश्वसनीयता’
प्रधान न्यायाधीश पी सथाशिवम की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि नेगेटिव वोटिंग से चुनावों की शुद्धता और विश्वसनीयता बढ़ाने का मौका मिलेगा।
साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोग मतदान में हिस्सा लेंगे। जो लोग दावेदारों से खुश नहीं होंगे, वे उन्हें खारिज कर अपना मत सामने रखेंगे।
पीठ ने कहा कि नेगेटिव वोटिंग से चुनावी प्रक्रिया में व्यवस्थागत बदलाव आएगा, क्योंकि सभी राजनीतिक दलों को चुनावों में साफ छवि वाले उम्मीदवारों को उतारने पर मजबूर होना होगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नेगेटिव वोटिंग की अवधारणा 13 मुल्कों और यहां तक कि भारत में भी कायम है। जब सदन में किसी विषय पर मतदान होता है, तो सांसदों को गैर-हाजिर रहने का विकल्प भी मिलता है।
‘खारिज करना मौलिक अधिकार’
शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनावों में उम्मीदवार खारिज करने अधिकार, मौलिक अधिकार है, जो संविधान के तहत भारतीय नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत मिला है।
हालांकि, यह व्यवस्था देते हुए पीठ ने यह नहीं बताया कि अगर ‘कोई नहीं’के तहत पड़ने वाले मत, उम्मीदवारों को मिलने वाले वोट से ज्यादा होते हैं, तो ऐसी स्थिति में क्या होगा। पीठ ने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि इस श्रेणी के तहत पड़ने वाले वोट की गोपनीयता बनाई रखी जाएं।
यह आदेश पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबरटीज (पीयूसीएल) की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया गया, जिसने अर्जी दी थी कि मतदाताओं को नेगेटिव वोटिंग का अधिकार मिलना चाहिए।
‘अपराधी नेताओं पर लगाई थी पाबंदी’
हालिया फैसला चुनावी प्रक्रिया पर शीर्ष अदालत की ओर से दिए जाने वाले आदेशों के सिलसिले में नई कड़ी है। इससे पहले न्यायालय ने ऐसे नेताओं के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई थी, जो हिरासत में हैं।
शीर्ष अदालत का कहना है कि जो सांसद और विधायक गंभीर अपराध के दोषी ठहराए जाते हैं, वे अयोग्य रहेंगे। हालांकि, इसका तोड़ निकालने के लिए सरकार एक अध्यादेश लाई है, जिस पर अभी विवाद जारी है।
जेडीयू ने फैसले का किया स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जनता दल (यूनाइटेड) ने स्वागत किया है। राज्यसभा सांसद केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू इस फैसले का स्वागत करती है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पूरी तरह देखने के बाद ही उनकी पार्टी कोई प्रतिक्रिया देगी।
फैसले से ‘आप’ खुश
आम आदमी पार्टी ने भी फैसले का स्वागत किया है। पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कहा कि अन्ना हजारे ने कहा था कि मेरी अगली लड़ाई ‘राइट टू रिजेक्ट’ और ‘राइट टू रिकॉल’ की होगी। हमारी पार्टी इस फैसले का तहेदिल से स्वागत करती है।