मंगलवार को किसान आंदोलन द्वारा डेरा डालो घेरा डालो कार्यक्रम के लिए बड़े किसान संगठनों और राजनीतिक दलों के नेताओं को कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया था। जिले के आसपास के सभी किसान संगठन और सभी प्रमुख राजनैतिक दल के बड़े नेता मौजूद थे । जिनमे आरएलडी और समाजवादी पार्टी के कई नेता आंदोलन में मौजूद रहे ऐसे में जिला कांग्रेस के बड़े नेताओं की अनुपस्थिति से कई प्रश्न खड़े हो गए है ।
किसान आंदोलन में मौजूद कई लोगों ने बताया कि जिला कांग्रेस अब बस नाम की रह गई है यहां पर कांग्रेस का जनता में जनाधार नहीं है । कुछ ऐसे नेता जिले में नेता बने हुए है जो जिले के अलावा बाकी पूरे देश में अपनी पहचान दिखाने में लगे रहते हैं किंतु जिला स्तर पर होने वाले आम आदमी की समस्याओं से जुड़े आंदोलन में उनकी उपस्थिति नगण्य में रहती है ।
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इतने बड़े आंदोलन से नोएडा और दादरी के विधायक प्रत्याशियों का मौजूद न रहना भी कांग्रेस की 2024 की तैयारी पर प्रश्न चिन्ह लगाता है और यह भी बताता है कि यहां मौजूद नेताओं में अगर यह सीट कांग्रेस के हिस्से में आती है तो उसके पास से चुनाव लड़ने के लिए कोई ऐसा नेता मौजूद नहीं है जो वर्तमान में भाजपा से टक्कर ले सके ।
स्थानीय नेताओं पर कांग्रेस नेतृत्व ने कभी नहीं किया भरोसा
इसे स्थानीय नेताओं की अक्षमता ही कहेंगे कि 2012 से ही कांग्रेस ने जब भी किसी को टिकट दिया तो वह बाहरी व्यक्ति ही रहा है । क्योंकि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी यह मानकर चलता है कि जिले में मौजूद संगठन के नाम पर बने यह नेता ना तो कांग्रेस के लिए काम कर पा रहे हैं ना ही कांग्रेस के किसी चुनाव में अपने प्रदर्शन को सही से रख पा रहे हैं ।
स्मरण रहे कि कांग्रेस ने नोएडा से अब तक विभिन्न चुनावों में रमेश चंद तोमर, डॉक्टर वीएस चौहान, अरविंद कुमार सिंह और पंखुड़ी पाठक जैसे बाहरी लोगों को ही टिकट दिया है। बताया जाता है कि संगठन की निष्क्रियता के चलते ही पंखुड़ी पाठक को छोड़कर बाकी सभी लोग भाजपा में जा चुके हैं।
पंखुड़ी पाठक 2022 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ी हैं वह दिल्ली की रहने वाली हैं इससे पहले वह समाजवादी पार्टी में शामिल थी वहां हुए विवाद के बाद उनके पास कांग्रेस के अलावा कोई ऑप्शन नहीं था और यही बात फिलहाल उनके भाजपा में न जाने के लिए भी कही जाती है बताया जाता है कि स्थानीय संगठन की कमजोर हालत के चलते पंखुड़ी पाठक भी नोएडा में कम और उसके अलावा पूरे भारत में ज्यादा दिखाई देती है ।
ऐसे में मूल प्रश्न फिर से वही आता है कि कांग्रेस के स्थानीय नेताओं की अक्षमता का असर कहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नीत गठबंधन I*N*D*I*A इस के चुनावी रथ को रोकने पर तो नहीं पड़ जाएगा या फिर समाजवादी पार्टी और आरएलडी अपनी अपनी मजबूती दिखाते हुए गौतम बुद्ध नगर पर अपना दावा ठोक देंगे। इस दावे के साथ जहां एक और उनको यहां सीट मिल जाएगी वहीं कांग्रेस जिला संगठन के नेताओं को भी बिना काम करे अपनी राजनीति करने का मौका मिलता रहेगा ।