राजेश बैरागी । हकदार और उम्मीदवारों के बीच भोजन मंत्र बहुत लोकप्रिय हो चला है।आर एस एस द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मन्दिरों में छात्रों को भोजन से पहले भोजन मंत्र का उच्चारण करना सिखाया जाता है।आर एस एस के ब्रह्मांड की कक्षा में प्रवेश पाने के इच्छुक अभ्यार्थियों को यह मंत्र अवश्य सीख लेना चाहिए। संस्कारहीन व्यक्ति समाज में उज्बक समान दिखाई पड़ता है।
सूत्र बता रहे हैं कि गृहमंत्री ने भोजन करने के पश्चात डकार नहीं ली थी। हकदार और उम्मीदवारों के लिए डकार न लेने के अलग-अलग मायने हैं। हकदार के समर्थक मान रहे हैं कि गृहमंत्री को भोजन इतना पसंद आया कि उन्होंने भोजन की महक को भी बाहर निकलने नहीं दिया, इसलिए डकार नहीं ली। उम्मीदवारों का ऐसा मानना नहीं है। उन्हें लगता है कि भोजन गृहमंत्री को पसंद नहीं आया।वे भोजन से संतुष्ट नहीं थे।
असंतुष्ट व्यक्ति जो गृहमंत्री भी हो,भला डकार कैसे ले सकता है। हालांकि राजनीति के जानकार और कथित रूप से स्वयंभू विद्वान इसे कहावतों और मुहावरों से जोड़ रहे हैं।उनके अनुसार धीर गंभीर लोग डकार नहीं लेते हैं। धीर गंभीर को सामान्य बोलचाल की भाषा में शातिर भी कहा जाता है। सबकुछ खाकर, सुनकर अंदर ही अंदर पचा जाना, कुछ भी न उगलना उनकी विशेषता होती है।
देश के गृहमंत्री को ऐसा ही होना चाहिए।उनके पास देश दुनिया की न जाने कितनी गोपनीय जानकारी आती हैं। पश्चिम बंगाल, मणिपुर में जो हो रहा है, उसकी समस्त जानकारी उन्हें है। परंतु मजाल है जो जरा भी डकार ले लें। तो गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट पर हकदार और उम्मीदवारों को ही कैसे स्पष्ट कर जाते कि लड़का पसंद आया या नहीं। ब्याह की चिट्ठी जिसके घर पहुंचेगी, मालूम हो जाएगा कि अगला दूल्हा कौन बनेगा। परंतु तब तक हकदार और उम्मीदवारों को चैन मिले तो कैसे।बात भोजन मंत्र से प्रारंभ हुई थी। मालूम हुआ है कि हकदार की भोजन रणनीति से प्रभावित होकर उम्मीदवारों ने भी भोजन मंत्र का जाप शुरू कर दिया है।वे गृहमंत्री के समान आभा वाले अपने संपर्क के शीर्ष भाजपा नेताओं की रुचि का खाना ऑनलाइन भिजवाने की तैयारी कर रहे हैं ।