ग्रेटर नोएडा में बहुचर्चित बागेश्वर धाम वीरेंद्र शास्त्री के श्रीमद् भागवत कथा के बाद मलमास में अब श्री रामभद्राचार्य नोएडा के स्टेडियम में 9 दिन श्री राम कथा सुनाएंगे । यह कथा 27 जुलाई से शुरू होकर 4 अगस्त प्रतिदिन 3 बजे से 7 बजे तक चलेगी जिसमे लगभग 50,000 श्रद्धालु प्रतिदिन रामकथा का रसवादन करेंगे ।
कथा का आयोजन श्री राम राज फाउंडेशन और हनुमान सेवा न्यास के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है आयोजक मंडल में आज कथा से संबंधित सभी जानकारियों के लिए प्रेस वार्ता की प्रेस वार्ता के दौरान संस्था की ओर से हिमांगी रघुवंशी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि इसके लिए लगभग 100 X 500 फीट का वॉटरप्रूफ पंडाल (जर्मन हैंगर ) लगाया जा रहा है । पंडाल में श्रद्धालुओं के लिए सभी व्यवस्थाएं की जा रही हैं जिससे वहां बैठने वालों को कोई असुविधा ना हो । महिला और पुरुष दोनों ही अलग-अलग बैरिकेट्स के अंदर आराम से बैठ सकेंगे।
अब नोएडा में श्री राम भद्राचार्य सुनाएंगे श्री राम कथा, जानिए क्या, कहां, कैसे ?
— NCRKHABAR (@NCRKHABAR) July 22, 2023
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कौन हैं रामभद्राचार्य ?
स्वामी रामभद्राचार्य जी का जन्म 14 जनवरी 1950 को, उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के सांडीखुर्द गांव में हुआ था। उनका जन्म मकर संक्रांति के दिन हुआ। इनका परिवार एक सरयूपारीण ब्राह्मण परिवार था। स्वामी जी के पिता का नाम पंडित राजदेव मिश्र और उनकी मां का नाम शची देवी मिश्र था। इनकी माता दी एक धार्मिक महिला थी। स्वामी रामभद्राचार्य ने 2 महीने की उम्र में ही, अपने आंखों की रोशनी खो दी थी। 24 मार्च 1950 को, उनकी आंखें ट्रेकोमा से संक्रमित हो गई थी। गिरधर जी की इच्छा को समझकर। उनके पिताजी ने उन्हें, एक नेत्रहीन बच्चों के विशेष स्कूल में भेजने का विचार किया। लेकिन उनकी मां ने यह कहकर मना कर दिया। कि वहां नेत्रहीन बच्चों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया जाता।
कुछ वर्षों के बाद, स्वामी जी ने चित्रकूट में, एक तुलसी पीठ की स्थापना की। जो एक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान है। जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के 14 वर्षों में से 12 वर्ष व्यतीत किए थे। तुलसी पीठ की स्थापना के 1 वर्ष बाद, पंडित गिरधर मिश्रा को जगद्गुरु रामानंदाचार्य उपाधि से सम्मानित किया गया।
तब से उनका नाम जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज पड़ गया। जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने सन 2001 में, विकलांग बच्चों के निशुल्क शिक्षा के लिए निर्णय लिया। जिसके तहत स्वामी जी ‘जगतगुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय’ की स्थापना की।
इस विश्वविद्यालय में नेत्रहीन विकलांग बच्चों को स्नातक में B.Sc, B.Ed, B.Tech तथा परास्नातक में M.A, M.Ed, MBA और कंप्यूटर कोर्सेज में BCA, MBA, MCA तथा PhD तक की शिक्षा निशुल्क दी जाती है। स्वामी जी मानते हैं कि विकलांग हमारे भगवान हैं। हमारा जीवन विकलांगों, धर्म और प्रेम भक्ति को समर्पित है।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा न्यायालय में राम जन्मभूमि के शास्त्रीय साक्ष्य
राम जन्मभूमि के मामले में, न्यायालय ने पूछा कि क्या रामलला के जन्म का वेदों में प्रमाण है। अयोध्या का कोई प्रमाण है। तब देश के सभी धर्माचार्यों ने न्यायालय में जाने से मना कर दिया। उस वक्त स्वामी जी ने न्यायालय में पत्र लिखकर, साक्ष्य देने के लिए कहा। न्यायालय ने कहा कि आप बिना देखे कैसे साक्ष्य देंगे।
न्यायाधीशों ने पूछा कि क्या राम जन्म भूमि का वैदिक प्रमाण उपलब्ध है। तब रामभद्राचार्य जी ने उन्हें अथर्ववेद दिखाया। कि अथर्ववेद के दशम कांड के, 31 में अनुवाक्य के, दूसरे मंत्र में प्रमाण उपलब्ध है। जो इस प्रकार है-
अर्थात वेदों में स्पष्ट कहा है कि 8 चक्र वाली, 9 द्वार वाली वह अयोध्या, राम जन्मभूमि से 300 धनुष उत्तर में, सरजू नदी विराजमान है। रामभद्राचार्य जी ने 441 साक्ष्य प्रस्तुत किये। जब वहां खुदाई की गई। तो 437 साक्ष्य स्पष्ट निकले। उनमें से केवल 4 अस्पष्ट थे। लेकिन वह भी रामलला के ही प्रमाण थे।
इसे न्यायालय ने स्वीकार किया। वही सुप्रीम कोर्ट में भी जब निर्णय आ रहा था। तब 8 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज अशोक भूषण जी ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई से कहा। कि निर्णय देने पहले, एक बार जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी का बयान पढ़ लिया जाए। जिसे पढ़ने पर दशा और दिशा दोनों बदली।