25 जून रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा प्राधिकरण के 14 सौ करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया इस कार्यक्रम का आयोजन नोएडा प्राधिकरण में किया था जिसको लेकर अब लगातार विवाद बढ़ते जा रहे हैं अभी तक इस कार्यक्रम के लिए आयोजन में नोएडा प्राधिकरण द्वारा किए गए सवा करोड़ रुपए के टेंडर को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे ।
किंतु अब नोएडा प्राधिकरण के 14 करोड़ की परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और जिले के सांसद विधायक एमएलसी तथा स्थानीय भाजपा संगठन के जिला अध्यक्षों को बुलाने के अलावा विपक्ष के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को अनदेखा करने के आरोप प्राधिकरण के सीईओ रितु माहेश्वरी पर लग रहे हैं । सामाजिक कार्यकर्ता इसे प्राधिकरण द्वारा लोकतंत्र के नियमों को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं लोगों के अनुसार एक स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष की मजबूत भूमिका रहती है ऐसे में प्रशासन द्वारा उनको कार्यक्रमों में अनदेखा करना आपातकाल की याद दिलाता है और यह सब ऐसे दिवस में हुआ जिस तिथि (25 june ) को इसके लिए खास तौर पर याद किया जाता है
नोएडा में हुए इतने बड़े कार्यक्रम में प्राधिकरण पर सत्ता पक्ष के अधिकारियों को ही निमंत्रण भेजने के आरोप लग रहे हैं ऐसे में विपक्ष कार्यक्रम में हुए भ्रष्टाचार और अपनी अनदेखी के बाद लगातार यह प्रश्न उठा रहा है कि क्या नोएडा में सिर्फ भाजपा के नेताओं को ही वीआईपी एंट्री मिलेगी ? क्या नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब कार्यक्रमों के आयोजन में सिर्फ सत्ता पक्ष के नेताओं को बुलाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेंगे ।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा समेत पूरे जिले में विपक्ष के किसी भी नेता को निमंत्रण ना मिलने के बाद एक नेता ने चुटकी लेते हुए एनसीआर खबर को बताया कि जब भाजपा के अंदर ही इतने पक्ष बन गए हैं कि वह मुख्यमंत्री की सभा में अपनी-अपनी गुटबाजी के जरिए कार्यक्रम को (अ)सफल बनाने की कोशिश में लगे थे तो आयोजन कर्ता प्राधिकरण विपक्ष को क्यों बुलाता ? ऐसा लगता है कि भाजपा की आंतरिक गुटबाजी के चलते प्राधिकरण ने उनको ही पक्ष विपक्ष मानकर निमंत्रण दे दिए ।
जनसभा के बाद मुख्यमंत्री की एक बैठक जीबीयू में जिले के स्थानीय नेताओं से होनी थी जो किसानों और फ्लैट बायर्स के मुद्दे पर लगातार लड़ाई लड़ते रहते हैं किंतु यहां भी ऐसे नेताओं को प्रमुखता दी गई जो घोषित तौर पर भाजपा के नेताओं से संबंध रखते हैं । इस बात को लेकर अब लगातार रितु माहेश्वरी पर प्रश्न उठ रहे हैं और यह कहा जा रहा है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी होने के नाते वह जनता की जगह सिर्फ सरकार की कठपुतली बन कर काम कर रही है ।
ऐसे में यक्ष प्रश्न अब यह भी है कि लोकतंत्र को तोड़ने को लेकर प्राधिकरण अधिकारियों पर लग रहे आरोपों के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री कुछ कार्यवाही करेंगे या फिर लोकतंत्र के इस टूटते भरोसे को धृतराष्ट्र की तरह सहमति दे देंगे