उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की 2022 -23 की स्थानांतरण नीति को मंजूरी देते हुए 30 जून तक स्थानांतरण करने का लक्ष्य रखा है । नई नीति सिर्फ 2022- 23 के लिए ही प्रभावी है इसके तहत 30 जून तक ट्रांसफर पोस्टिंग किया जा सकता है जिसके बाद नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना में जमे अधिकारियों के दिलों की धड़कने बढ़ी हुई हैं ।
स्थानांतरण को लेकर जिले के अंदर क्लास वन से लेकर क्लास 4th के कर्मचारियों में खुशी और गम का माहौल है इसी बीच 22 तारीख जून को रिश्वत के एक वीडियो वायरल होने के बाद उत्तर प्रदेश के 1 पीसीएस अधिकारी को पद से हटा दिया गया इसके साथ ही अन्य 2 पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ 19 में ऑफिस बैंक में जांच भी शुरू कर दी । साथ ही नोएडा प्राधिकरण के भी एक चर्चित ओएसडी को एडीएम बलरामपुर बना दिया गया । माना जा रहा है लगभग 80 पीसीएस के स्थानांतरण 30 जून तक होने है । अब लोग तो पता नहीं किस किस के स्थानांतरण की आशा लगा रहे है
खैर अब सारी समस्या नोएडा प्राधिकरण में उक्त अधिकारी के अभी तक यहां डटे रहने से है नोएडा प्राधिकरण में एक कहावत है कि नोएडा प्राधिकरण जगह ही ऐसी है जो ना छोड़ी जाए । पूर्व में भी यहां कई अफसर ट्रांसफर होने के बावजूद यहां जमे रहे हैं और लगातार उनके लिए समाचार प्रकाशित हुए हैं ।और समाचार प्रकाशित होने से होता ही क्या है । अब प्राधिकरण में लोग चर्चा कर रहे है कि आखिर किस जुगाड़ के बलबूते साहब अभी तक जमे हुए है । कहीं ऐसा तो नहीं 30 जून तक फाइनल लिस्ट का इंतजार है और फिर इसे रुकवाने का जुगाड़ शुरू किया जाएगा । तो कइयों को लगता है कि स्थानांतरण पालिसी बस दिखावा है असल तो शीर्ष अधिकारी के आशीर्वाद का खेल है अगर वो जमी रही तो साहब शायद ही जाए ।
वहीं उनके जाने की दुआ मना रहे लोगो की धड़कने अलग रुकी हुई है कि कहीं साहब फिर से ना जाए । प्राधिकरण में कहावत है अधिकारी/अफसर अगर जम जाए तो बाबुओं की रोटी खाने लगता है । और अगर 30 जून तक भी ना हिले तो उनको हिलाना मुश्किल होगा । खैर हमे क्या हम तो बस किस्से सुनते है और सुनाते है ।