मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली पटियाला कोर्ट ने सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की हुई तो स्टडी प्रवर्तन निदेशालय को 10 जुलाई तक के लिए दे दी है । आपको बता दें सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आरके अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मंगलवार देर रात गिरफ्तार किया था
जानकारी के अनुसार अरोड़ा की करीब 440 करोड रुपए की संपत्ति भी अटैच की गई है गिरफ्तारी से पहले 3 दिन तक आरके अरोड़ा से लंबी पूछताछ की गई आरके अरोड़ा पर आरोप है कि उन्होंने अपने फ्लैट खरीदारों से पैसे तो लिए लेकिन में मकान नहीं दिए जिसके बाद पीड़ितों की शिकायत पर दिल्ली यूपी और हरियाणा में कई मामले दर्ज किए गए इन्हीं मामलों के आधार पर एजेंसी ने money-laundering का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी
कौन है आर के अरोड़ा ?
आरके अरोड़ा दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के रियल एस्टेट कारोबारी हैं वह रियल एस्टेट ग्रुप सुपरटेक लिमिटेड के मालिक हैं अरोड़ा ने 34 कंपनियां खड़ी की हैं यह कंपनियां कंसल्टेंसी, सिविल एविएशन, ब्रोकिंग, प्रिंटिंग फिल्म्स हाउसिंग फाइनेंस कंस्ट्रक्शन आदि काम करती हैं कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो आरके अरोड़ा ने कब्रगाह बनाने की कंपनी भी खोली हुई है
माना जात है कि ट्विन टावर गिराने के बाद आरके अरोड़ा की स्थिति खराब होने लगी करीब 200 करोड़ से ज्यादा की लागत से बनाया गया था इसमें 711 की फ्लैट की बुकिंग हो चुकी थी इसके लिए कंपनी ने लोगों से पैसे भी ले लिए थे लेकिन जब कोर्ट ने इसे गिराने का आदेश दिया तो सुप्रीम तो बुकिंग अमाउंट और 12% का ब्याज मिलाकर 652 वर्षों के दावे सेटल भी किए गए । जिसमें लगभग 300 लोगों ने रिफंड वापस लिया जबकि बाकी ने मार्केट वैल्यू और ब्याज की रकम जोड़कर सुपरटेक की अन्य परियोजनाओं में प्रॉपर्टी ले ली थी ।
निवेशक खुश पर अनुचित लाभ ले रहे लोग नाखुश
मंगलवार देर रात जब एनसीआर खबर ने सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की गिरफ्तारी की खबर प्रकाशित की तो उसके बाद निवेशकों में खुशी की लहर दौड़ गई लोगों ने सोशल मीडिया पर सुपरटेक के साथ अपने कटु अनुभव लिखे और उनके गिरफ्तार होने को भगवान का न्याय कहा। किंतु चाय से ज्यादा केतली गर्म होती है ऐसा ही सुपरटेक मामले में आरके अरोड़ा के गिरफ्तार होने के बाद भी हुआl सोशल मीडिया पर कंपनी की अधिकृत प्रतिक्रिया कहीं नहीं देखी गई किंतु कंपनी से अनुचित लाभ ले रहे बहुत सारे लोगों ने इस बात के लिए सरकार को कोसना शुरू कर दिया ।
किसी ने इसे चुनाव से पहले सरकार द्वारा बिल्डर से पैसा वसूली का तरीका बताया तो किसी ने नेताओं द्वारा आरके अरोड़ा को बीच भंवर में छोड़ देने के आरोप लगाए किंतु यह सभी लोग यह नहीं बता सके कि जहां एक और सारे निवेशक खुश हैं वहां इनके दुखी होने का व्यक्तिगत रीजन क्या है ?