बैंकिंग का मूल तत्व ही है…. विश्वास ।
साथ ही साथ बैंको का लक्ष्य ये भी होता है की ग्राहकों को आसानी से सुविधा मिले समय की बचत हो और लेनदेन जैसा बताया वैसा ही हो , और गोपनीय भी रहे ।
आप ने बैंक के पास अपने पैसे विश्वास पर ही रक्खे हैं ।
बैंक की दादा गिरी अब चलती नही अब ग्राहकों के साथ , गूगल बाबा बैंक के सब नियम ग्राहक को बता देते हैं ।
गूगल बाबा चलते हैं नेट की पटरी पर उसका इंजन और ईंधन , दोनों ही हैं .. डाटा ।
आप लोगों को लाइन में लगना बिल्कुल पसंद नहीं इसलिए आपको एक मंत्र दे रहा हूँ …,
” लाइन में लगना छोड़िए और ऑन लाइन आइये ..
नेट बैंकिंग अपनाइए !
जब से बैंक अस्तित्व में आये आम जनता का विश्वास उन पर जमता ही गया क्यूंकी ख़ून पसीने की गाढ़ी कमाई वहाँ सबसे ज़्यादा सुरक्षित रहती थी ।
चोरी डकैती चकारी का डर नहीं था ऊपर से ब्याज का फ़ायदा भी और शाखाएं गाँव गाँव खुलने लगी थी । बैंक के कर्मचारी भी अपनी मिलनसारिता और मेहनत के कारण गाँव देहात में अपना रसूख रखते थे ।
आपको जान कर आश्चर्य होगा कि एक जमाना था जब गाँवों देहातों में लड़की वाले बैंक मैनेजर को होने वाले दामाद की जानकारी दे कर राय लेते थे ….. बैंक घर घर का हिस्सा बन चुके थे । अपवादों की बात नही करूँगा ये जीवन के हर क्षेत्र में होते हैं ।
वो भी ज़माना था जब जनता के खाते मोटे मोटे लेजरों में दर्ज रहते थे .. पन्ना पलटा और खाता सामने ।
पर उस व्यवस्था की अनेक कमियाँ थी ।
बैंक खुलने बन्द होने का समय था ।
दो बजे बैंक बन्द होने के बाद सारा लेनदेन अगले दिन पर टल जाता और इमरजेंसी में अगर पैसों की ज़रूरत आ जाये तो बैंक भी हाथ उठा देते थे … बिहान आवा , कल ही होगा अब तो , कैश बन्द हो गया है ।
मतलब आप ही का पैसा आप ही को नही मिलेगा जब आप को ज़रूरत हो ।
अन्य खाते में पैसे ट्रांसफर करने हो तो भी .. दो बजे बैंक जनता के लिए बन्द हो जाते थे ।
किसी अन्य बैंक के खाते में सीधे पैसा भेजने की कोई व्यवस्था नही थी ।
ड्राफ्ट बनवाओ या चेक काटो और अगले दिन क्लियरिंग लगेगी और चौथे दिन पैसा आएगा ।
कभी कभी खाते के नम्बर में एकरूपता होने से पैसा गलत खाते में जमा या निकल जाता जैसे खाता संख्या एक दो दो शून्य का पैसा खाता संख्या , एक दो शून्य दो में । या जोड़घटा में ही गड़बड़ हो जाये ।
अब हर इंसान का गणित तेज़ नही होता है और आंखें भी कमजोर हो ही जाती गलतियाँ ।
शुक्र है .. ये सब अब इतिहास बन चुका है ।
हर बैंक से लेजर गायब हो गए औऱ कम्प्यूटर महाराज विराज गए । जोड़ घटा एकदम दुरुस्त हो गया और काम मे तेज़ी भी आ गयी ।
नया ज़माना तेज़ गति का है , बुलेट सुपरफास्ट ट्रेन सुगम भी सुरक्षित भी .. समय कीमती होता जा रहा है ।
बैंको ने भी अपना रुख बदला , नब्बे के दशक में राष्टीयकृत बैंको ने खातों को कम्प्यूटर पर लाना शुरू किया ।
सदी के बदलते ही ,अगले चरण में बैंक लाये एटीएम्स , ऑटोमेटेड टेलर मशीन .. अब जनता नगदी को चौबीस घंटे निकाल सकती थी , वो भी बिना बैंक गए ।
उसके अगले चरण में आयी कोर बैंकिंग और सारे एटीएम्स आपस मे जुड़ गए .. पैसा निकालना हो तो किसी भी एटीएम में जाइये निकालिए ।
विदेशों में बैंको द्वारा बैंकिंग की एक बिल्कुल नई परिभाषा लिखी जा चुकी थी …” आपको बैंकिंग चाहिए बैंक नहीं !! “
उनके पास डाटा और नेट की दक्षता आ चुकी थी और लोगों की गोदमे आ बैठे थे लैपटॉप । बस फिर क्या था बैंको ने अपने अपने आय टी नेटवर्क बनाये और दे दिए ग्राहकों को ।
नेट बैंकिंग की क्रांति ने जन्म ले लिया था ।
बैंक की हर सेवा अब या तो एटीएम में आ चुकी थी … या लैपटॉप में !
इतना ही काफ़ी नही था ।
स्मार्ट फ़ोन के वजूद में आते ही ये पता लग गया कि ये यंत्र जनता के लिए किसी …अलादीन के चिराग …से कम नहीं था ।
ज़रा सा स्क्रीन घिसा और मनचाहा काम हो गया ।
एक खाते से दूसरे के खाते में , एक बैंक से दूसरे बैंक के खाते में पैसा जाते ही डिमांड ड्राफ्ट और बैंकर्स चेक और चेकबुक तीनो ने अंतिम साँसे लेनी शुरू कर दीं ।
फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद बनवानी हो , आरडी बनवानी तुड़वानी हो , आरटीजीएस या एनईएफटी करना हो ,चेक बुक मंगवानी हो सब कुछ उंगलियों के इशारों पर होने लगा ।
बैंको ने डाटा सुरक्षा के उपर बहुत ध्यान दिया क्योंकि बैंको का दूसरा महत्वपूर्ण नियम है गोपनीयता ।
आप के खाते की जानकारी किसी अन्य को नही दी जाती , कभी नहीं ।
जैसे गली में चोर उचक्के घूमते हैं वैसे ही हैकर्स ने भी फ्री का माल उड़ाने के जाल बिछा दिए और बैंको ने अपने आई टी को बेहद मजबूत कवच में डाल दिया ।
अनेक ग्राहक झाँसों में आकर पिन नम्बर ही शेयर कर दें तो बैंक क्या करे ?
नेटवर्क बैंकिंग से फिर जुड़ गए मॉल्स , रेलवे , बिजली दफ्तर , टेलीफोन दफ्तर , प्री और पोस्ट पेड़ सिम नेट डाटा सेवाएं .. और फिर तो पूरा बाज़ार ही नेट बैंकिंग के ज़रिए भुगतान पाने लगा … सिस्टम में पारदर्शिता आ गयी और अनेक कम्पनियों पर ताले भी जड़ गए ।
एक कहावत है नगद… काला होता है ।
नेट बैंकिंग को अभी इसी काली दीवार को देश मे ध्वस्त करना है ।
महानगरों में तो पान बीड़ी सिगरेट वाले भी पेटीएम कोड बोर्ड लगाए रहते हैं । नई पीढ़ी के युवाओं को नेट बैंकिंग खूब भा गयी और उन्होंने नगदी को अलविदा कहने की तरफ कदम उठा दिए ।
पुरानी पीढ़ी को ये नेटबैंकिंग कठिन लगती थी पर अब तो वो भी नए रंग में ढल गए ।
अब नेट बैंकिंग के फायदे भी जान लीजिए ..
सारा लेनदेन तुरंत आपकी मर्जी से और आप जब चाहें तब हो जाता है । बैंक की छुट्टी हो तो भो आपके दरवाज़े बन्द नहीं होते ।
आपकी पास बुक भी नेट बैंकिंग में आपके मोबाइल में रेडी रहती हैं ।
आपके खाते में जमा या निकासी की सूचना आपको मेसेज से तुरंत मिल जाती है ।
खाते के पूरे रेकॉर्ड्स अब आपकी मुट्ठी में होते हैं ।
कारोबार पर नज़र रखना बेहद आसान हो गया है ,किसने पैसा जमा नही किया है इसका सबूत लेने बैंक नही जाना पड़ता ।
घर बैठे ही बैंक की तमाम सेवाएं आपको नेट बैंकिंग प्रदान कर देता है ।
बैंक आपको मेल्स भी भेजता रहता है समय समय पर जिससे आपको नियमो में आए बदलावों की जानकारी मिलती रहती है ।
पैसे देश के किसी भी बैंक के किसी भी खाते में मिनटों में जमा करवाए जा सकते हैं ।
लाइन में खड़े होना ,धक्के खाना छुट्टी ले कर बैंक जाना ये सब हमेशा के लिए ख़त्म हो चुका है ।
आपको कितना ब्याज किस खाते में कब मिला सब दर्ज है । आयकर रिटर्न्स भरने में बेहद आसानी हो गयी है ।
रोजमर्रा से जुड़ी तमाम ज़रूरतों वाली सेवाओ का भुगतान आप घर बैठे कर लीजिये ।
बैंको ने अपने अप्पीकेशन्स आपको मुफ्त में प्रदान कर के आप के मोबाइल में बैंकिंग सुविधाएं ला दीं ।
खास तौर से गृहणियों को इस नेट बैंकिंग ने बहुत आराम दिया , उनकी बहुत सारी परेशानियां दूर कर दी ।
अब उन्हें भरी गर्मी जाड़े या बरसात में घर बन्द कर के बैंक नही जाना पड़ता ।
बाज़ार भी जुड़ गए नेट से तो सारी पसंदीदा खरीदारी घर बैठे भी होने लगी ।
गैस की बुकिंग और भुगतान भी नेट बैंकिंग से कितनी आसान हो गई ।
किट्टी पार्टी का चंदा भी अब मांगने जाना नही पड़ता सब नेट बैंकिंग से आ जाता है ।
राखी हो या तीज , करवा चौथ हो या भाई दूज , नए डिजाइन्स के उपहार , नकली गहने , ड्रेसेज , साड़ियाँ कपड़े सब कुछ नेट बैंकिंग से घर पर आ जाते हैं ।
अनेक स्कूलों में फीस भी ऑन लाइन जमा होती है और पार्लर वाली भी पेमेंट नेट से ले लेती है ।
गंदे कटे फटे और फर्जी नोटों से भी निजाद मिल गयी , इससे देश को भी फ़ायदा होता है और फर्जीवाड़े में लगे लोगों पर लगाम भी लगती है ।
छुट्टे नहीं हैं , या खुल्ले दीजिये की नौटंकी भी बंद ।
नेट बैंकिंग की ख़रीदारी से देश को भी कर आसानी से मिल जाता है और देश का कोष कल्याणकारी योजनाओं में धन व्यय करने के लिए समृद्ध होता है ।
तमाम ब्रांडेड प्रोडक्ट्स ने नेट बैंकिंग को अपना अस्त्र बना कर ऑन लाइन शॉपिंग को खूब घरों तक कोरियर करना शुरू कर दिया ।
भुगतान सामान मिलने पर ही नेट बैंकिंग से ही ।
मोबाइल जेब मे हो तो कुछ भी मुश्किल नही .. पेटिएम जैसे अनेक एप्पलीकेशन ने बैंकिंग और इतर सेवाओं को आपस मे जोड़ कर बेहद सरल और सुरक्षित भी किया ।
क्या आपने कभी सुना कि नेट पर आपने रेल टिकट बुक किया और आपका नाम गायब हो चार्ट से या किसी और का चढ़ा हो ।
एप्लिकेशंस नेट की वजह से एक दूसरे से जुड़े होने से ग़फ़लत खत्म हो गयी और पारदर्शिता आ गयी ।
जैसे चोरों को घर मे घुसने के लिए छेद या सेंध की मदद लेनी पड़ती है , वैसे ही हैकर्स की सेंध होती हैं ओटीपी , पिन नम्बर , एटीएम कार्ड आदि ..
ये अगर हाथ लगा तो आपने चाभी ही दे दी चोर के हाथ , फिर कैसी शिकायत ।
कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें नेट बैंकिंग से परेशानी है ।
इन्हें काले धन से प्यार है इसलिए लेनदेन खाते से हो … इन्हें पसंद नहीं ।
बहुत भारी संख्या में छोटे और मझौले व्यापारी अभी भी नेट बैंकिंग से कन्नी काटे हुए हैं ।
दलीलें सुनिए .. हम गरीब आदमी हैं , अनपढ़ दिहाड़ी वाले हैं , हम धंधा करें या मोबाइल चलाये, या हमे आता ही नहीं नेट बैंकिंग ,या जब पीछे से नगद बेचा जा रहा तो हम कैसे खाते से बेंचें ?
यकीन मानिए ये व्यापारी न तो जीएसटी देते है और आय कर की भी चोरी करते हैं !
आज नहीं तो कल इन्हें भी नेट बैंकिंग से जुड़ना ही पड़ेगा … नई पीढ़ी आ रही है जिसे सेवाएं चाहिए तुरंत , विश्वसनीय और एकदम सरल ।
व्यापार का भविष्य भी नेट बैंकिंग ही है , बैंक के करंट एकाउंट में रोज़ भारी भरकम कैश ले जाना , लाइन में लगना बहुत जल्दी इतिहास की बात हो जाएगी ।
सरकार के पास भी अनेक डिजिटल एप्पलीकेशंस आ गए हैं जिसके जरिये ऐसे चोरों को पकड़ना आसान हो गया है ।
कम्प्यूटर कुछ भी नहीं भूलता इसलिए इंसान की याददाश्त भी कमज़ोर होने लगी है ।
इसको दूसरे रूप में देखें तो इंसानी दिमाग की मेमरी फ़्री हो गयी है ताकि वो दूसरे उत्पादक और सार्थक बातों में दिमाग चला सके ।
नेट बैंकिंग तो अब ज़माने की ज़रूरत बन गयी है .. एकदम सरल त्वरित औऱ सबसे बड़ी बात … विश्वसनीय और चौबीस घंटे की सेल्फ सर्विस ।
नेट से … कर लो बैंकिंग मुट्ठी में !
निरंजन धुलेकर ।