राजेश बैरागी । कविवर रहीम को मनुष्य के लिए पानी के साथ नमक को भी बराबर महत्व देना चाहिए था। बिन नमक जीवन कितना बेस्वाद हो जाएगा, यह केवल एक समय के भोजन में नमक न डालकर अनुभव किया जा सकता है।
इतने महत्वपूर्ण नमक को किसी नामचीन कंपनी के नाम से बेचकर आसानी से मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है। यदि यह कार्य किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाए जिसके पुत्र पर सत्तारूढ़ पार्टी का महत्वपूर्ण पद हो तो मामला गंभीर हो जाता है। नोएडा महानगर भाजपा के अध्यक्ष के पिता के विरुद्ध टाटा नमक कंपनी के द्वारा उनके नाम से नकली नमक बेचने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। सत्यता का पता जांच होने पर चलेगा।
परंतु भाजपा महानगर अध्यक्ष द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से स्पष्टीकरण दिया गया है कि किसी अन्य दुकानदार ने उनके पिता के बकाया पैसों के बदले यह नमक भिजवाया था और उनके पिता का उस नमक से कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही उन्होंने अपनी छवि खराब करने के लिए इस मामले को उछालने के लिए अपनी ही पार्टी के कुछ लोगों को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई कराने की बात कही है।
उनके स्पष्टीकरण में स्पष्ट विरोधाभास है। बकाया धनराशि के बदले आए नमक से उनके पिता का कोई संबंध न होने का क्या अर्थ है। क्या वे अपने पिता को इतना सीधा साबित करना चाहते हैं जो एक होलसेल परचून दुकानदार हैं। उनका रिपोर्ट दर्ज होने से रोकने में असमर्थ होना, उनकी पार्टी की सरकार के ईमानदार होने का प्रमाण है और अपने पिता को निर्दोष साबित होने के लिए उन्हें अपनी ही सरकार की पुलिस जांच पर भरोसा रखना चाहिए। हांलांकि नमक को किसी प्रसिद्ध ब्रांड के फर्जी नाम से बेचना और अधोमानक नमक बेचना दो अलग-अलग बातें हैं। इस मामले में दोनों बातें हो सकती हैं।नकली दूध,पनीर,घी,बेसन, खाद्य तेल सहित तमाम अन्य महत्वपूर्ण खाद्य सामग्रियों को धड़ल्ले से बेचा जाता है।
जिला प्रशासन के अभिहित अधिकारी और पुलिस द्वारा इसे रोकने को लेकर की जाने वाली कार्रवाइयों का प्रभाव मात्र प्रतीकात्मक है।हम और हमारी संतानें नकली खाना खाकर जी रहे हैं। ब्रांडेड खाद्य सामग्री को महंगी दरों पर खरीदकर खाने का उद्देश्य यही है कि नकली चीजों के दुष्प्रभावों से बचा जा सके। उसमें भी सेंध लग जाए तो फिर क्या उपाय है? और यह सेंध सत्तारूढ़ पार्टी के लोग लगाएं तो प्रभु श्री राम से ही प्राणों की रक्षा की गुहार लगाई जा सकती है।