राजेश बैरागी । नोएडा महानगर के झुग्गी वासी धीरे धीरे फ्लैट वासी होते जा रहे हैं।उनका नया ठिकाना सेक्टर -122 के चार मंजिला फ्लैट हैं। स्लम से निकलकर नोएडा जैसे नगर में फ्लैट का मालिक होना किसी सपने जैसा है। सपने कभी समाप्त नहीं होते।
झुग्गी वाले फ्लैट में पहुंचकर भी सपने ही देख रहे हैं। उनके सपने जिन खिड़कियों से आते हैं उनके शीशे गायब हैं। फ्लैट के दरवाजे गल कर टूट गये हैं या उनकी चोरी हो गई है। चोरों ने यहां कुछ नहीं छोड़ा। बाथरूम की फिटिंग्स, बिजली की फिटिंग्स,सीवर मेनहोल के ढक्कन, पाइप कुछ भी नहीं।
साढ़े तीन हजार फ्लैटों में एक भी फव्वारे का वॉल्व नहीं बचा है। टाइल्स और दीवारें तोड़कर कंसील वॉल्व निकाले गए हैं। एक वॉल्व हजार से पंद्रह सौ रुपए का आता है। फ्लैट में पहुंचने पर बहुत कुछ अपना सा लगता है।स्लम छोड़कर आए, स्लम ने नहीं छोड़ा।
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी कर्मचारी गजब के हुनरमंद हैं।हर जगह धंधा खड़ा कर लेते हैं। यहां भी धंधा खड़ा हो गया है। खिड़की में कांच लगाने का दाम एक हजार, दरवाजा तीन हजार में, बिजली की फिटिंग पांच छः हजार, पानी की फिटिंग भी इतने में ही होती है।
प्राधिकरण के संविदाकर्मियों की गुंडई के आगे कौन बोल सकता है।जेई, सुपरवाइजर, हेल्पर और ठेकेदार के गुंडों का साथ उठना बैठना है। शिकायत मुख्य कार्यपालक अधिकारी से भी करो, आएगी तो इन्हीं के पास। नोएडा नगर में आकर किस्मत बदल जाने के अनगिनत किस्से हैं।
नोएडा प्राधिकरण में आकर पीढ़ियों का प्रबंध किया जा सकता है।इन चार मंजिला फ्लैटों को बने एक दशक हो चला है। इतने समय तक ये टिके हैं, क्या यह निर्माण गुणवत्ता का प्रमाण नहीं है। प्लास्टर झड़ रहा है, बिजली के पाइपों में तार नहीं घुस रहा है, पानी की फिटिंग लीक होने से दीवारों में ऊपर से नीचे तक सीलन आ रही है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है। झुग्गी वालों की किस्मत पलट गई है।वे झुग्गी से फ्लैट में पहुंच गए हैं। उनके फ्लैटों की हालत झुग्गियों जैसी भी नहीं है। स्लम वालों को और क्या चाहिए।
लेखक नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा के संपादक हैं