जर्जर अस्पताल के शहर में सम्राट की मूर्ति का अनावरण, देखिए राजेश बैरागी की नेक दृष्टि
प्राचीन इमारतों की बुलंदी तत्कालीन सत्ताओं की हनक की गवाह हैं। वर्तमान लोकतांत्रिक युग में इमारतों से ज्यादा मूर्तियों पर जोर लगाया जा रहा है।

अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के बाद आगामी 22 सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस दादरी शहर में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करने आ रहे हैं उस शहर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सरकारी अस्पताल) की इमारत जर्जर हाल में है। इसे बने चार दशक हो गये। इसके साथ बनी दादरी तहसील की इमारत को जर्जर होने के कारण कई वर्ष पहले खतरा मानते हुए खाली कर दिया गया और नयी इमारत बना दी गई।
दादरी सरकारी अस्पताल को इसी जर्जर इमारत में टुकड़े टुकड़े उच्चीकृत किया जा रहा है।तीस से बढ़ाकर पचास बिस्तर किये जा रहे हैं।कोरोना की विभिषिका से सबक लेकर यहां ऑक्सीजन प्लांट लगा दिया गया है। पचास ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी हैं और एक अदद एक्स-रे मशीन भी परंतु चिकित्सकों/विशेषज्ञों के अभाव में ये सब किस काम के। रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में एक्स-रे मशीन शो-पीस मात्र है। यहां कुल 14 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं। इनमें से छः विशेषज्ञ हैं। वर्तमान में यहां केवल चार एमबीबीएस चिकित्सक तैनात हैं जिनमें से आमतौर पर दो ही प्रतिदिन उपस्थित हो पाते हैं और एक भी विशेषज्ञ तैनात नहीं है। सामान्य शल्य क्रिया या शल्य क्रिया के द्वारा बच्चे को जन्म दिलाने के लिए इस अस्पताल के भरोसे लोगों को जिला अस्पताल अथवा निजी अस्पताल भागना पड़ता है।
“बीते दिन एक गरीब महिला सामान्य चिकित्सक से अपनी बहू की प्रस्तावित डिलीवरी की बात करने आई। चिकित्सक ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दृष्टिगत 22 सितंबर के बाद डिलीवरी की व्यवस्था कराने की बात कही। महिला बोली तब करा लूंगी। चिकित्सक ने कहा डिलीवरी ऐसा काम नहीं है जो अपनी मर्जी पर निर्भर हो, इसलिए जिला अस्पताल या कहीं और जाने के लिए भी तैयार रहें।” यहां इलाज की आशा में प्रतिदिन नये पुराने लगभग साढ़े आठ सौ रोगी आते हैं। प्रतिमाह लगभग सौ डिलीवरी केस होते हैं। इमारत की छत में कई जगह सीलन है। परिसर में भी बरसात का पानी भर जाता है।
मूर्तियों के अनावरण को अपने एजेंडे में ऊपर रखने वाले और उनके जाति-धर्म को लेकर दावे करने वाले लोगों को चुनाव के बाद मूर्तियों की याद रहेगी या नहीं परंतु चालीस बरस पुरानी इमारत में इलाज की तलाश में आने वाले लोगों को अस्पताल की इमारत और उसमें तैनात चिकित्सकों की आवश्यकता हमेशा रहती है। मूर्ति अनावरण कार्यक्रम के आयोजन पर वाटरप्रुफ पंडाल से लेकर हेलीपैड बनाने तक लाखों रुपए खर्चे जा रहे हैं। पूरी प्रशासनिक मशीनरी इसी काम में जुटी है। इसके साथ ही पुलिस प्रशासन मुख्यमंत्री के आगमन को देखते हुए अस्पताल में तैनात चिकित्सा कर्मियों के पास बंदूक होने की जानकारी इकट्ठा कर रहा है।
राजेश बैरागी, संपादक, नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा
लेख में दिए विचार से एनसीआर खबर का सहमत होना आवध्यक नहीं है