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5% से कम होने की मिडिल क्लास को इतनी बड़ी सजा मत दीजिये

अब तीसरी वेव का इंतजार है और सामान्य जन की सामान्य जरूरतें भयावह मंजर की पृष्ठभूमि तैयार कर बैठी हुई है क्यों कि बाजार खुलते ही पापी पेट के सवाल पर कल की चिंता में डूबी भूखी भींड किसके सहारे जीवन बचाव का रास्ता चुनेगी ??

आईएमएफ ने भारत की इस वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ 12.5% प्रेडिक्ट की है लेकिन दूसरी वेव से ही स्पष्ट हो गया अब ऐसा नहीं होगा। अर्थशास्त्रियों के मत से इस बार भारत में कुछ सेक्टर में ग्रोथ देखने तो मिलेगी वहीं कुछ सेक्टर ग्रोथ चार्ट में नीचे की ओर जाते दिखाई देंगे। यह पहले लॉक डाउन का कुछ सबक था लेकिन इससे हमने कुछ सीखा ही कंहा ?

लगभग 7.30 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए हैं। देखा गया कि टेक्नोलॉजी फार्मास्यूटिकल और हेल्थ सेक्टर में रिकॉर्ड ग्रोथ हुई है वही वह सेक्टर जो अर्थव्यवस्था के आधार हैं उन में रिकॉर्ड गिरावट देखी जा सकती है। इनफॉरमल सेक्टर और एमएसएमई तो बर्बाद ही हो गए हैं।

सेकेंड वेव में लॉकडाउन या पार्सियल लॉकडाउन लगा इससे हमारी प्रोडक्टिविटी कमजोर हुई और सामाजिक आर्थिक असमानताएं और बढ़ी तो सरकार क्या करना चाहिए ?

पिछली बार सरकार के 20 लाख करोड़ के सहायता पैकेज का कोई लाभ नहीं हुआ। लगभग 30% से अधिक रिटेल दुकानें बंद हो चुकी हैं।

इस बार सरकार को डायरेक्ट कैश ट्रांसफर करना चाहिए। अब यहां पर वह समय आ चुका है जब सरकार को इंडिविजुअल या इंस्टीट्यूशनल लेवल पर कैश देना चाहिए तभी डिमांड बढ़ेगी और जब डिमांड बढ़ेगी तभी ग्रोथ संभव है। सरकारी उपक्रमो के डेवलपमेंट से बाजार की पूर्ति असंभव है।

लगभग डेढ़ साल होने को है, सरकार ने एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ का पैकेज तय किया था जिसे बैंक अभी तक वह नहीं बांट पाए है। कारण शायद एमएसएमई अवेयर नही या संतुष्ट नहीं है और हालात भी कह ही रहे कि डिमांड नहीं है तो लोन लेकर क्या करेंगे ??

इस सेकंड वेव में यंगर पापुलेशन ज्यादा प्रभावित रही।युवा तो इकोनामी की जान होता है वह बाहर निकलेगा ही ऐसे में सिर्फ एक रास्ता है वैक्सीन। युवा आबादी को वैक्सीनेट करने के साथ ही सरकार को उन सेक्टर में जॉब क्रिएट करनी चाहिए जहां मैक्सिमम ग्रोथ और मुनाफा है। इस परिस्थितियों में सरकार को युवा को रोजगार गारंटी देनी चाहिए।

कुछ तो गड़बड़ है, या तो सरकार मिडिल क्लास को गरीबों की श्रेणी में मान चुकी है या उसे निश्चित ही इस टैक्स पेयर वर्ग की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं है क्यों कि उसे लगता है कि ये तंत्र के भय से कुछ नही कहेंगे और झख मार ये सरकार के साथ ही जिएंगे और मरेंगे।

वैक्सिनशन पर राज्य वर्सेज केंद्र की रार खत्म हुई। 80 करोड़ लोगों को दीपावली तक मुफ्त राशन मुहैया कराने की मुहिम अच्छी है। टैक्स पेयर मिडिल क्लास को पुनः निराशा ही हाथ लगी। बिना किसी आह्वाहन देशहित में अधिकतर मिडिल क्लास अपना वैक्सीन खरीद कर लगवाया/लगवाएगा। इस वर्ग को न रोटी मुफ्त चाहिए न वैक्सिन मुफ्त।

सरकार से निवेदन है अपने थोक वोटरों को चाहे लालकिला दे दीजिए या ताजमहल दे दीजिये लेकिन मिडिल क्लास जो अपनी किस्तें तक नही दे पा रहा है, वेतन न मिलने से परेशान है, पेट्रोल महंगा होने से बाइक तक नही निकाल पा रहा है उनपर भी कुछ मेहरबानी कर दीजिए प्रभु क्यों कि इन्होंने भी आपको ही वोट दिया था। संख्या बल में 5 प्रतिशत से कम होने की इतनी बड़ी सजा मत दीजिये।

शरद सिंह की फेसबुक वाल से

NCRKhabar Mobile Desk

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