आंकलन के अनुसार उत्तरप्रदेश के 95 प्रतिशत कायस्थ ओबीसी दर्जा दिए जाने के खिलाफ है : अंबुज सक्सेना

हम लोगो को कायस्थ ओबीसी आरक्षण विरोधी विचारधारा के लोगो को एकत्रित करना होगा। और कायस्थ ओबीसी आरक्षण के विरोध में मज़बूती प्रदान करनी होगी । जो समर्थक है उनको समझाना होगा । ये मौका अगर चला गया तो फिर आने वाली कायस्थों की पीढ़ियां बहुत कष्ट झेलेंगी । उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब होगी और सामाजिक ताना बाना खत्म हो जायगा क्योंकि अधिकतर कायस्थ गरीब है मेहनत से पढ़ाई करते हैं ये लोग ओबीसी का 27 प्रतिशत का मोह त्यागे और 50 percent के जनरल मे ही रहे पूरी जानकारी का अभाव होने के कारण ये लोग अवसर का लाभ नहीं उठा पाते हैं, अपनी बुद्धि और कौशल का उपयोग नही कर पाते जिससे कायस्थ समाज का विकास नही हो पाता ।हम लोगो को 10 percent EWS भी मिला हुआ है उसका पूरी तरह से उपयोग करो

अभी तक के आंकलन के अनुसार उत्तरप्रदेश के 95 प्रतिशत कायस्थ ओबीसी दर्जा दिए जाने के खिलाफ है सिर्फ प्रयागराज के कुछ समाजवादी कायस्थ इसको लेकर शोर मचा रहे है । अगर अधिकतम कायस्थ एकजुट होकर ओबीसी आरक्षण का विरोध करते है तो कोई भी शक्ति हमारे मनोबल को तोड़ नही सकती ।

उत्तर प्रदेश के कायस्थ कैसे कायस्थ रहेगा


उत्तर प्रदेश का कायस्थ ओबीसी होगा और अन्य भारत के कायस्थ जनरल होगे ओबीसी कायस्थों मे वो लोग भी शामिल हो जायेगे जो भुर्जी , नाई कायस्थ है.. फिर OBC मे सारे कायस्थ होगे उत्तर प्रदेश के चाहे वो कोई भी कायस्थ हो इससे हमारी बंगाल बिहार और other जगह से एकता खत्म हो जाएगी. ..क्योकि up वाले कायस्थ ओबीसी बाकी स्टेट के जनरल …..इससे हमारी एकता को भी खतरा होगा …


बिहार का जनरल कायस्थ कैसे उत्तर प्रदेश के ओबीसी कायस्थ से रिश्ता जोड़ेगा… सामाजिक ढांचा पूरी तरह से ध्वस्त हो जायगा और फिर एक दिन ऎसा आयगा कि ओबीसी कायस्थों को अपदस्थ कर दिया जायगा

EWS सवर्ण जाति आरक्षण ही उत्तम है कायस्थों के लिए, 10% से 20% करवाने में ऊर्जा शक्ति ऊर्जा लगाएं और लगवाएँ


जो लोग अपने घरों में कूप मंडूक बन के पड़े हुए हैं, वो लोग ही समर्थन में हैं, और उनको जरा सा भी फर्क़ नहीं पड़ने वाला की वो सवर्णों की गिनती में आते हैं या पिछड़ी जाति में , आने वाली पीढ़ी को क्या जवाब देंगे?? हम क्या थे , हमारा अस्तित्व क्या था समाज मे हमारी क्या हिस्सेदारी थी, क्या बताएंगे अपने बच्चों को।


जिसको समाज में उठना बैठना है उसे फर्क़ पड़ेगा । इस बात को आप सभी मान जाइए की पैसा कमाना , नौकरी पाना ही सब कुछ नहीं होता. पैसा तो एक वैश्या भी कमाती है। समाज में आज जो इज्जत मिल रही है वो भी मिलना बंद हो जाएगी , नौकरी चाकरी तो मिलने से रही । . हमे अपने स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं करना है. तथा जो भी समर्थन करेगा उसका बहिष्कार मैं तो पक्का करूगा । जो अपने मान सम्मान और इज्जत को ना बचा सके, वो मेरी सूची से बाहर हो जाएंगे. We don’t want reservation

कायस्थ भिखारी नहीं कि किसी की खैरात के भरोसे रहे। हममें से बहुतों ने जीवन में बहुत बुरे दिन भी देखे हैं और उनका डट कर मुकाबला भी किया है। कभी किसी के आगे न हाथ फैलाया और न कभी फैलाएंगे। जिन्हें कायस्थ को पिछड़ा बनाना है, वो पहले स्वयँ को दलित पिछड़ा भिखारी मानने की सार्वजनिक पोस्ट करें।
सिंधी मारवाड़ी सिख लोग नौकरी के चक्कर में क्यों नही पड़ते कायस्थ ही क्यों नौकरी के चक्कर में रहते हैं

अपनी प्रतिष्ठा, ज्ञान, गौरवशाली अतीत , श्रेष्ठ होने का भाव, और समाज में प्राप्त उच्च स्थान को ध्यान में रखें। क्षणिक लाभ के लिए अपने पुरुखों का नाम मिट्टी में मत मिलाएं।
महाराणा प्रताप सैकड़ों वर्षों के बाद भी इसलिए महान और पूजनीय हैं , क्योंकि उन्होंने घास की रोटी खाना तो पसंद किया, पर मुगलों की गुलामी नही की🙏🙏
एक पुरानी कहावत है अपने बाप से बाप कहनेमेहीभलाईहै
जय चित्रगुप्त जी की ।

अंबुज सक्सेना

लेख में दिए विचार लेखक के है उनसे सहमत होना आवश्यक नही है