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सामाजिक चर्चा : कोविड कब होगा अंतर्ध्यान जब घर में काम करने वाली बाई को दोगे वैक्सीन का ज्ञान – अशोक श्रीवास्तव

अशोक श्रीवास्तव । अभी भी हम लोग कोरोना का वज्रपात देख रहे हैं, इस महामारी ने लाखों को लील लिया है और यह कब तक चलेगा किसी को पता नहीं, अनुमान कितने भी लगा लो लेकिन सब धरे के धरे रह जाते हैं. अब मेहनत कर कर के हमारे कुशल वैज्ञानिकों द्वारा इसका तोड़ यानी कोरोना को भारत में जड़ से निर्मूल करने के लिए वैक्सीन खोज भी ली है और उसके टीकाकरण का अभियान भी तेजी से चल रहा है ताकि हम सबकी जान बचे और सुरक्षित रह सकें । इसमें कोई शक़ नहीं अपने देश भारत में ही निर्मित यह वैक्सीन काफी कारगर साबित हुई है और लोगों का विश्वास भी बड़ता जा रहा है इसलिए अब टीकाकरण केन्द्रों पर लम्बी लम्बी लाइन देखि जा रही हैं. कई स्थानों पर टीका लगाने के लिए धुप में कई घंटो तक इंतज़ार करना पड़ता है और कई जगह कई कई दिन भी लग रहे हैं ।

साथ में सरकार ने इसको अपने टीकाकरण केन्द्रों पर मुफ्त लगाने की मुहीम चलाई हुई है, इसके लिए रोजाना बड़े बड़े विज्ञापन अनेक माध्यमों से आ रहे हैं ताकि हम सब जागरूक होकर इस भीषण महामारी से निजात पाएं ताकि अभी जो जीवन की चाल ढाल बदल गयी है वो फिर से वापस आ जाए ताकि सभी के चेहरों पर वही ख़ुशी और सुकून दिखाई दे जो आज से 17 महीने पहले था । प्रयास सभी कर रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जो शायद सफल नहीं बनाना चाहते या फिर अपनी अज्ञानता से या कहें जान बूझ कर इस टीकाकरण के बारें में भ्रान्ति फ़ैलाने में लगे हुए है जिससे यह अभियान कहीं कहीं धीमा पड़ता दिखाई देता है, और इसका सबसे बड़ा शिकार है जो हमारे घर में काम करने वालर लोग जो निरक्षर हैं, ज्यादा पड़े लिखे नहीं हैं और धर्म, जाती इत्यादि के साथ वैक्सीन से होने वाले नुक्सान की लम्बी फेहरिस्त जिसमे कोई सच्चाई नहीं है बता कर गुमराह कर रहे हैं, इसमें बडी संख्या में घर में काम करने वाली बाई है, जिनको यह बता दिया है की अमुक धर्म में यह नाजायज़ है, इससे मौत हो जाती है, आदमी नपुंसक बन जाते हैं और भी ऐसे कई गलतफहमी वाली बातें जिसके कारण यह बाई लोग इन सब से डर कर दूर भाग रही हैं यदि आप प्रयास करें तो यह अपने गाँव जाने की धमकी देने लगती है, कमाल की बात यह है की जो लोग इनको भड़का रहे हैं वो ही आजकल वैक्सीन लगवाने के लिए प्रशासन से झगड़ा कर रहे हैं अब उनको अपनी जिंदगी बहुत प्यारी दिख रही है और उनको इस पर विश्वास कैसे आ गया है यह तो पता चलता है, जब मौत सामने हो तो सब वैक्सीन सबसे प्यारी हो चली है. लेकिन जो ज़हर इस वैक्सीन के विरुद्ध इन कामगारों दैनिक मजदूरों के दिमाग में घर कर गया है, और यदि यह हटा कर इनको वैक्सीन के लिए प्रेरित नहीं किया तो कोरोना को निर्मूल करने का अभियान सुस्त पड जाएगा और कोरोना की चेन नहीं टूट पायेगी जिससे यह फिर से हमला कर सकता है


इसके लिए अब जिन घरों में यह बाई लोग काम कर रही है अब उनकी यह ज़िम्मेदारी बनती है की अच्छी तरह से समझा बुझा कर, उनके मन से भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास करें, उत्साह बढाएं, कुछ उदाहरण दिखाइए जिनके वैक्सीन लगी है और वो बिल्कुल ठीक ठाक हैं, अपने साथ टीकाकरण केंद्र लेकर आयें ताकि उनका हौसला बड़े. इसके साथ सामाजिक स्तर पर अनेक जगहों पर इन लोगों को प्रेरित करने का कार्य प्रारंभ होगया है, कहीं पर टीका लगाने वाले को एक सप्ताह के राशन देने की व्यवस्था है तो कहीं मोबाइल रिचार्ज का ऑफर दिया गया है, अनेक सामजिक संस्थाओं ने भी कमर कास ली इस वर्ग को कोविड वैक्सीन के प्रति शिक्षित और जागरूक करने की नोएडा में ही अनेक सामाजिक संस्थाएं स्लम एवं ग्रामीण क्षेत्र में पूरी जिम्मेदारी के संग लोगों को जागरूक कर रही हैं, इसमें आप भी देखें की आपके घर में काम करने वाले लोगों ने वैक्सीन लगवाई है की नहीं या कहीं फैलाये गये झूठ का शिकार तो नहीं हो गये हैं, यदि ऐसा है तो उनकी इस अज्ञानता को दूर करें ताकि देश एवं समाज की भलाई में वो अहम योगदान दे पाएं . ऐसा करने से आप भी देश के प्रति अपने कर्तव्य का बाखूभी निर्वहन कर इस कोरोना को अंतर्ध्यान करने में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे.

लेखक सामाजिक कार्यकर्ता है

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