राघवेंद्र रविश राय गौड़ । आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष ये तिथि 20 जुलाई, 2021 को आ रही हे ! इसी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है। अगले चार मास (आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष एकादशी से शुरू होते हैं और कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि तक रहते हैं ।
इस साल चातुर्मास का आरंभ 20 जुलाई 2021 से हो रहा है. जो 14 नवंबर 2021 तक चलेंगा ) इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य विवाह आदि नहीं किया जाता।
मान्यता है कि, इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में योगनिंद्रा में शयन करते हैं और फिर चार माह बाद उन्हें उठाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी तिथि से भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय होती है।
इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की तुलसी दल से सहस्तरचन पूजन करनी चाहिए।
देवशयनी एकादशी मुहूर्त-
- एकादशी तिथि प्रारम्भ – जुलाई 19, 2021 को 09:59 रात्री
- एकादशी तिथि समाप्त – जुलाई 20, 2021 को 07:17 संध्या
- एकादशी व्रत पारण- जुलाई 21, 05:36 ए एम से 08:21 प्रातः
देवशयनी एकादशी पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को एकादशी को अन्न का भोग नही लगता । भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।