आप सबको नए वर्ष की शुभकामनाए । ऐसे संदेश आपको बीते 2 दिनों से बहुत आ रहे होंगे लेकिन ग्रेटर नोएडा वेस्ट में लोगो के पास बीते साल हाशिए पर गए एक संगठन अध्यक्ष का “नमस्कार में अरविंद केजरीवाल बोल रहा हूं” स्टाइल में एक लंबा बधाई संदेश आया जिसके बाद लोगो को आज कल प्रचलित गाना याद आ गया है और लोग पूछ रहे है कि पता नहीं जी कौन सा नशा करता है खुले आम ये एनजीओ वाला एक विधायक का पी आर करता है। छुप छुप कर पी आर वाले दिन चले गए ट्विटर/व्हाट्स ऐप पर खुले आम वो पी आर करता है
कुछ महीनों पहले फीस मुद्दे पर 2022 में यहां के विधायक को हराने का ट्वीट करने वाले इस संगठन के अध्यक्ष के पत्र के एक ओर जहां लोग मजे ले रहे हैं वहीं यहां के स्थानीय विधायक को तो समझ नहीं आ रहा कि इस समाज सेवी स्वयंभू अध्यक्ष के मुताबिक अगर कोराना में लोगो की मदद बाहर के विधायक ने करवाई तो फिर ये बेचारे इसकी एनजीओ को पत्र काहे लिख कर दिए थे । आखिर क्यों उन्होंने इसकी संस्था को खाने के पैकेट दिलवाए। उन्होंने काहे इसके लिए सड़को के बनवाने के पत्र लिखे।
कमाल की बात ये है कि कोरोना काल में सरकारी टेस्टिंग के नाम पर भी ये एनजीओ के अध्यक्ष महोदय अथार्टी के आपने चहेते अधिकारी को उसका श्रेय देना नहीं भूले जबकि सबको पता है कि यूपी मे उस टेस्टिंग के आदेश मुख्यमंत्री योगी ने दिए थे जिसके बाद पूरे प्रदेश में समूह बना कर घर घर टेस्टिंग हुई।ऑर बड़ी बात ये है कि टेस्टिंग के आदेश डीएम स्तर पर दिए गए थे जिसमे आदेश पत्र डीएम के आदेश पर एसडीएम द्वारा जारी किए गए। लेकिन मामला अगर किसी खास विधायक और खास अधिकारी की चापलूसी और प्रमोशन करने का हो तो कभी बार एसोसिएशन कभी स्कूल एसोसिएशन के नाम पर हैश टैग चलाने वाले इस एनजीओ वाले के बारे में बस लोग यही गाना लगातार गाए जा रहे हैं कि पता नहीं जी कौन सा नशा करता है
सुनने में आ रहा है कि स्थानीय विधायक की समझ नहीं आ रहा है कि आगे से वह इस एनजीओ के किसी काम के अनुरोध पर सहयोग करें या ना करें क्योंकि पी आर तो यह क्षेत्र के बाहरी विधायक का ही करेंगे स्थानीय विधायक पहले ही अपने क्षेत्र में दूसरे विधायक के हस्तक्षेप को लेकर कई बार प्रदेश स्तर पर शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन विधायक की मजबूरी ये भी है कि विधायक के अपने खास लोग इस संगठन में प्रमुख पदों पर हैं ऐसे में वह काम कराने के समय आ जाते हैं और पी आर के समय नाम दूसरे विधायक का हो जाता है । वैसे कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि गौतम बुध नगर के तीनों विधायकों का शायद ही टिकट दोबारा रिपीट हो इसलिए सभी विधायक ऐसे छोटे-मोटे एनजीओ वालों को पाल रहे हैं ताकि निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी से लड़ने की दशा में वहीं के सहारे कुछ वोट का जुगाड़ कर सकें।
बहराल आप साल की पहली बारिश में चाय ऑर पकोड़े खाइए और फिर से बस गाना सुनिए पता नहीं जी ….