कृषि काननों पर हो रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर है। कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि किसानों को प्रदर्शन का हक है, लेकिन ये कैसे हो इसपर चर्चा हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि हम प्रदर्शन के अधिकार में कटौती नहीं कर सकते हैं। केवल एक चीज जिस पर हम गौर कर सकते हैं, वह यह है कि इससे किसी के जीवन को नुकसान नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम कृषि कानूनों पर बने गतिरोध का समाधान करने के लिए कृषि विशेषज्ञों और किसान संघों के निष्पक्ष और स्वतंत्र पैनल के गठन पर विचार कर रहे हैं। सीजेआई ने आगे कहा कि आप इस तरह से शहर को ब्लॉक नहीं कर सकते और न ही हिंसा भड़का सकते हैं।
अदालत ने पूछा कि कितने लोगों ने सड़कें ब्लाक की हैं, इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, कानून व्यवस्था में इस तरह के बंद की कोई नजीर नहीं है। मेहता ने कहा कि सरकार ने सड़के बंद नहीं की हैं, यह सड़के पुलिस ने बंद की हैं क्योंकि किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि आप ही एक ऐसी पार्टी है जो वास्तव में जमीन पर हैं। किसानों को सड़कों से हटाने के लिए रिशभ शर्मा और रीपक कंसल ने याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि सड़कें बंद होने की वजह से एंबुलेंस भी नहीं जा पा रही हैं।