कोरोना से लड़ाई में बीते 200 दिनों में अनगिनत नायक दिल्ली एनसीआर में उभर कर आए। लेकिन इस कोरॉना में ऐसे भी लोग सामने आए जिन्होंने नायक की नई परिभाषा लिखी। कोरोना में रोजगार /नौकरी खत्म हो जाने पर खुद से ही नई राह नया रोजगार शुरू करने वाले नायकों को एनसीआर खबर असली नायक मानता है ऐसे ही नायकों की अनकही कहानियां हम एनसीआर खबर पर ला रहे है । कुछ नायक हमने चुने है कुछ की जानकारी आप देंगे ताकि हम सभी नायकों को आप तक पहुंचा सके I आज की कड़ी में हम आपको बता रहे हैं कोरोना में नौकरी जाने पर खुद से चाय बेचने का काम शुरू करने वाले महेंद्र वर्मा की
लॉकडाउन में इनकी नौकरी गई। इसके बाद उन्होंने चाय बेचनी शुरू कर दी। आज वो इससे ही अच्छे खासे रुपये कमा ले रहे हैं। इतनी रकम वो नौकरी के दौरान नहीं कमा पाते थे।
ये कहानी है दिल्ली के रहने वाले 40 वर्षीय महेंद्र वर्मा की। लॉकडाउन से पहले वो नौकरी करते थे। इसमें उन्हें 10-12 हजार रुपये मिलते थे। आज वो टिकरी बॉर्डर के इलाके में चाय बेचते हैं। वो साइकिल पर ही चाय बेचने का काम करते हैं। अब वो इससे 40 हजार रुपये महीना कमा ले रहे हैं।
कहते हैं जहां चाह वहां राह महेंद्र वर्मा के अनुसार पहले एक महीने वो पैदल काम करते थे तब उनके पास सिर्फ एक मामूली थर्मस था। फिर उन्होंने एक कोल्ड ड्रिंक बॉटल की ट्रे साइकिल पर बांधी। दो महीने से साइकिल पर काम कर रहे हैं उन्होंने बताया कि शुरू शुरू में तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जैसे-जैसे ठंड बढ़ी, काम चल पड़ा
परिवार ने जताई आपत्ति पर अब सब खुश
शुरू-शुरू में तो उनके परिवारवालों ने चाय के काम को लेकर आपत्ति जताई थी। महेंद्र ने बताया कि उनके तीन बच्चे हैं, बड़ी लड़की कॉस्मेटिक सेक्टर में काम कर रही है। उसे एक कंपनी में भर्ती कराने के लिए पचास हजार रुपए का कर्ज लिया था। पत्नी घर में ही सिलाई का काम करती हैं। शुरू में बच्चों को लगा था कि पापा चाय कॉफी बेचने का काम करेंगे। यहां तक कि पत्नी को भी ऐतराज था कि लोग हंसेंगे, क्या कहेंगे? करो तो भी कहेंगे, ना करो तो भी कहेंगे लेकिन अब जब उनकी कमाई धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है तो सबको अच्छा लगता है
कोरोना के संकट के बीच भी महेंद्र वर्मा ने खुद को पुनः अपना व्यवसाय शुरू कर खुद को साबित किया बल्कि दूसरो के लिए भी प्रेरणा बने है। एनसीआर खबर उन्हें कोविड के नायक सम्मान से सुशोभित कर गर्व महसूस कर रहा है