साल का ये आखिरी चंद्र ग्रहण रोहिणी नक्षत्र व वृष राशि पर लगेगा।
उपच्छया चंद्रग्रहण का समय
प्रथम स्पर्श : 30 नवम्बर को दोपहर 01 बजकर 05 मिनट पर।
परमग्रास : 03 बजकर 12 मिनट दोपहर तक
अंतिम स्पर्श : 05:23 मिनट सायंकाल तक।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा साल का अंतिम चंद्रग्रहण एक उपछाया चंद्रगहण होगा। चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रबिंब कहीं से भी अंधकार मय नहीं होगा बल्कि चंद्रमा की आभा कुछ समय के लिए मलिन हो जाएगी। अक्सर जब चंद्रग्रहण लगता है तो पहले चंद्रमा इस स्थिति से गुजरता है फिर चंद्रमा का बिंब काला दिखने लगता है। लेकिन इस ग्रहण में चंद्रमा का बिंब काला होने से पहले ही ग्रहण समाप्त हो जाएगा। इसलिए इसे ग्रहण नहीं उपछाया ग्रहण कहा जाएगा। यह चंद्रग्रहण भारत के कई हिस्सों में चंद्रोदय से पहले ही समाप्त हो जाएगा इसलिए देश के कुछ हिस्सों में जहां चंद्रोदय शाम 5 बजकर 23 मिनट से पहले होगा वहां ग्रस्तोदय के रूप में चंद्रग्रहण देखा जा सकेगा। अन्य स्थानों पर इस ग्रहण को लोग देख नहीं पाएंगे।
30 नवंबर को इस साल का चौथा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इससे पहले इसी साल 10 जनवरी को पहला चंद्र ग्रहण लगा था, फिर 5 जून को दूसरा चंद्र ग्रहण लगा और उसके 1 महीने बाद 5 जुलाई को तीसरा चंद्र ग्रहण लगा । अब 30 नवंबर को चौथा और अंतिम चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। वर्ष 2020 में कुल 6 ग्रहण का योग था, जिनमें चार चंद्रग्रहण और दो सूर्य ग्रहण शामिल हैं। इनमें से चार ग्रहण लग चुके हैं और 2 ग्रहण बाकी हैं। 30 नवंबर को आखिरी चंद्र ग्रहण और 14 दिसंबर को इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने वाला है।
धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही नजर से ग्रहण का बहुत ही महत्व होता है। ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जिनमें पृथ्वी, सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है, यानि जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीच में होती है तो चंद्र ग्रहण लगता है। इस स्थिति में पृथ्वी की पूरी या आंशिक छाया चंद्रमा पर पड़ती है। चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इसका कोई अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता।
यह ग्रहण दोपहर 1:05 बजे से शुरू होगा । इस दौरान ग्रहण का मध्यकाल 30 नवंबर की दोपहर 3:13 बजे होगा और शाम 5:23 बजे यह चंद्र ग्रहण समाप्त होगा। यह चंद्र ग्रहण अमेरिका के कुछ हिस्सों के साथ ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखाई देगा। इस चंद्र ग्रहण का असर भारत में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसलिए भारत में इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। वैसे भी यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। इसलिए इस ग्रहण का किसी भी राशि पर कोई अशुभ प्रभाव नहीं पड़ने वाला। इस उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान भारत में मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं होंगे और शुभ कार्य भी वर्जित नहीं होंगे। इसलिए साल के साथ ही चंद्रग्रहण को लेकर सभी लोग बिल्कुल निश्चिंत रह सकते हैं। किसी भी तरह के भ्रम में पड़ने की ज़रूरत नहीं है।
उपच्छया चंद्रग्रहण लगभग ग्रहण की श्रेणी में नहीं आता। इसमें सूतक काल नहीं होता। लेकिन चूंकि ग्रहों का गोचर निरन्तर प्रभाव डालता है इसलिये प्रत्येक राशि इस चंद्र ग्रहण से प्रभावित होंगी।
ये उपच्छया ग्रहण वृष राशि के लिए थोड़ा कष्टदायक है। मेष व मिथुन के लिए थोड़ी आर्थिक हानि रह सकती है।
कर्क व कन्या के लिए शुभ है। सिंह राशि को धन हानि व तुला के लिए व्यवसाय में संघर्ष की संभावना रहेगी।
मकर राशि के लिए शुभ वहीं कुम्भ व मीन के लिए शारीरिक रूप से कष्टदायी हो सकती है।
चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें।
गुरु मंत्र जप के साथ , विष्णुसहस्त्रनाम स्तोत्र, शिवमहिम्न स्तोत्र , नावर्णमंत्र , पंचाक्षर मंत्र जप करे ।
हनुमानबाहुक का पाठ करें। चन्द्रमा के बीज मंत्र का जप करें। महामृत्युंजय मन्त्र का जप फलदायी है। अन्न दान अवश्य करें।
रविशराय गौड़
ज्योतिर्विद
अध्यात्मचिन्तक