गौतम बुध से स्नातक और शिक्षक चुनाव में हफ्ता भर भी समय नहीं रह गया है लेकिन जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है गौतम बुध नगर में भाजपा की आपसी गुटबाजी और जातीय प्रतिद्वंद्विता भी स्थिति को साफ करते जा रहे हैं। भाजपा के सामने जहां शिक्षक वर्ग में 8 बार के विजेता ओमप्रकाश शर्मा की दावेदारी अभी तक मजबूत हैं वही भाजपा के ब्राह्मण वोटों को काटने के लिए अनूप शहर की शिक्षा मित्र अर्चना शर्मा भी नुकसान पहुंचा रही है तो ठाकुर वोटों पर निर्दलीय एके सिंह सेंध लगा रहे है। सिंह को साठा चौरासी का समर्थन मिल रहा है तो आम आदमी पार्टी ऑर भाजपा के क्षत्रिय विधायकों का अघोषित समर्थन भी कहा जा रहा है
हालांकि भाजपा में गौतम बुध नगर में ब्राह्मण लॉबी का एक बड़ा हिस्सा शिक्षक वर्ग में ब्राह्मण प्रत्याशी को तो फिर भी समर्थन कर रहा है लेकिन स्नातक सीट पर प्रत्याशी दिनेश कुमार गोयल के सामने ब्राह्मण प्रत्याशी जे के गौड़ के उतर जाने के बाद अंदर खाने ही सभी लोग ब्राह्मण का समर्थन कर रहे हैं। जिसके खिलाफ लगातार संगठन के अंदर आवाजें उठ रही हैं बीते दिनों एक मीटिंग में जिलाअध्यक्ष विजय भाटी ने ऐसे 2 लोगों को सबके सामने फोन लगाकर पूछा कि आखिर वो लोग क्या कर रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि वह हमारा रिश्तेदार है इसलिए हम पहले हम उस लड़ाएंगे
भाजपा सांसद के समर्थन में दिखने वाली इस पूरी ब्राह्मण लॉबी के एकतरफा विरोध का असर जिले में बाकी जातियों पर भी पड़ रहा है । हालत यह है कि भाजपा के नेता गौतम बुध नगर में जगह-जगह मीटिंग तो कर रहे हैं मगर वहां वोटर गायब है पार्टी फोरम तक भी यह बात पहुंच रही है इसलिए नोएडा विधायक पंकज सिंह को चुनाव की कमान दे दी गई है।
लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ भाजपा का आंतरिक विवाद और जातीय संघर्ष सांसद लेवल और उनके समर्थकों पर ही दिख रहे हैं बताया जा रहा है कि श्री चंद शर्मा एक समय में भाजपा के दादरी से विधायक पद के उम्मीदवार होने का भी दावा कर रहे थे जिसके कारण वर्तमान विधायक भी इसमें ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं। गौतम बुध नगर में स्नातक और शिक्षक चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी अभी भी बहुत सक्षम नहीं है पार्टी ने 1000 से ज्यादा बूथ अध्यक्ष तो बना दिए मगर पार्टी के बनाए कई बूथ अध्यक्ष आपसी फूट में ही एक दूसरे पर और अध्यक्षों पर आरोप लगाने में लगे रहते हैं यहां तक कि काम करने के समय वह भले ही साल भर तक निकलते दिखाई नहीं देते और अब जब एमएलसी चुनाव की बातें आ रही हैं तो वही लोग आरोप लगा रहे हैं की वोट ही नहीं बने हैं ऐसे में बड़ा सवाल यह है किस संगठन स्तर पर आपसी प्रतिस्पर्धा और विद्वेष इस पूरे चुनाव में भाजपा को बैकफुट पर ला रहा है।
गौतम बुध नगर की राजनीति को ध्यान से देखने वाले वरिष्ठ समाजसेवी और समीक्षक शैलेंद्र बरनवाल का कहना है की असल मुद्दा स्थानीय लोकल नेताओं की आपसी गुटबाजी तो है ही लेकिन इस पूरे प्रकरण में विधायक और बड़े पदाधिकारियों तक के अगर स्नातक और शिक्षक वोट नहीं बने हैं तो उसका जवाब देह कौन है ?
बताया जाता है कि खुद दादरी विधायक तेजपाल नागर जो खुद शिक्षक रहे हैं उनका स्नातक वोट नहीं है ऐसे ही भाजपा में प्रमुख पदों पर विराजमान पदाधिकारियों में भी वोटर ना होने की खबरें आ रही हैं जिसके बाद सवाल लगातार यही उठता है कि आखिर किस भरोसे पर यह लोग लगातार यह दावा कर रहे हैं की अपने दोनों प्रत्याशियों को चुनाव जीता देंगे । हालत यह है कि तमाम विवाद के बावजूद प्रतिबद्धता से लगे कार्यकर्ता लगातार अपने नेतृत्व से सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर दोनों ही प्रत्याशी गौतम बुध नगर के प्रचार में दिखाई क्यों नहीं दे रहे हैं
भाजपा पर निर्भर ना रहने की श्री चंद शर्मा की पॉलिसी भी अब स्पष्ट दिखाई दे रही है श्री चंद शर्मा भी जान रहे हैं कि गौतम बुध नगर के होने के बावजूद उनको यहां का संगठन और नेता समर्थन नहीं करेंगे इसलिए इस पूरे क्षेत्र में अभी तक जितना वोट बनवाया है वह उन्होंने खुद बनवाया है और इसीलिए वह यहां के किसी प्रचार में दिखाई भी नहीं दे रहे हैं उनका सारा ध्यान इस पूरे क्षेत्र के बाकी हिस्सों पर है।
वही गाजियाबाद के रहने वाले दिनेश गोयल भी अपना पूरा ध्यान गौतम बुध नगर की जगह गाजियाबाद मेरठ और बाकी क्षेत्रों पर लगा दिया है लेकिन ब्राह्मण लॉबी का विरोधी प्रत्याशी जेके गॉड के लिए स्पष्ट समर्थन उनको लगातार परेशान कर रहा है और यही बात भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी परेशान कर रही है कि लगातार विजयी होते उनके रथ को कहीं भाजपा की आपसी गुटबाजी और जातिवादी सोच रोक ना दे