बीते 6 महीनों में जब देश के उद्योगपति और मजदूर दोनों ही तमाम परेशानियों और हताशा से गुजर रहे हैं तब मुंबई से मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने वाले सोनू सूद एक बार फिर से उम्मीद के तौर पर उभरे हैं। मीडिया में आ रही रिपोर्ट के अनुसार सोनू सूद नोएडा के मजदूरों की उम्मीद बनकर उभर रहे हैं सोनू ने गारमेंट एसोसिएशन के प्रधान ललित ठुकराल के साथ काम करके यह वादा किया है कि वह जल्द ही 20000 मजदूरों को काम पर लगाएंगे
लेकिन नोएडा में लगभग 18000 फैक्ट्री के मालिक और उसमें काम करने वाले 10 लाख से ज्यादा मजदूर सभी लोग एक ही बात से परेशान हैं वह है लॉकडाउन के कारण औद्योगिकरण पर लगे ब्रेक के बाद किस तरीके से जिंदगी को पटरी पर लाया जाए फैक्ट्री मालिकों के पास मजदूरों को देने के लिए पैसे नहीं है और नया काम बिना पैसे दिए शुरू हो नहीं रहा है नोएडा के डीएम ऑफिस में आजकल रोजाना कई मजदूर तनखाह ना मिलने की शिकायत लेकर आते हैं और पुलिस प्रशासन से उनकी झड़प भी होती है
ऐसा नहीं है कि सिर्फ मजदूरों की ही अपनी समस्या है नोएडा में लॉकडाउन के 3 महीने से ज्यादा पूरी तरह की बंदी ने 5000 से फैक्ट्रियों के हालात बिगाड़ दिए हैं जिसमें गारमेंट्स इलेक्ट्रॉनिक सामान वाली फैक्ट्रियां मुख्य हैं फैक्ट्रियों के पास आज एक्सपोर्ट करने वाली विदेशी कस्टमरो का काम नहीं है और इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल्स बनाने वाली कंपनियों के पार्ट्स भी अब फिलहाल डिमांड में नहीं है ऐसे में पैसा ना आने और आगे की देनदारियों को लघु उद्यमी कैसे निपटाए यह भी एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है
ऐसा नहीं है कि खाली मजदूर और उद्यमी ही बहुत परेशान हैं नोएडा में इंडस्ट्रियल एरिया में बनी बिल्डिंगों के हालात भी बहुत बुरे हो गए हैं 10 में से 3 बिल्डिंग में टू लेट का बोर्ड लगना शुरू हो चुका है अप्रैल के बाद से ही कई फैक्ट्री मालिकों ने कंपनियां बंद करके बिल्डिंग खाली कर दी थी रियल एस्टेट क्षेत्र की स्थिति इस समय यह है कि लोग 50 परसेंट कम पर भी बिल्डिंग किराए पर देने को तैयार हैं मगर उसके बावजूद बिल्डिंग खाली हैं। नोएडा के प्रॉपर्टी विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि वर्क फ्रॉम होम के कल्चर ने भी रियल एस्टेट सेक्टर को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा दिया है छोटी आईटी कंपनियों,कॉल सेंटर्स सर्विस सेक्टर के कम्पनियो ने लोगों को work-from-home का काम देना शुरू कर दिया है जिसे इंडस्ट्रियल सेक्टर में बने को- ऑफिस खाली होना शुरू हो गए हैं ऐसे में यह सब दोबारा कब पटरी पर लौट आएगा इसका अंदाजा कोई नहीं लगा पा रहा है
लोगों को विधायकों सांसद की जगह सोनू सूद से क्यूं बढ़ी हुई है उम्मीद
लेकिन सोनू सूद के 20000 मजदूरों को काम पर लगाने के दावे का दूसरा पक्ष एक और भी है क्षेत्र में तीन विधायकों और एक सांसद को छोड़ मजदूरों और उद्यमियों का सोनू सूद से उम्मीद लगाना एक नए समीकरण को भी जन्म दे रहा है मध्यमवर्ग भी यह मान रहा है कि नोएडा में सांसद और विधायक उनके इस विपत्ति काल में काम नहीं आ पा रहे हैं पंजाब से बीते दिन नौकरी से हटाए गए अमिताभ सिसोदिया ( बदला हुआ नाम) कहते हैं गौतम बुध नगर में सांसद और विधायकों में आपस में सड़कों का शिलान्यास और उद्घाटन करने की ही होड़ मची है जबकि यह सब काम तो नोएडा अथॉरिटी के जिम्मे है ही लेकिन आम जनता को क्या तकलीफ है उसकी चिंता किसी जनप्रतिनिधि को नहीं है । विपक्ष को भी आड़े हाथों लेते हुए कई लोग कह रहे हैं कि शहर में अगर सत्ता पक्ष लोगों के आंसू पहुंचने में नाकाम रहा है तो विपक्ष भी सिर्फ जातीय राजनीति साधने में लगा है