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126 वर्षों बाद गणेश चतुर्थी पर बन रहा है सूर्य मंगल का दुर्लभ योग : रविशराय गौड़

22 अगस्त दिन शनिवार से देशभर में गणपति उत्सव शरू हो जाएगा,शुभ-मुहूर्त 21 अगस्त 2020 को रात्रि 11:02 बजे से प्रारंभ होकर 22 अगस्त 2020 को शाम 07:57 बजे तक रहेगा I इस बार गणेश चतुर्थी का उत्सव 22 अगस्त शनिवार के दिन मनाया जाएगा।। यह उत्सव पूरे दस दिनो तक चलेगा। बप्पा का विसर्जन ग्यारवें दिन यानि 1 सितंबर अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाएगा। लोग अपनी क्षमता के अनुसार 5, 7, या 9 दिनों में भी बप्पा का विसर्जन करते हैं। 

गणेश चतुर्थी का आरंभ 21 अगस्त की रात 11.02 बजे से हो जाएगा। 
22 अगस्त को शाम 7:57 बजे तक चतुर्थी तिथि रहेगी। 

वैसे तो पूजा के लिए सुबह का समय सही रहता है लेकिन कहा जाता है कि श्रीगणेश ने दोपहर के समय जन्म लिया था, इसलिए चतुर्थी के दिन गणेश जी का पूजन दिन के समय किया जाता है।
इस बार पूजा का समय 22 अगस्त को सुबह 10:46 मिनट से लेकर दोपहर 1:42 मिनट तक रहेगा।

इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर सूर्य सिंह राशि में और मंगल मेष राशि में रहेगा। गणेश उत्सव की शुरुआत में सूर्य-मंगल का ये योग 126 साल पहले बना था। पहली बार बालगंगाधर तिलक ने दस दिवसीय गणेश उत्सव सार्वजनिक रूप से मनाने की शुरुआत की थी। उस समय भी सूर्य अपनी सिंह राशि में और मंगल खुद की मेष राशि में स्थित था। इस बार 126 साल बाद ऐसा हो रहा है जब गणेश उत्सव पर सूर्य और मंगल अपनी-अपनी स्वामित्व वाली राशि में रहेंगे और घर-घर गणपति विराजेंगे। 1893 से पहले पेशवा और भारतीय लोग अपने-अपने घरों में ही गणेश जन्मोत्सव मनाते थे। विश्वभर में इस त्योहार की तैयारियां शुरू हो चुकी है और बाजारों में भी सुंदर-सुंदर गणेश प्रतिमा नजर आने लगी हैं।
गणपति जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन हुआ था और इस खास दिन को सनातन परंपरा के रूप में मनाया जाता है. सबसे खास बात यह है कि, 126 साल बाद चतुर्थी पर विशेष योग बन रहा है. इस बार शुभ-मुहूर्त क्या रहेगा और किस विधि से पूजा करने से सारे बिगड़े काम बनने लगेंगे. 

भारत के लिए शुभ रहेंगे गणेश उत्सव के ये योग

 इस बार गणेश उत्सव पर 4 ग्रह सूर्य सिंह राशि में, मंगल मेष में, गुरु धनु में और शनि मकर में रहेगा। ये चारों ग्रह अपनी-अपनी स्वामित्व वाली राशियों में रहेंगे। 
 इन ग्रहयोगों में गणेश उत्सव की शुरुआत समूचे भारत के लिए शुभ रहने वाली है। 
 सभी ग्रहों की अनुकूलता और स्वतंत्र भारत की राशि कर्क के लिए समय श्रेष्ठ रहेगा। गुरु धनु में होने से यह संयोग ओर भी बेहतर बनेगा। 
 व्यापार उन्नति करेगा और विश्व में भारत का वर्चस्व बढ़ेगा। प्राकृतिक आपदाओं में कमी आएगी। 
 आतंकवाद नियंत्रण में रहेगा। प्रजा के लिए भी यह समय अनुकूल रहेगा। 
गणेश चतुर्थी व्रत व पूजन विधि

1.  व्रती को चाहिए कि प्रातः स्नान करने के बाद सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें।
2.  एक कोरे कलश में जल भरकर उसके मुंह पर कोरा वस्त्र बांधकर उसके ऊपर गणेश जी को विराजमान करें।
3.  गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों या ब्राह्मणों को बाँट दें।
4.  सांयकाल के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती स्तोत्र पढ़ने के बाद अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
5.  इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।
विशेष:
1.  मान्यता है की इस दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए वरना कलंक का भागी होना पड़ता है। अगर भूल से चन्द्र दर्शन हो जाए तो इस दोष के निवारण के लिए नीचे लिखे मन्त्र का 28, 54 या 108 बार जाप करें। श्रीमद्भागवत के दसवें स्कन्द के 57वें अध्याय का पाठ करने से भी चन्द्र दर्शन का दोष समाप्त हो जाता है।
    चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र:
    सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
    सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।

चतुर्थी पर क्यों नहीं किए जाते चंद्रमा के दर्शन


प्रचलित कथाओं के अनुसार एक बार रात में गणेश जी अपने मूषक पर सवार होकर खेल रहे थे कि अचानक मूषकराज को सर्प दिखा जिसे देखकर वे भय के मारे उछल पड़े। गणेश जी उनकी पीठ पर सवार थे, उनके उछलने से वे भूमि पर जा गिरे। 

गणेश जी ने जल्दी से उठकर देखा कि कहीं कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है। परंतु क्योंकि रात का समय था इसलिए उन्हें किसी ने नहीं देखा ऐसा उन्हें प्रतीत हुआ। मगर तभी अचानक से अचानक किसी के जोर से हंसने की आवाज आई। यह आवाज किसी और की नहीं बल्कि 16 कलाओं से परिपूर्ण कहे जाने वाले चंद्रदेव की थी। 

उन्होंने बप्पा का उपहास उड़ाते हुए कहा कि छोटा सा कद, और गज का मुख। अपने बारे में ऐसा उपहास सुनकर गणेश जी को क्रोध आ गया कि गणेश जी की सहायता करने के बजाए चंद्रदेव ने उनके स्वरुप का उपहास बनाया।
 
जिसके बाद गणपति बप्पा ने क्रोध वश गणेश जी ने कहा कि जिस सुंदरता के अभिमान के कारण आप मेरा उपहास उड़ा रहे हो, आपकी वह सुंदरता नष्ट हो जाएगी। 

कथाओं के अनुसार जैसे गणेश जी ने उन्हें श्राप दिया वैसे ही उनका रंग काला पड़ गया । जिससे समस्त संसार में अंधेरा हो गया।

कहा जाता है इसके बाद सभी देवों ने गणेश जी को समझाया और चंद्रदेव ने उनसे क्षमा मांगी। तब शांत होने के बाद गणेश जी ने कहा कि “मैं  अपना  श्राप तो वापस नहीं ले सकता मगर माह में एक बार आप पूर्ण रूप से काले रहेंगे  और फिर धीर-धीरे प्रतिदिन इनका आकार बड़ा होता जाएगा। जिसके बाद आप एक बार अपने पूर्ण रुप में दिखाई देंगे।

ऐसी मान्यता है कि तभी से चंद्रमा घटता-बढ़ता है। बता दें यह दिन चतुर्थी का दिन था। साथ ही साथ गणेश जी ने ये भी कहा कि कहा कि मेरे वरदान के कारण आप दिखाई तो अवश्य देंगे, मगर इस दिन अगर कोई आपके दर्शन करेगा तो उसे अशुभ फल की प्राप्ति होगी।

2.  ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं।
3.  गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है। मतान्तर से गणेश जी की तीन परिक्रमा भी की जाती है।

गणेश चतुर्थी पूजन विधि

गणेश पूजन आपके घर में भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करने से शुरू होता है। विभिन्न व्यंजनों को भोग (भोग) के लिए पकाया जाता है। मूर्ति को शुद्ध जल से स्नान कराया जाता है और फिर फूलों से सजाया जाता है। ज्योति जलाई जाती है और फिर आरती शुरू होती है। इस समय विभिन्न भजन, और मंत्रों का जाप किया जाता है। माना जाता है कि पूरी श्रद्धा के साथ मंत्रों का जाप करने से मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा होती है। यह भी माना जाता है कि इस अवधि के दौरान, गणेश अपने भक्तों के घर जाते हैं और उनके साथ समृद्धि और सौभाग्य लाते हैं। इसी कारण से इस दिन को बहुत शुभ दिन के रूप में मनाया जाता है। गणपति यंत्र की पूजा करने से आपको जीवन में बहुत सफलता मिलेगी।

भगवान गजानन सभी जीवों पर दया करते हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को अपने घर या मोहल्ले में विराजमान कर उनकी उपासना करता है, भगवान गणेश उनके जीवन से सभी दुखों और कष्टों को हर लेते हैं। गणेश जी को विघ्नहर्ता माना गया है। वह देवताओं में प्रथम पूजनीय हैं। कहते हैं जो भी व्यक्ति भगवान गणेश का पूजन करता है उसके जीवन में शुभता का वास होने लगता है।
ऐसे व्यक्ति के घर परिवार में कभी दरिद्रता नहीं आती है। गणेश जी की कृपा से उनकी आराधना करने वाले घरों में सदा मांगलिकता रहती है। किसी भी प्रकार का दुख, परेशानी, असफलता और कठिन परिस्थितियां ऐसे परिवार में नहीं आती हैं, जो गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन करते हैं।

गणेश जी के निमित्त व्रत में श्रद्धा व विश्वास के साथ इन सरल गणेश मंत्रों का जाप करें-
ॐ गणाधिपाय नमः
ॐ उमापुत्राय नमः
ॐ विघ्ननाशनाय नमः
ॐ विनायकाय नमः
ॐ ईशपुत्राय नमः
ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
ॐ एकदन्ताय नमः
ॐ इभवक्त्राय नमः
ॐ मूषकवाहनाय नमः
ॐ कुमारगुरवे नमः

परशुराम ने तोड़ दिया था गणेशजी का एक दांत

भगवान शंकर और माता पार्वती अपने कक्ष में विश्राम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी को भी न आने दें। तभी भगवान शिव से मिलने के लिए परशुराम जी आए। लेकिन गणेश जी से भगवान शिव से मिलने से इनकार कर दिया। इस पर परशुराम जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपने फरसे से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया।

सभी राशियों को मिलेगा फायदा

सूर्य और मंगल का यह योग 126 साल बाद बन रहा है। यह योग विभिन्न राशियों के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा।
मेष राशि 
राशि से पंचम मूल त्रिकोण में सूर्य का गोचर आपके प्रभाव में वृद्धि करेगा, नई कार्य योजनाएं फलीभूत होंगी।
वृषभ राशि
राशि से चतुर्थ भाव में सूर्य का गोचर पारिवारिक कलह के कारण मानसिक अशांति पैदा कर सकता है
मिथुन राशि
राशि से पराक्रम भाव में सूर्य का गोचर आप में ऊर्जा शक्ति का भंडार भर देगा। अपनी जिद एवं आवेश पर नियंत्रण रखते हुए विवेक का सही उपयोग करेंगे तो कामयाबियों के चरम तक पहुंचेंगे।
कर्क राशि 
राशि से धनभाव में सूर्य का गोचर आर्थिक पक्ष को मजबूत करेगा किंतु कई बार अपनी ही कटु वाणी के द्वारा आप बनते हुए कार्य को भी बिगाड़ सकते हैं इसलिए भाषा का प्रयोग बहुत समझ बूझ के साथ करें।
सिंह राशि 
आपकी स्वयं की राशि में राशि स्वामी सूर्य का आना आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है किंतु यह समय आपकी परीक्षा का भी है इसलिए अपने क्रोध पर नियंत्रण रखते हुए तथा ऊर्जाशक्ति का सही दिशा में उपयोग करते हुए कार्य करें
कन्या राशि 
राशि से हानि भाव में सूर्य का गोचर मिलाजुला फल कारक सिद्ध होगा। कष्ट कारक यात्रा भी करनी पड़ सकती है तथा किसी संबंधी अथवा मित्र के द्वारा अशुभ समाचार भी मिल सकता है।
तुला राशि 
राशि से लाभ भाव में सूर्य का गोचर आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है,सभी अरिष्टों का शमन होगा। चुनाव संबंधी कोई भी निर्णय लेना चाह रहे हों तो उसमें भी सफलता मिलेगी। आय के साधन बढ़ेंगे।
धनु राशि 
राशि से भाग्यभाव में सूर्य का गोचर बेहतरीन सफलता दायक सिद्ध होगा। आपकी भाग्य उन्नति तो होगी ही आर्थिक पक्ष भी मजबूत होगा। धर्म-कर्म के मामलों में भी आगे रहेंगे।
मकर राशि 
राशि से अष्टमभाव में सूर्य का गोचर आपको प्रतापी-यशस्वी बनाएगा। किसी नए पुरस्कार अथवा कार्यक्षेत्र में बड़े सम्मान की प्राप्ति के योग किंतु आपके अपने ही लोग नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे।
कुंभ राशि 
राशि से सप्तम भाव में सूर्य का गोचर कार्य व्यापार में उन्नति तो देगा ही आय में वृद्धि भी होगी। नए अनुबंध पर हस्ताक्षर भी कर सकते हैं, किंतु दांपत्य जीवन के लिए यह संयोग अच्छा नहीं रहेगा।
मीन राशि 
राशि से छठे शत्रुभाव में सूर्य का गोचर भी आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है किंतु, अत्यधिक खर्च के कारण आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ सकता है।

मंगल मूर्ति भगवान श्री गणेश समस्त जीवो पर कृपा करें और भगवान की कृपा करुणा के साथ रिद्धि-सिद्धि लाभ शुभ आमोद प्रमोद सभी का आपके घर में मंगलमय वास हो अनंत मंगलमय शुभकामनाएं

जय श्री गणेश

रविशराय गौड़
ज्योतिर्विद

एन सी आर खबर ब्यूरो

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