कोरोना वायरस से संक्रमित दिल्ली के पत्रकार तरुण सिसोदिया की सुइसाइड मामले में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। एम्स प्रशासन की तरफ से पत्रकार तरुण सिसोदिया की मौत को लेकर बयान जारी किया गया है प्रशासन की यह यह थ्योरी भी थोड़ी अटपटी लग रही है, क्योंकि एक मरीज, जो पिछले कई दिनों से कोविड संक्रमण की वजह से आईसीयू में एडमिट है, जिसे सांस लेने में दिक्कत है, वह पहली मंजिल से चौथी मंजिल तक भाग कर पहुंच गया और हॉस्पिटल अटेंडेंट उस तक पहुंच नहीं पाया।
हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एक कमिटी बनाई है और जांच रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर देने को कहा गया है। वही दिल्ली एनसीआर के पत्रकारों ने तरुण के मामले पर दिल्ली एनसीआर के तमाम प्रेस क्लबो की चुप्पी पर पर इनको ही फर्जी बताना शुरू कर दिया
दिल्ली के पत्रकार दीपक पाण्डेय ने लिखा कि पहले भी कई बार कह चुका हूं और अब भी कह रहा हूँ.. देश मे किसी भी पत्रकार संगठन (फर्जी) की कोई आवश्यकता नहीं हैं I और जितने भी हैं सब के सब फर्जी हैं जिसका कम से कम पत्रकार के हितों से कोई मतलब नहीं है..
न्यूज़ चैनेल में काम करने वाले पत्रकार अतुल श्रीवास्तव कहते है दरअसल दिल्ली एनसीआर में तमाम ऐसे प्रेस क्लब /मीडिया क्लब खुद गये हैं जिन्होंने पत्रकारों को सदस्य बना कर उनकी लड़ाई लड़ने के दावे तो किये लेकिन उनकी नौकरी जाने पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया I इनका काम सिर्फ प्रशासन के साथ मिल कर फोटो खिचाने तक सीमित रह गया है ताकि उनसे एक जगह मिल सके और ये वहां प्रेस कांफ्रेस करवाने के नाम पर उगाही कर सके I ऐसे में किसी भी संस्थान से जब कोई पत्रकार निकाला जाता है तो ऐसे क्लब के अध्यक्ष चुप्पी मार जाते है