केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को बचाने के लिए २० लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा की है, लेकिन उत्तर प्रदेश के बिजली महकमें ने चुपके से उद्योग और व्यापारी वर्ग पर अरबों का बोझ डाल दिया है। अकेले नोएडा में ही औद्योगिक व व्यापारिक गतिविधियों पर ही फिक्स चार्ज के रूप में १०० करोड़ रुपये का बोझ डाला गया है।
एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को पत्र लिखकर फिक्स चार्ज से राहत देने की मांग उठाई है। सुरेंद्र नाहटा ने बताया कि बिजली निगम से मिली जानकारी के अनुसार जिले में ३००० मेगावाट बिजली की डिमांड होती है। जिसमें से १८८० मेगावाट कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल डिमांड है। औसत ३०० रुपये प्रति केवीए फिक्स चार्ज वसूला जाता है। इस लिहाज से अप्रैल और मई के महीने में करीब १०० करोड़ रुपया फिक्स चार्ज बिलों में जोड़ा गया है, जबकि दो महीने तक न उद्योग चले न बाजार खुले। लॉकडाउन के दौरान मार्च महीने का उद्यमियों और व्यापारियों ने अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया। इसके अलावा अन्य खर्च भी उठाए, इसके बाद भी सरकार की तरफ से कोई राहत नहीं मिली। जबकि लॉकडाउन शुरू होने के बाद से ही फिक्स चार्ज पर रोक लगाने की मांग उठाई गई थी। आय न हो पाने की वजह से उद्यमी और व्यापारी वर्ग फिक्स चार्ज देने में पूरी तरह असमर्थ है। कोरोना संकट काल में कोई राहत भरा कदम नहीं उठाया गया तो यह वर्ग पलायन को मजबूर होगा।
सुरेन्द्र नाहटा ने बताया कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा – जिला गौतमबुद्धनगर में MSME वर्ग के उद्योग अपने उत्पादन को कीमत की प्रतिस्पर्धा में विदेशी बाजार तो दूर देश के बाजारों में भी बिक्री नहीं कर पाता है कारण उत्तर प्रदेश में अन्य प्रदेशों की बनिस्पत बिजली के रेट ज्यादा है साथ ही बिजली में कटौती और गुणवत्ता सही नहीं होने से उत्पादन और पर्यावरण के प्रभाव को भी झेलना पड़ता है !
उन्होंने मांग की कि फिक्स चार्जेज और किसी भी तरह का सरचार्ज तो हमेशा की लिए हटाना चाहिए और किसी भी उद्योग या व्यापारिक प्रतिष्ठान में बिजली उपयोग का ही मीटर रीडिंग के हिसाब से बिल आना चाहिए !