ग्रहण पर्व काल-
दिनांक- 21 जून 2020, संवत् 2077 आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या दिन रविवार
स्पर्श- 10:09 मि. पूर्वान्ह (AM)
मध्य- 11:47 मि. अपरान्ह (AM)
मोक्ष- 1:36 मि. मध्यान्ह (PM)
पर्वकाल- 3:04 pm
सूतक- ग्रहण का सूतक दिनांक 20 जून 2020 को रात्रि 10:09 मि. (PM) से मान्य होगा।
ग्रहण का फल-
शुभफल- मेष, सिंह, कन्या, मकर
मध्यम फल- वृषभ, तुला, धनु, कुंभ
अशुभ फल- मिथुन, कर्क, वृश्चिक, मीन
वैदिक काल से ही यह मान्यता रही है कि सूर्य ग्रहण पृथ्वी वासियों के लिए किसी चेतावनी का संकेत है, हालांकि आज का विज्ञान इस पर पूर्ण रूप से सहमत नहीं है, लेकिन अनेक वैज्ञानिकों ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि ग्रहण के आसपास ऐसी प्राकृतिक घटनाएं अधिक घटती हैं, जिससे जीव, जंतु और मानव में भय व्याप्त होता है. इस ग्रहण की कंकणाकृति राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड के उत्तरी भाग तथा पंजाब के दक्षिणी भाग के कुछ हिस्सों में दिखाई देगी. भारत के 23 राज्यों में यह ग्रहण खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा. भारत के अतिरिक्त यह ग्रहण अफ्रीका, पूर्वी-दक्षिणी यूरोप, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया एवं मध्य-पूर्वी एशिया के समस्त देशों में दिखाई देगा.
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार दो अपशकुन घटित होंगे. पहला यह है कि ग्रहण अयन परिवर्तन के दिन घटित हो रहा है, जब सूर्य का दक्षिणायन प्रारंभ होने जा रहा है अर्थात सूर्य देव सायं कर्क राशि में प्रवेश करते ही ग्रहण योग बनाएंगे. यह घटना एक चेतावनी देने वाली है. दूसरा अपशकुन धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ है. जब सूर्य देव आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो पृथ्वी रजस्वला होती है और कामाख्या शक्तिपीठ, गुवाहाटी में तीन दिवसीय अम्बुवासी उत्सव प्रारम्भ होता है. 21 जून को रात्रि 11:28 बजे सूर्य देव ग्रहण के मोक्ष के पश्चात आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. ऐसी घटनाओं का दुर्लभ संयोग सूर्य ग्रहण के साथ बहुत कम देखने को मिलता है. यह संयोग पहले से ही कोविड-19 वैश्विक महामारी से त्रस्त मानव जाति के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता.
व्यक्तिगत तौर पर देखें तो यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र और मिथुन राशि में घटित होगा. मिथुन राशि के साथ-साथ कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए भी परेशानी वाला रह सकता है. इन राशि वालों को सावधानी बरतने की जरूरत है.
ये भी देखें-इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल 20 जून, 2020 को रात्रि में 09:55 बजे से शुरू हो जाएगा, जो ग्रहण के मोक्ष काल यानी ग्रहण पूर्ण होने तक लागू रहेगा. सूतक काल प्रारम्भ होने के बाद बच्चों, बुजुर्गों और रोगियों के अतिरिक्त अन्य को भोजन करना निषिद्ध माना जाता है. यह एक धार्मिक मान्यता है. इसके अतिरिक्त ग्रहण के समय निद्रा, नहाना, विभिन्न लैप आदि का शरीर पर प्रयोग करना, पके हुए अन्न का भक्षण, सब्जी-फल या अन्य वस्तु का काटना अथवा सेवन करना निषिद्ध है. तरल वस्तु अथवा रसदार वस्तुओं में सूतक काल के समय शुद्धता के लिए कुशा रखी जाती है.
यह सूर्य ग्रहण रविवार के दिन घटित होने के कारण चूड़ामणि संज्ञक है. शास्त्रों में चूड़ामणि ग्रहण के पुण्यकाल में स्नान, दान और जप इत्यादि का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन ग्रहण के पुण्यकाल अर्थात पूर्ण होने के बाद पवित्र तीर्थों पर जाकर स्नान करना और दान करना शुभ होता है.
21 जून, 2020 को वलयाकार सूर्यग्रहण घटित होगा। भारत के उत्तरी भाग के कुछ स्थानों राजस्थान, हरियाणा व उत्तराखंड आदि के संकीर्ण गलियारे में प्रातः ग्रहण की वलयाकार अवस्था दिखाई देगी, जबकि शेष भाग में यह आंशिक सूर्यग्रहण के रूप में दिखाई देगा।
ग्रहण के संकीर्ण वलय पथ में स्थित रहने वाले कुछ प्रमुख स्थानों में देहरादून, कुरुक्षेत्र, चमोली, जोशीमठ, सिरसा, सूरतगढ़ आदि प्रमुख हैं। वलयाकार ग्रहण की अधिकतम अवस्था के समय भारत में चंद्रमा द्वारा सूर्य का आच्छादन लगभग 98.6% होगा। आंशिक ग्रहण की अधिकतम अवस्था के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य का आच्छादन दिल्ली में लगभग 94%, गुवाहाटी में 80%, पटना में 78%, सिलचर में 75%, कोलकाता में 66%, मुम्बई में 62%, बंगलोर में 37%, चेन्नै में 34%, पोर्ट ब्लेयर में 28% आदि होगा ।
ग्रहण की आंशिक प्रावस्था भारतीय मानक समय (भामास) अनुसार 9 बजकर 16 मि. पर प्रारम्भ होगी। वलयाकार अवस्था भामास अनुसार 10 बजकर 19 मिनट पर प्रारम्भ होगी और 14 बजकर 2 मिनट पर समाप्त होगी। आंशिक प्रावस्था 15 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगी।
वलयाकार पथ कोंगो, सुडान, इथियोपिया, यमन, साउदी अरब, ओमान, पाकिस्तान सहित भारत एवं चीन के उत्तरी भागों से होकर गुजरेगा। चंद्रमा की प्रच्छाया से आंशिक ग्रहण होता है जो कि अफ्रीका (पश्चिमी तथा दक्षिणी हिस्सेको छोड़कर), दक्षिण व पूर्व यूरोप, एशिया (उत्तर एवं पूर्व रूस को छोड़कर) तथा ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी हिस्सों के क्षेत्रों में दिखाई देगा ।
सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन तब घटित होता है जब चंद्रमा पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य आ जाता है तथा ये तीनों एक ही सीध में होते हैं। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा का कोणीय व्यास सूर्य के कोणीय व्यास की अपेक्षा छोटा होता है जिसके परिणामस्वरूप चंद्रमा सूर्य को पूर्णतया ढक नहीं पाता है। ऐसे में चंद्रमा के चतुर्दिक सूर्य चक्रिका का छल्ला दिखाई देता है। ग्रहण ग्रस्त सूर्य को थोड़े समय के लिए भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। सूर्य के अधिकतम भाग को चंद्रमा ढक ले तब भी ग्रहण ग्रस्त सूर्य को न देखें अन्यथा इससे आंखों को स्थाई नुकसान हो सकता है जिससे अंधापन हो सकता है।
सूर्य ग्रहण के सूतक काल में क्या करें
सूर्य ग्रहण के सूतक काल से लेकर सूर्य ग्रहण के समाप्त होने तक अपने ईष्ट के मंत्रों का जाप करना चाहिए। यदि आप अपने ईष्ट के बारे में नहीं जानते तो किसी भी भगवान के मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
सूर्य ग्रहण का सूतक काल लगने से पहले ही अपने खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी दल अवश्य डाल लें
यदि आपके बच्चे छोटे हैं तो उन्हें सूर्य ग्रहण के सूतक काल के समय बिल्कुल भी अकेला न छोड़ें और यदि वह नवजात हैं तो आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
यदि आप गर्भवती हैं तो सूर्य ग्रहण के सूतक काल से ही आपको घर के अंदर रहना चाहिए। किसी भी प्रकार से सूर्य ग्रहण की छाया अपने गर्भ पर न पड़ने दें।
यदि आपके घर में मंदिर है तो सूर्य ग्रहण का सूतक लगने पर उसके दरवाजे बंद कर दें या फिर उस पर परदा डाल दें।
यदि आप किसी प्रकार की सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो सूर्य ग्रहण के सूतक काल से ही उस देवी या देवता की पूजा और उसके मंत्रों का जाप करें।
सूर्य ग्रहण का सूतक काल समाप्त होने के बाद अपने पीने के पानी को अवश्य बदलें यदि हो सके तो पूरे घर के ही पानी को बदल लें।
सूर्य ग्रहण का सूतक समाप्त होने के बाद अपने बच्चों को स्नान अवश्य कराएं और स्वंय भी स्नान करें।
सूर्य ग्रहण का सूतक लगने से पहले ही दान के लिए वस्तुएं निकाल लें और सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद किसी जरूरतमंद को यह दान दे दें।
सूर्य ग्रहण के सूतक काल में पहने वस्त्रों को सूर्य ग्रहण के समाप्त होने के बाद किसी निर्धन व्यक्ति को दान में दे दें यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप उन्हें किसी सुरक्षित स्थान पर फेंक दें ।
सूर्य ग्रहण के समय हर किसी को अपने इष्ट देवता को मन ही मन याद करना चाहिए और उनसे कुशल मंगल की कामना करनी चाहिए।
सूर्य ग्रहण के समय किसी भी ईश्वर के बीज मंत्र का जाप करें। इसके अलावा चालीसा पढ़ना और भजन कीर्तन करना चाहिए। इस दौरान ध्यान रखें कि सब कुछ मन मे करें। भगवान की प्रतिमा को न छूएं।
सूतक काल में स्नान करना जरूरी होता है। स्नान करने के बाद प्रभु उपासना करते रहें और जब ग्रहण खत्म हो जाए तो आप सर्वप्रथम एक बार फिर स्नान करें और तब देवताओं की मूर्तियों को गंगाजल छिड़ककर उन्हें शुद्ध करें।
सूर्य ग्रहण काल के दौरान तुलसी के पौधे को न छूएं, बलकि ग्रहण शुरू होने से पहले तुलसी के पत्तों का बचे हुए खाने में डाल दें। इससे ग्रहण का प्रभाव बचे भोजन पर नहीं पड़ता। वहीं जब ग्रहण खत्म हो जाए तो तुलसी पर भी गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर दें
ग्रहण के दौरान आप दीपक जलाकर गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें। ये जाप आपके संकटों को दूर कर देगा।
सूर्य ग्रहण के सूतक लगने के बाद से ही भोजन करना, खाना पकाना, नहाना, शौच आदि या सोने का काम नहीं करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के समय सूर्य देव की की मन में आराधना जरूर करें। ऐसा करने से सूर्यदेवता आप पर अपन कृपा बनाए रखेंगे।
सूर्य ग्रहण के समय “ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:” और “ऊँ घृणि: सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करते रहें।
सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद दान जरूर करना चाहिए। अपनी इच्छा शक्ति अनुसार जो कुछ आप जरूरत मंद को दान दे सकते हैं दें। ग्रहण काल में दान की चीजों को छू कर रख दे और ग्रहण समाप्त होने पर उसे दान कर दें। कोई घातु, गेहूं, गुड़, घी, लाल कपड़ा, लाल फूल, केशर, मूंगा, लाल गाय, लाल चंदन, तेजफल, गुलाबी पगड़ी, गुलाबी रंग के वस्त्र, खसखस, साठी के चावल, वस्त्र, लकड़ी की वस्तु आदि का दान किया जा सकता है।
याद रखें जिस जातक की कुंडली में सूर्य उच्च हो तो उससे लाल वस्तुओं का दान नही करना चाहिए। ऐसे जातक अन्न, वस्त्र, फल, पीली मिठाई आदि का दान कर सकते हैं।
ग्रहण के दौरान किए गए ये आसान से उपाय आपको कई परेशानी और विपदाओं से बचा सकते हैं।
राशियों पर कैसा है प्रभाव
इस चूड़ामणि सूर्य ग्रहण का सभी 12 चंद्र राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा।
मेष राशि वालों के लिए यह ग्रहण बहुत सकारात्मक है। मान-सम्मान की वृद्धि होगी। धन लाभ भी है। अपने व्यवहार को मीठा बनाएं। यात्रा के समय सावधान रहें और नया अनुबन्ध हस्ताक्षर करने से पहले सजग रहें। वाहन चलाते वक़्त सावधान रहें। हनुमान चालीसा व सुन्दरकांड का पाठ करें या स्कन्द षष्टी कवच का जाप करें, सुब्रमण्यम स्वामी की पूजा करें।
वृषभ राशि वालों के लिए आर्थिक समस्या आ सकती है। परिवार में वैमनस्य की स्थिति बढ़ सकती है। भोजन का विशेष ख्याल रखें। गुरु और श्री महालक्ष्मी की साधना करें। वाणी पर संयम रखें। अन्न दान करना फायदेमंद रहेगा। ललिता सहस्रनाम व देवी कवच का पाठ भी कर सकते है।
मिथुन राशि वालों को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता रहेगी। मन में संशय की स्थिति रह सकती है। जितना हो सके ध्यान, जप, साधना करें, आसन करें। किसी भी व्यक्ति पर जल्दी विश्वास न करें।
विष्णु सहस्त्रनाम, ॐ नमो नारायणा, ध्यान, क्रिया, साधना करते हैं, तो लाभ हो सकता है।
कर्क राशि भी थोड़ी सी नकारात्मकता की चपेट में आ गयी है। आर्थिंक नुकसान देखने को मिलेगा, दुर्घटना का सामना करना पड़ सकता है। नए मित्र ना बनाएं, चाहे व्यापारी मित्र हों या सामजिक मित्र। स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें। विदेश में रहने वाले लोगों के लिए ख़ास ध्यान देने की आवश्यकता है। दान करें, ख़ास तौर पर जूते दान करें या कृत्रिम पैर, तो ग्रहण का प्रभाव कम हो सकता है।
सौं सोमाय नमः जप करे
सिंह राशि सूर्य की ही राशि है। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। विदेश से कुछ धन आते हुए दिखता है। धन कमाने की लालसा इतनी नहीं बढ़े कि आप कुछ गलत निर्णय ले लें। संतुलन बनाये रखें। संतान की तरफ से काफी अच्छे समाचार मिल सकते है। मित्रों के साथ मधुर संवाद बनाये रखें। हो सके तो ऑनलाइन सत्संग में शामिल हों। अगर माँ का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता तो इस वक़्त बहुत ध्यान देने की जरूरत है। वाहन सावधानी से चलाएं।
आदित्याय नमो नमः जप करे
कन्या राशि वालों को अपने कार्य स्थल पर बहुत सजग रहना पड़ेगा। कर्म को सुधारने के लिए आप हर रोज़ विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या सुनें। कर्म योग एक बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। भगवद्गीता का दूसरा और चौथा अध्याय पढ़ें और समझें। जीवन में उतारने की कोशिश करें।
गं गणपतये नमः जप करे
तुला राशि का संबंध नव-भाव से है, जो धर्म और कानून को भी प्रस्तुत करता है। कानून तोड़ने के मार्ग पर न चलें। बिना हेलमेट के वाहन न चलाएं। माता-पिता से नियमित सम्पर्क में रहिए, उनके आशीर्वाद से ही आगे बढ़ें। धर्म-कर्म से जुड़े हुए विषय पर ज्यादा बल दें। जॉब में है तो वरिष्ठ अधिकारी के साथ संबंध बना के चलें। भावुकता में कोई निर्णय न लें। रोज पिता का आशीर्वाद ले। उनके साथ कोई विवाद न करें। गुरू की बात सुनें। उनके ज्ञान में रहे।
ॐ नमः शिवाय जप करे
वृश्चिक राशि यूं तो सूर्य की मित्र राशि है पर गतिविधि आठवें भाव में हो रही है। शरीर के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। मन बार-बार नकारात्मकता में जा सकता है। कर्म क्षेत्र में समस्या आ सकती है। शोधकार्य व ज्योतिष पढ़ने के लिए, ध्यान के लिए यह अच्छा समय है। मौन धारण करना, ध्यान, समाधि में रहना लाभदायक है। बदलाव का समय है। परिवर्तन कभी थोड़ा तकलीफ़ भी देता है। पुराने जन्मों का कर्म सामने आने वाला है। आध्यात्मिक रूप से मजबूत रहें। पेट के निचले हिस्से पर कोई परेशानी आती है,तो तुरंत चिकित्सीय सहायता लें।
गं गणपतये नमः जप करे
धनु राशि वालों के लिए ग्रहण उनके सप्तम भाग में होने वाला है,तो निश्चित रूप से हर तरह की साझेदारी में सतर्क रहें। समय बहुत अच्छा नहीं है। थोड़ा सा भ्रम स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर भी है। बड़ा बिजनेस करते हैं,तो अपने पार्टनर्स के साथ स्पष्टता से बात करें। जीवन साथी के लिए भी ऐसा ही है। उनकी जरूरतों व भावनाओं पर ध्यान दें। भजन कीर्तन करना बहुत सहायक सिद्ध होगा। दिन में दो बार ध्यान करें। माता लक्ष्मी या देवी के किसी भी स्वरूप की पूजा करना व सभी स्त्रियों को आदर करना इन दिनों विशेष महत्वपूर्ण रहेगा। इस समय सूर्य नमस्कार बहुत फायदेमंद होगा।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय जप करे
मकर राशि वालों के लिए शुभ समय है। नई नौकरी मिल सकती है। नया व्यवसाय आरंभ कर सकते हैं, किन्तु कोई ऋण न लें। पुराने वैमनस्य को दूर करने का समय है। सकारात्मक बने रहें। मकर राशि छठे स्थान में है। स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
साम्बसदाशिवाय नमः जप करे
कुम्भ राशि पंचम स्थान में है। स्वास्थ्य व परिवार के लिए समय शुभ नहीं है। बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है। मंत्र साधना के लिए उत्तम समय है। पंचम स्थान सन्तान कारक है, होने वाली सन्तान का ध्यान रखें। गुरु पूजा करें। तमोगुणी साधना न करें।
पर्वतीवल्लभाये स्वाहा जप करे
मीन राशि चतुर्थ स्थान में है। मन उदास रह सकता है। माँ के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। अप्रैल तक जायदाद न खरीदें। नया वाहन न लें। संगीत सुनें, शिव की पूजा करें। सुदर्शन क्रिया करें।
ॐ नमो नारायणाय जप करे
ग्रहण के दौरान इन मंत्रों का जप करें-
- ॐ गं गणपतये नमः
- ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा:
- ॐ ह्लीं दुं दुर्गाय: नम:
- ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ओम् स्वाहा
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ नमो नारायण
- ॐ नमों विचित्राय धर्म लेखकाय यम वाहिकाधिकारिणे म्ल्व्यूं जन्म-सम्पत्-प्रलयं कथय-कथय स्वाहा।
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र, आदित्य ह्रदय स्तोत्र ,गुरुमंत्र , नवग्रह मंत्र , इष्ट मंत्र , अन्य पंच देव स्तोत्र , चालीसा , अथर्वशीर्ष , पाठ , सनातन वैदिक धर्म मे ऋषियों द्वारा प्रदत्त शास्त्र ज्ञान से किये गए उपाय अत्यन्तलाभकारी परिणाम प्रदान करेंगे।
सर्वे भवंतु सुखिनः
रविशराय गौड़
ज्योतिर्विद
अध्यात्मचिन्तक