कोरोना से लड़ाई में बीते 50 दिनों में अनगिनत नायक दिल्ली एनसीआर में उभर कर आए। ऐसे ही नायकों की अनकही कहानियां हम एनसीआर खबर पर ला रहे है । कुछ नायक हमने चुने है कुछ की जानकारी आप देंगे ताकि हम सभी नायकों को आप तक पहुंचा सके I आज की कड़ी में हम आपको बता रहे हैं नेफोमा रसोई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली बिजनेस वुमन, आईटी प्रफ़ेशनल ,रेरा कंसिलेसन सदस्य और नेफोमा की महासचिव रश्मि पाण्डेय के बारे में
कोरोना संकट में जब लोग घर छोड़कर जाने लगे, छोटे-छोटे मजदूर परेशान हो गए । तब नोएडा में बायर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे पुरानी संस्था नेफोमा ने लोगों को सूखा राशन बांटने का कार्य आरंभ किया जिसमें रश्मि पांडे मजदूरों के घर जा जाकर उनके लिए काम कर रही थी । रश्मि पाण्डेय और उनकी टीम बिल्डर साइट और निर्माणाधीन साइट, पर बेरोजगार मज़दूरों और उनके परिवार के लोगों को भोजन उपलब्ध करा रही थी , साथ ही साथ नेफोमा टीम के साथ मिलकर बेसहारा पशुओं के भोजन की व्यवस्था भी कर रहीं थी।
रश्मि ने नेफोमा रसोई की स्थापना का विचार बनाया जहां दिन रात स्वच्छ भोजन पकाया जाता था लगभग रोज़ टीम द्वारा 1200 पैकेट वितरित किए गए । लॉकडाउन में पढ़ाई के लिए बच्चों को फल, जूस, नोटबुक और पेन वितरित किया और जरूरतमंद लोगों को कपड़े भी बाटे ।
मध्यम वर्गीय परिवार से आई और पेशे से आईटी प्रोफ़ेशनल रही रश्मि पांडेय ऑर उनके पति ने 2010 में एक मकान का सपना देखा लेकिन तब नोएडा एक्सटेंशन कहे जाने वाले इस क्षेत्र में किसानों, अथार्टी ऑर बिल्डर के झगड़े के चलते जब उनको फ्लैट मिलने में परेशानी होने लगी तब अन्नू खान ऑर 5 अन्य लोगों के साथ मिल कर 2011 में नेफोमा के नाम से एक संस्था की नींव रखी, जो हर उस व्यक्ति की आवाज़ बनी जिन के घर एक्सटेंशन में फंसे हुए थे। नेफोमा के साथ मिलकर उन सभी हज़ारों लाखों बायर्स की आवाज़ बनी, जो अपने घर मिलने की उम्मीद खो चुके थे, नेफोमा की हर संघर्ष में उस का साथ दिया, आज इस छोटे स्तर पर शुरू हुए संघर्ष को एक नए आयाम तक पहुंचाया है। बीच में कुछ लोगो ने अलग होकर उसी नाम से मिलता नाम लेकर एक ऑर संस्था भी बनाई लेकिन इससे ना रश्मि का हौसला डिगा ना ही सपने टूटे । उनका मानना है कि लोगो को असली नकली का फर्क समझ आता है
वो आज भी ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थानीय निवासियो की समस्याओं जिसमें सड़क निर्माण बिजली , पार्क एवं बिल्डरों की मनमानियों पर आवाज़ उठाना, नागरिकों की सुरक्षा, स्कूल फ़ीस माफ़ी जैसी अनेको समस्याओं पर अपनी टीम के साथ मज़बूती से खड़ी रहती है और इनका संघर्ष आज भी जारी है और जारी रहेगा
रश्मि का मानना है कि भले ही आज भी उन्हें, उनका घर ना मिला हो पर और लोगों को उनका हक दिला कर एक खुशी की अनुभूति होती है जो अपने खुद के घर ना मिलने के दर्द को थोड़ा कम कर देती है। रश्मि का बायर्स के प्रति समर्पण ऑर उनकी लड़ाई में योगदान के चलते उत्तर प्रदेश रेरा की कंसिलेसन टीम उनको स्थान भी मिला जहां वो नेफोमा टीम के साथ ख़रीदारों का प्रतिनिधित्व भी करती है।
वह लगातार हॉस्पिटल, मौत और अन्य आपातकालीन समस्याओं के मामले में सरकारीअधिकारियों और स्थानीय प्रतिनिधियो की मदद से पास बनाने पर काम कर रही है। जो लोग अपने घर जाना चाहते है उनको सरकार द्वारा दी गयी बसो में जाने की व्यवस्था भी कर रही है।
उनका मानना है कि अगर समाज सेवा के क्षेत्र में वह निरंतर प्रयत्न शील रहेंगी जिससे समाज का निरंतर विकास होता रहे।
कोरोना के संकट के बीच भी लगातार कोरोना योद्धा के रूप में डटे रही। एनसीआर खबर उन्हें कोविड के नायक सम्मान से सुशोभित कर गर्व महसूस कर रहा है