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जनता ब्लॉग : कोरोना एक प्रलय है ? सुनील सचदेव

हम सब ने बचपन से एक शब्द के बारे में सुना है और वो शब्द है “प्रलय”, अभी तक तो इस शब्द के बारे में ज्ञान केवल किताबी ही था किन्तु लगता है कि अब इस शब्द का सही मायनों में समझ आने लगा है I

सम्पूर्ण विश्व की जनसँख्या लगभग 778 करोड़ है जिसमें से लगभग 360 करोड़ लोग व्यवस्थित, अव्यवस्थित या फिर कृषि उद्योग से जुड़े हुए हैं I ऐसा अनुमान है कि यह महामारी जिसका नाम कोरोना है, इसकी वजह से सम्पूर्ण विश्व में लगभग 160 करोड़ लोगों की नौकरियां उपरोक्त उद्योगों से जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है I इस महामारी के संकट से उत्पन्न हुई स्थिति के उपरांत लगभग 200 करोड़ लोगों के लिए रोज़ का भोजन जुटा पाना भी संभवतः एक कठिन कार्य होगा I   

विमानन उद्योग, होटल व्यवसाय, विलास के लिए प्रयोग में आने वाली बसें एवं टैक्सी उद्योग, फैशन, टेलीविज़न एवं सिनेमा उद्योग, शौपिंग मॉल, रियल एस्टेट एवं अन्य अनेकों उद्योगों का  इस महामारी के कारण बुरी तरह से प्रभावित होना संभवतः कोई बड़ी बात न हो I

अनके कंपनियों ने सालाना वेतन वृद्धि के कार्यक्रमों, बोनस भुगतानों को रोक दिया है, यहाँ तक कि अनेक कर्मचारियों के वेतन की कटौती भी प्रारंभ हो गयी है जबकि इस संकट को अभी केवल लगभग 40 दिन ही हुए हैं I नई भर्तियाँ एवं उनके लिए होने वाले साक्षात्कार या तो टाल दिए गए हैं या फिर रद्द कर दिए गए हैं I जिन जिन कर्मचारियों ने त्याग पत्र दे दिए हुए हैं उन सबको लगभग हर कम्पनी से नोटिस की अवधि पूरा करने से पहले ही जाने को कहा जा रहा है I

ज़रूरी सामान जैसे भोजन एवं दवाई ही कुछ ऐसे उद्योग होंगे जो संभवतः इस महामारी के प्रकोप से अछूते रह जाएँ I

राजस्व एक ऐसा इकलौता स्त्रोत है जिससे कोई भी कम्पनी, घर या फिर देश का अर्थतंत्र चलता है और जिसकी उत्पत्ति लगभग हर ओर बंद सी हो गयी है I  सरकारों या फिर कंपनियों के पास भी अनन्त काल तक चलने के लिए राजस्व नहीं है और यदि इसी प्रकार कि स्थिति कुछ और माह तक और बनी रही तब सचमुच अनेकों लोगों के लिए जीवन बचाने का संकट खड़ा हो जायेगा और ऐसी स्थिति में अनेक लोग बैंकों को अपने अपने उद्योगों, घरों या फिर व्यापारिक ऋणों को चुकाने में असमर्थ होंगे I बैंक जो कि अर्थ तंत्र के एक मुख्य ध्वज वाहक हैं क्या उस स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं?

इस समस्या से उपन्न हुई स्थिति ही क्या किसी भी प्रकार की प्रलय से कम होगी? मुझे लगता है कि प्रलय को सही अर्थों में समझना अब कोई रहस्य नहीं रह जायेगा I

सुनील सचदेव ( जनता ब्लॉग में दिए गये विचार लेखक के अपने हैं उनसे एनसीआर खबर का सहमत होना आवश्यक नहीं है )

एन सी आर खबर ब्यूरो

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