हम कृतघ्न लोगों में से एक हैं, या कहें सबसे ज्यादा कृतघ्न हैं. खबरें आ रही हैं कि डॉक्टर्स और एयर इंडिया और बाकी एयर लाइंस के कर्मचारियों के साथ सोसाइटी वाले भेदभाव कर रहे हैं और उन्हें घर आने से रोक रहे हैं. यदि ऐसा है तो न ही हमें समाज के रूप में मिटने से कोई रोक सकता है और न ही हम इस लायक हैं कि हम इस जिंदा रह सकें.
जी हाँ, मैं बिलकुल होशोहवास में यह कह रही हूँ कि जो मेडिकल पेशेवर और एयर इंडिया और रेल कर्मचारी एवं सफाई कर्मचारी जो अपनी जान को खतरे में डालकर हमारी सेवा में लगे हुए हैं, यदि हम उनके साथ यह कर सकते हैं, तो हम स्वार्थ के अंतिम पायदान पर हैं.
इससे नीचे हम जा नहीं सकते और इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते. ट्विटर पर तमाम वीडियो तैर रहे हैं, जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों, और एयर इंडिया से जुड़े लोगों के घर पर लोग आकर कह रहे हैं कि वह सोसाइटी से चले जाएं!
उफ़, जरा सोचिये, यदि विदेशों में फंसे लोगों को अपनी नाम पर खेल कर यह लोग ला रहे हैं, डॉक्टर्स और बाकी चिकित्सा पेशेवर अपनी जान खतरे में डालकर केवल आपको बचाने के अभियान में लगे हुए हैं, और हम उनके साथ यह कर रहे हैं? हमारे सफाई कर्मी तब घर से बाहर निकल कर सड़कें साफ़ कर रहे हैं जब आप तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाकर शान से थूककर बाइक आगे बढ़ाकर निकल रहे हैं. वह अंगोछा बांधकर कह रहे हैं “मैडम, हम लोगों को तो मरे मौत भी छुट्टी नहीं है!” आप उनकी निराशा और हताशा को पढने का प्रयास करिए, कुछ नहीं कर सकते हैं तो कृपया घर पर ही रहिये. यह एक युद्ध है, इस युद्ध में यदि आप सकारात्मकता नहीं फैला सकते हैं तो कृपया अपनी तमाम तरह की नकारात्मकता खुद तक ही रखें.
जिन पुलिसवालों को आप ठुल्ला कहकर आगे बढ़ जाते हैं, जिन डॉक्टर्स को आप पैसे का मसीहा मानते हैं, जिन सफाई कर्मचारियों को आप लताड़ते हैं और जिन बैंक वालों को आप दो कौड़ी का मानते हैं, वह सब आपकी ज़िन्दगी घर पर सुगमता से चलती रहे, इस प्रयास में लगे हुए हैं. वह इस प्रयास में हैं कि आप सुरक्षित रहें.
हमारी एयर होस्टेस जो संक्रमित लोगों के साथ भी भेदभाव नहीं कर रही हैं, हमारे डॉक्टर्स जो तीन चार दिनों से घर नहीं जा रहे हैं, और हमारे सफाई कर्मचारी जो न जाने कितने किलोमीटर पैदल चलकर आ रहे हैं, उनका आदर करिए.
संकट का यह काल जल्दी ही चला जाएगा, कोई भी संकट मनुष्य की जिजीविषा से बड़ा नहीं होता, उसे हारना ही होगा, परन्तु यदि आप संकट काल के नायकों का अपमान करेंगे तो आप जीतकर भी हारेंगे! आपको घर में रहकर अपने उन नायकों की हौसलाअफजाई करनी है, न कि कृतघ्नता की एक नई परिभाषा लिखनी है.
हाथ जोड़कर अनुरोध है कि, अपने नायकों का आदर करें, यह समय बार बार नहीं आएगा, जो समाज अपने नायकों का आदर नहीं करता है वह समाज मृत होने की दिशा में पहला कदम बढ़ा चुका होता है. हम अतीत में अपने नायकों के साथ बहुत अन्याय कर चुके हैं, आज मौक़ा है अतीत की हर गलती को धोने का, आज समय है अपने नायकों के लिए गौरव गान लिखने का, और उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को पूरी दुनिया को बताने का.
बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं तो कृपया घर पर रहें, और जो गली या सड़क साफ़ कर रहा हो उसे एक पारले जी का पैकेट और चाय ही दे दें! यह भी नहीं कर सकते हैं तो यह हाल ही दूर से पूछ लीजिए, कि घर में सब कुशल तो है ही!
याद रखिये संवेदना का कोई विकल्प नहीं है, आज समय संवेदनशील होने का है, देश के हर व्यक्ति के साथ खड़े होने का है, जो भी यह नहीं करेगा वह मानवता का सबसे बड़ा शत्रु होगा!
मैं हर चिकित्साकर्मी, हर सफाई कर्मी और एयरलाइंस के हर कर्मचारी सहित हर उस व्यक्ति के प्रति अपना शीश आदर के साथ झुकाती हूँ, जो इस विकट संकट काल में अपने कार्य को कर रहा है.
नमन है आप सभी को