उत्तर प्रदेश सरकार ने महाराष्ट्र की तर्ज पर सोमवार को राजधानी लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू कर दी है. इन तमाम कवायदों के पीछे सरकार का तर्क यह है कि जिले की लॉ एंड ऑर्डर समेत तमाम प्रशासनिक अधिकार अब तैनात किए गए पुलिस कमिश्नर के पास रहेंगे
कैसे काम करेगा अब सिस्टम ?
पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के लिए सरकार ने जिले को तीन जोन और 10 सर्किल में बांटा है। प्रत्येक जोन की जिम्मेदारी एक एडिशनल डिप्टी कमिशनर के पास होगी। जोन को सर्किल में बांटा जाएगा। सर्किल का इंचार्ज सहायक आयुक्त (एसीपी) होगा। जिले में 10 आईपीएस के अलावा 28 पीपीएस अधिकारियों की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा जिले में पुलिस कर्मियों की संख्या भी बढ़ाकर दोगुनी की जा रही है। अभी तक जिले में करीब 2,000 पुलिसकर्मी हैं। जिनकी संख्या बढ़कर 4,000 से ज्यादा हो जाएगी।
क्या पीसीएस अफसरों का प्रभाव कम होने जा रहा है ?
पीसीएस अधिकारों की बातें करने वाले लोगो की चर्चाओं ऐसे में सबसे बड़ी दिक्कत पीसीएस अफसरों के सामने आने वाली है. सामान्य तौर से पीसीएस अफसरों को प्रशासनिक अमले में रीढ़ की हड्डी कहा जाता है, लेकिन नोएडा और लखनऊ में अब एडीएम और एसीएम के सारे अधिकार पुलिस के पास होंगे. जबकि 12 से ज्यादा सीनियर पीसीएस अधिकारी अचानक दोनों जिलों में लगभग शून्य अवस्था में आ जाएंगे. पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद सभी एसीएम रिलीव कर दिए जाएंगे लॉ एंड ऑर्डर के मामले में पुलिस कमिश्नर ही अब सर्वे सर्वा होगा. पुलिस को अब किसी भी प्रशासनिक अधिकारी से कोई आदेश लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
क्या कहता है कानून ?
भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी (DM) के पास पुलिस पर नियत्रंण करने के अधिकार होते हैं. दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) को कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियां प्रदान करता है. साधारण शब्दों में कहा जाए तो पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के तहत ही कार्य करते हैं, लेकिन पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो जाने से जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाते हैं यानी जिले का सर्वे सर्वा कहा जाने वाला आईएएस अब कुछ नहीं होगा. आम तौर से IPC और CRPC के सभी अधिकार जिले का DM वहां तैनात PCS अधिकारियों को दे देता है.
ऐसे में हो सकता है की कमिश्नरी जनता के लिए कानून वयवस्था को मजबूत करने में सफल हो तो प्रदेश के लिए ये वयवस्था ना सिर्फ अधकारियो पर दबाब कम होगा बल्कि सरकार को भी जबाबदेही में आसानी होगी