कश्मीर घाटी में दिनों दिन बदतर होते हालात को काबू करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को दे दी गई है। घाटी में अशांति और हिंसा फैलाने में पाकिस्तान की करतूतों पर अंकुश डालने के मकसद से प्रधानमंत्री स्तर पर दो सूत्रीय रणनीति को हरी झंडी मिल गई है।
अजीत डोभाल के नेतृत्व में एक तरफ जम्मू-कश्मीर की जमीन से भारत विरोधी किसी भी गतिविधि पर नो टॉलरेंस की पॉलिसी अपनाई जाएगी। दूसरी तरफ, पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बेनकाब करने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) और बलूचिस्तान के विदेश में रह रहे नागरिकों से संपर्क साधने का काम शुरू हो चुका है। इन सख्तियों के इतर कश्मीर के राजनीतिक समाधान के लिए आम लोगों तक पहुंचने के लिए व्यापक योजना तैयार की जा रही है।
उच्चपदस्थ सरकारी सूत्रों के मुताबिक बीते संसद सत्र में कश्मीर पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह और सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों को अमली जामा पहना दिया गया है। गौरतलब है कि राजनाथ सिंह ने चर्चा के जवाब में कहा था कि घाटी में भारत विरोधी गतिविधियों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जबकि सर्वदलीय बैठक में मोदी ने पीओके और बलूचिस्तान का मुद्दा उठाकर भारत की पाकिस्तान नीति में बड़े बदलाव का संकेत दिया था। सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय एनएसए का साथ मिलकर इन एजेंडों पर काम करेंगे।
सूत्रों ने बताया कि सीमा पार घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए नए सिरे से काफी सख्त योजना तैयार की गई है। यह काम सेना और अर्द्धसैनिक बल के सामंजस्य से होगा। इसके लिए अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में लगाए गए 75000 अर्द्धसैनिक बल के अधिकारियों और जवानों को जम्मू-कश्मीर में ही रहने का आदेश दिया गया है। उधर सेना भी आतंकी हरकतों के खिलाफ नई रणनीति पर काम कर रही है।
घाटी में हिंसा और अशांति के लिए हो रही फंडिंग रोकने के लिए आक्रामक योजना बनाई जा रही है। नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने इन मामलों की जांच के लिए बैंकिंग रूट को खंगालना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया और अफवाह फैलाने के विभिन्न तंत्र को लिए भी योजना तैयार की जा रही है। घाटी में पाकिस्तान और आईएस के झंडे लहराने जैसी हरकतों को भी नजरअंदाज नहीं किए जाने का फैसला लिया गया है।