UN में बोलीं सुषमा- पाक आतंकवाद छोड़कर करे बात
संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के चार शर्तों के जवाब में उनसे आतंकवाद छोड़कर बातचीत करने को कहा।
उन्होंने कहा कल पाकिस्तान के पीएम ने चार सूत्र की बात कही थी। मैं कहूंगी कि चार नहीं एक ही सूत्र काफी है। मैं पाकिस्तान के पीएम को कहना चाहूंगी कि आतंकवाद को छोड़िए और बात कीजिए। हम बातचीत करने को तैयार हैं। उफा में आतंकवाद पर दोनों देशों के एनएसए की बातचीत पर सहमति बनी थी, लेकिन वह बातचती आगे नहीं बढ़ी।
इससे पूर्व उन्होंने कहा इस साल संयुक्त राष्ट्र जीवन के 70 साल पूरे कर रहा है। इसलिए यह आम सभा ऐतिहासिक है। मुझे उम्मीद है कि इसके फैसले भी ऐतिहासिक होंगे। मैं आभारी हूं संयुक्त राष्ट्र की जिन्होंने महात्मा गांधी के जन्मदिवस को अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया।
जिस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यूएन का गठन किया गया था, क्या हम उसे पा सके हमें यह पूछना होगा। उन्होंने कहा मैं जब यह सवाल खुद से पूछती हूं तो कुछ का जवाब हां में कुछ में ना मिलते हैं।
विश्व के तीन महाद्वीप युद्ध की त्रासदी झेल रहे हैं, लेकिन सुरक्षा परिषद इसे रोकने में या तो अनिच्छुक है या अक्षम। आज अगर महात्मा गांधी होते तो वह यह जरूर पूछते कि क्या हमने संसाधनो का जरूरत मुताबिक इस्तेमाल किया है या लालच से किया है। समय आ गया है जब यूएन में बदलाव किए जाएं।सुषमा ने कहा संयुक्त राष्ट्र को आज तक एक लाख 80 हजार शांति सैनिक देकर भारत ने शांति के मिशन में बड़ा योगदान दिया है। यह दुख की बात है कि जो देश शांति सैनिक देते हैं, निर्णय प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने शांति सैनिकों की याद में एक दीवार बनाने की घोषणा की है, हम उसमें सहयोग देंगे। भारत पिछले 25 सालों से आतंकवाद के खतरों का सामना कर रहा है। आतंकवादी विचारधारों का विस्तार हुआ है। दुख है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रों का उचित जवाब नहीं दिया गया।
जो राष्ट्र आतंकवादियों का सुरक्षित ठिकाने देते हैं, हथियार देते हैं, अंतरराष्ट्रीय समुदायों को ऐसे समुदाय के खिलाफ खड़ा होना होगा। हम आतंकवाद की परिभाषा तय करने में उलझे हुए हैं।
आतंकवाद को अच्छे-बुरे में नहीं देखा जा सकता। 2008 में मुंबई में टेरर अटैक से समूचा विश्व आक्रोशित हुआ। इसमें विदेशी नागरिक भी मारे गए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अपमान की बात है कि इसके लिए जिम्मेदार आतंकी खुला घूम रहा है।
हमें सुरक्षा परिषद के निर्णायक तंत्र में बदलाव और अधिक विकासशील देशों को शामिल करना होगा।