जम्मू-कश्मीर में 2 माह के लिए ‘गोमांस’ बिक्री से पाबंदी हटाई गई
उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर में गोमांस की बिक्री पर प्रतिबंध लागू करने संबंधी विवादास्पद आदेश को आज दो महीने के लिये निलंबित करते हुये जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि इस मसले पर दो परस्पर विरोधी आदेशों पर फैसले के लिये तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित की जाये।
प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय की जम्मू पीठ का आठ सितंबर का आदेश दो महीने निलंबित रखा जाये। इसी आदेश के तहत उच्च न्यायालय ने रणबीर दंड संहिता के प्रावधानों के अनुरूप राज्य में गोमांस की बिक्री पर प्रतिबंध लागू करने का निर्देश दिया था। पीठ ने उच्च न्यायालय की श्रीनगर पीठ के एक आदेश का भी हवाला दिया जिसमे रणबीर दंड संहिता के इस प्रावधान में संशोधन करने की राज्य को छूट दी गयी है।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘चूंकि उच्च न्यायालय की दो पीठों ने परस्पर विरोधी राय व्यक्त की है, हम मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि वे इस मसले पर दायर याचिकाओं पर फैसले के लिये तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित करें।’’
न्यायालय ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री से कहा कि इस आदेश के बारे में उच्च न्यायालय को ‘तत्काल’ अवगत कराया जाये। न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दो याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करके फैसले के लिये गठित होने वाली वृहद पीठ के स्थान के बारे में निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र हैं।
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही उच्च न्यायालय के दो परस्पर विरोधी आदेशों की वजह से राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका का निबटारा कर दिया। राज्य सरकार का कहना था कि राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव और शांति की स्थिति को बिगाड़ने के लिये उच्च न्यायालय के इन आदेशों का ‘दुरुपयोग’ हो रहा है।
जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की जम्मू पीठ ने रणबीर दंड संहिता के तहत राज्य में गोमांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रावधान लागू करने का आदेश दिया था जबकि श्रीनगर पीठ गोवंश के पशुओं के वध पर प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रावधान निरस्त करने के लिये दायर एक अन्य याचिका पर सुनवाई के लिये सहमत हो गयी थी।
गोमांस पर प्रतिबंध लागू करने के लिये पुलिस को दिये गये इस आदेश का राज्य में जबर्दस्त विरोध हुआ और इसकी वजह से स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिये ईद के दौरान तीन दिन तक इंटरनेट सेवा बंद रही।
राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि उच्च न्यायालय की जम्मू और श्रीनगर पीठ ने परस्पर विरोधी आदेश दिये हैं जिसके राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर परिणाम हुये हैं क्योंकि इन आदेशों का इस तरह से दुरुपयोग हो रहा है जिससे प्रदेश के शांतिपूर्ण माहौल को खराब हो रहा है।
याचिका में कहा गया था कि शीर्ष अदालत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एकरूपता और तारतम्य वाली न्यायिक व्यवस्था दी जाये और राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव, भाईचारा और शांति के वर्तमान माहौल को बिगाड़ने की कोई गुंजाइश नहीं रह सके।
उच्च न्यायालय की जम्मू पीठ ने अपने आदेश में पुलिस महानिदेशक को विभिन्न पुलिस जिलों के सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों और थाना प्रभारियों को उचित निर्देश देने की हिदायत दी थी ताकि राज्य में कहीं भी गोमांस की बिक्री नहीं हो और ऐसी गतिविधियों में लिप्त रहने वालों के खिलाफ कानूनी प्रावधानों के अनुरूप सख्त कार्रवाई की जाये।
दूसरी ओर, 16 सितंबर को उच्च न्यायालय की श्रीनगर पीठ ने गोवंश के पशुओं के वध पर प्रतिबंध लगाने संबंधी रणबीर दंड संहिता का प्रावधान निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर नोटिस जारी किया था। श्रीनगर पीठ ने यह भी कहा था कि यदि सरकार इस प्रावधान को खत्म करना चाहती है तो अदालत में लंबित यह याचिका इसमे बाधक नहीं होगी।