आप की रैली में फंदा लगाकर जान देने वाले दौसा जिले के नांगल झामरवाड़ा निवासी गजेन्द्र सिंह बृहस्पतिवार को पंचतत्व में विलीन हो गया, लेकिन उसके सदमाग्रस्त परिजनों के दिलों में कई साधारण सवालों ने घर किया हुआ है।
परिजनों का कहना है कि फसल खराब होने के बावजूद गजेन्द्र के पास अपना परिवार चलाने के पर्याप्त संसाधन थे। सरकारी रिपोर्ट में भी आर्थिक तंगी के हालात नहीं पाए गए हैं।
बहरहाल, परिजनों सहित पूरे गांव में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व आप पार्टी के खिलाफ काफी गुस्सा है। उनका मानना है कि केजरीवाल अपना भाषण रोककर पार्टी कार्यकर्ताओं से गजेन्द्र को बचाने के लिए कह सकते थे।
उनका आरोप है कि आप पार्टी के कार्यकर्ताओं के उकसाने के कारण गजेन्द्र ने यह कदम उठाया। इधर, परिवारवालों का यह भी दावा है कि गजेन्द्र की लिखाई ऐसी नहीं है, जैसी सुसाइड नोट में लिखी है।राजनीतिक मुद्दा बनने के कारण सरकार अपने बचाव में मौत के कारणों को ढूंढ रही है, जबकि उसके परिजन तो केवल कुछ साधारण से जवाब चाह रहे हैं।
गजेंद्र के दादा गिरधारी सिंह और बहनोई सुरेन्द्र सिंह के अनुसार लगता है कि रैली में आप कार्यकर्ताओं ने गजेन्द्र को उकसाया होगा। पेड़ पर चढऩे में भी मद्द की। जब गजेन्द्र मरने की धमकी दे रहा था, तो आप कार्यकर्ताओं ने रोका या पेड़ से उतारा क्यों नहीं?
उन्होंने कहा कि जब रैली में ये हंगामा हो रहा था, तो केजरीवाल ने भाषण के दौरान कार्यकर्ताओं ने गजेन्द्र सिंह को पेड़ से उतारने के लिए क्यों नहीं कहा? केजरीवाल ने गम्भीरता नहीं बरती। गजेंद्र के छोटे भाई श्याम सिंह ने कहा कि सुसाइड नोट की लिखाई गजेंद्र की नहीं है।दौसा के कार्यवाहक कलक्टर कैलाश शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार गजेन्द्र व उसके परिवार में आर्थिक तंगी के हालात नहीं पाए गए हैं। उसकी फसलों को भी ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है।
सरकार को रिपोर्ट भेज दी गई है। ग्रामीणों ने बताया कि गजेन्द्र सिंह का साफे का व्यापार भी था। इधर, ग्रामीणों ने मांग की कि सरकार को गजेंद्र को शहीद का दर्जा देना चाहिए। उसने देश के करोड़ों किसानों के लिए अपनी जान कुर्बान की है।
राजस्थान के किसान नेता लोकेन्द्र सिंह कालवी ने दावा किया है कि गजेन्द्र सिंह ने दिल्ली में हाल ही में हुई कांग्रेस रैली में भी हिस्सा लिया था। गजेन्द्र सिंह ने उसी ट्रेन में दिल्ली पहुंचा था, जिसमें राजस्थान से अन्य कार्यकर्ता बैठे थे। कालवी ने कहा कि उसने रैली के दौरान भी कांग्रेस नेताओं के साफे बांधे थे।
राजस्थान सरकार के केबिनेट मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने गजेन्द्र के परिजनों के लिए चार लाख रुपए की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। इससे पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता की घोषणा की थी।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों को मुआवजा ही नहीं देना चाहती। सुबह गजेन्द्र का शव गांव में पहुंचते ही परिजन बिलख पड़े और शव यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे। शव यात्रा में गहलोत, पायलट, चतुर्वेदी, पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, नमो नारायण मीणा, राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी सहित कई नेता शामिल हुए।