स्वाइन फ्लू से ज्यादा उसकी दहशत प्रदेश में दौड़ रही है। अब तक हुई सवा सात सौ मौतों की घबराहट इस कदर भर रही है कि लोग हर सर्दी जुकाम को स्वाइन फ्लू से जोड़कर देखने लगे हैं। डाक्टर भी रिस्क नहीं लेना चाहते और अंधाधुंध एंटीबायोटिक पर्चे पर लिखा जा रहा है। यही वजह है कि पिछले 30 दिनों में ही 150 करोड़ की एंटीबायोटिक दवाएं बिक गईं।
देशभर में स्वाइन फ्लू का कहर जैसे-जैसे बढ़ रहा है लोगों में घबराहट भी भर रही है। हालांकि इस सीजन में सर्दी जुकाम बुखार आम बात है लेकिन दहशत ने इतना खौफ भरा है कि शरीर का तापमान बढ़ते ही शंका स्वाइन फ्लू की ओर बढ़ रही है। इस दहशत का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में हर माह 1000 करोड़ रुपये का दवा कारोबार होता है लेकिन जबसे स्वाइन फ्लू ने कहर बरपाना शुरू किया है यह कारोबार तेजी से बढ़ा है। इस समय एंटीबायोटिक और एंटी एलर्जी दवाओं की बिक्री सबसे ज्यादा है। मुरादाबाद मंडल में ही पिछले तीन सप्ताह में पांच करोड़ रुपये की एंटीबायोटिक दवाएं बिक चुकी हैं। सहायक आयुक्त औषधि अजय कुमार जैन ने बताया कि कोल्ड की दवाएं ज्यादा बिक रही हैं।
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट फेडरेशन यूपी के अध्यक्ष दिवाकर सिंह का कहना है कि प्रदेश में एक लाख 8 हजार ड्रग लाइसेंस हैं। जबकि 68 हजार मेडिकल स्टोरों से दवाओं की बिक्री की जा रही है। प्रदेश में एक महीने में दवाओं का टर्नओवर 1 हजार करोड़ का है। इसमें इस समय पंद्रह से सोलह फीसदी एंटीबायोटिक दवाएं बिक रही हैं। कोल्ड से जुड़ी हुईं जितनी भी दवाएं हैं उनकी बिक्री में इस महीने तेजी आई है।
होम्योपैथिक दवाओं की बिक्री भी बढ़ी
होम्योपैथिक दवाओं की बिक्री में भी काफी तेजी आई है। बिक्री में सामान्य से बीस गुना का इजाफा हुआ है। डा. आनंद प्रकाश का कहना है कि इस मौसम में कोल्ड से पीड़ित मरीज आते ही हैं लेकिन इस समय ज्यादा आ रहे हैं। होम्योपैथिक यूकेटोरियम पर्फ, जैलसीमियम, रस्टोक्स , मर्कसौल, एकोनाइट आदि दवाएं वायरल में कारगर होती हैं। स्वाइन फ्लू जानलेवा नहीं है। इससे कोई नहीं मरता है। स्वाइन फ्लू जब निमोनिया में बदल जाता है तब जानलेवा हो जाता है। निमोनिया होने पर मरीज हांफने लगता है और उसकी सांस की तकलीफ लगातार बढ़ती जाती है। ऐसे मरीजों पर ही खास ध्यान देने की जरूरत है। यह जानकारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव डा. केके अग्रवाल ने दी। वाराणसी में आईएमए सभागार में शनिवार को मीडिया से उन्होंने कहा कि इस बीमारी का कोई टीका मरीजों के लिए नहीं है और इसको लेकर हौवा खड़ा करने की कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने बताया कि फ्लू के दूसरे प्रकारों की तरह की स्वाइन फ्लू के रोगियों को भी दूसरों से तीन फीट दूर रहना चाहिए। खांसी, जुकाम और बुखार हो तो कपड़े या हाथ से मुंह न पोछें, केवल टीश्यू पेपर का ही इस्तेमाल करें। मास्क लगाने की जरूरत भी पीड़ितों को है और एन 95 जैसे महंगे मास्क के बजाय बाजार में मिलने वाले सस्ते मास्क ही लगाने की जरूरत होती है। महंगे मास्क डाक्टरों को लगाना चाहिए और टीका भी उन्हीं के लिए जरूरी है क्योंकि टीका तीन हफ्ते बाद काम करता है तब तक इस बीमारी का सीजन खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि स्वाइन फ्लू को लेकर पैनिक क्रिएट किया जा रहा है। जांच के नाम पर खुलेआम लूट हो रही है। दिल्ली में साढे़ चार हजार रुपये लिए जा रहे हैं जबकि यह जांच एक हजार रुपये से भी कम हो सकती है। आईएमए को जांच की कीमतें नियंत्रित करने और सर्दी-खांसी के मरीजों को हर अस्पताल में पंजीकरण के समय ही मास्क देने की व्यवस्था करने के लिए चिकित्सकों के प्रेरित करना चाहिए।