नई दिल्ली। अगले रविवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा आपसी बातचीत शुरू करेंगे, तब द्विपक्षीय कारोबार को नई उंचाई पर ले जाना एजेंडे में सबसे ऊपर होगा। मोदी की पिछली अमेरिका यात्रा के दौरान द्विपक्षीय कारोबार को 500 अरब डॉलर करने पर जो सहमति बनी थी, अब उस पर अमल करने के लिए दोनों नेता मजबूत रोडमैप बनाएंगे।
मोदी प्रशासन भी इसकी पक्की तैयारी कर रहा है कि ओबामा के साथ आने वाले उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाए। बराक की यात्रा के दौरान होने वाली बातचीत का एजेंडा तैयार करने में जुड़े अधिकारियों के मुताबिक भारतीय पक्ष द्विपक्षीय कारोबार को मौजूदा सौ से बढ़ाकर पांच सौ अरब डॉलर करने का रोडमैप तैयार कर रहा है।
ओबामा प्रशासन ने भी संकेत दिए हैं कि वह इस लक्ष्य को हासिल करने को लेकर अपना पक्ष तैयार कर रहा है। जब दोनों देशों के नेता आमने-सामने बैठेंगे तो इस रोडमैप को अंतिम रूप दिया जाएगा। क्योंकि द्विपक्षीय कारोबार को पांच वर्षों में पांच गुना बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप होना बेहद जरूरी है।
मोदी सरकार ओबामा और उनके प्रशासन से जुड़े लोगों और अमेरिकी कारोबारी दल के सामने ‘मेक इन इंडियाÓ कार्यक्रम को प्रचारित करने की कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। भारत-अमेरिका की कंपनियों के सीईओ दल को मोदी का खास संबोधन होगा। इसमें उन्हें मेक इन इंडिया के तहत मिलने वाले तमाम प्रोत्साहनों व अवसरों के बारे में विस्तार से बताया जाएगा।
मोदी देश में सौ स्मार्ट सिटी बसाने की योजना को भी अमेरिकी कारोबारियों के समक्ष मार्केटिंग के अंदाज में पेश करेंगे। मोदी सरकार की तरफ से दूसरे दौर के आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए किए गये हालिया उपायों का लेखा-जोखा भी इस टीम के सामने रखा जाएगा, ताकि उनका भरोसा जीता जा सके।
व्यापार का रोडमैपः
-बराक की यात्रा द्विपक्षीय व्यापार के लिए साबित होगी अहम
-भारत और अमेरिका के बीच होंगे कई आर्थिक समझौते
-मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान बनी थी इन पर सहमति
-भारतीय प्रधानमंत्री के साथ अमेरिकी सीईओ की अहम बैठक
ओबामा के मुद्देः
1. भारत का बौद्धिक संपदा कानून लचर
2. रिटेल में एफडीआइ को मिले अनुमति
3. कारोबार शुरू करने में काफी अड़चनें
4. कर व्यवस्था पर स्थिति और हो स्पष्ट
मोदी का पक्षः
1. नई सरकार के आने के बाद कारोबार के माहौल में भारी बदलाव
2. रक्षा और बीमा क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा बढ़ाई गई
3. मेक इन इंडिया देगा अमेरिका की फर्मों को बड़े अवसर
4. स्मार्ट सिटी व इंफ्रास्ट्रक्चर में योगदान करें अमेरिकी कंपनियां