नम आखों से परिजनों ने बच्चों को किया सुपुर्दे खाक

इस्लामाबाद। कफन जितना छोटा होता है, उतना ही भारी होता है। इस बात को शायद उन माता-पिता से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता जिन्हें अपने छोटे-छोटे बच्चों को नम आंखों से सुपुर्दे खाक करना पड़ा है। मंगलवार को आर्मी स्कूल पर हुए आतंकी हमले में 132 बच्चों समेत कुल 148 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है।

अपने बच्चों को खोने वाले माता-पिता चाहकर भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे हैं। कई अभिभावकों की आंखों से आंसू भी सूख गए हैं। पाकिस्तान में यह पहली मर्तबा हुई आतंकी घटना नहीं है, लेकिन मासूम बच्चों पर ऐसा कहर पहली बार टूटा है। जो मारे गए हैं, उनके परिजन बिलख रहे हैं और जो बचे हैं, वो गहरे सदमे में हैं। नवाज शरीफ की सरकार ने तीन दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। साथ ही राष्ट्रीय ध्वज को भी आधा झुकाया गया है।पूरे देश में लोगों ने जगह-जगह कैंडिल मार्च निकाले और मारे गए बच्चों की  आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

ज्यादातर बच्चों के सिर पर मारी गई गोली

आतंकियों की बेरहमी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मारे गए लोगों में ज्यादातर को पॉइंट ब्लैंक की दूरी से सीधे सिर में गोली मारी गई। खैबर पख्तूनख्वा के सूचना मंत्री मुश्ताक अहमद गनी ने बताया कि ज्यादातर बच्चों के सिर में गोली लगी है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि सैन्य अस्पताल में 17 शव लाए गए थे, जिनमें से सभी के सिर पर गोली मारी गई थी।

फांसी की सजा पर लगी रोक हटाई

पाकिस्तान सरकार ने फांसी की सजा पर लगी रोक हटाने का फैसला लिया है। पाकिस्तान में 2008 में फांसी की सजा पर रोक लगा दी गई थी। उसके बाद से सिर्फ एक व्यक्ति को फांसी दी गई है। एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान की जेलों में 8,000 से ज्यादा ऐसे कैदी हैं जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। इनमें से 10 फीसद पर आतंकवाद का आरोप है। विशेष अदालतों में आतंकवाद के करीब 17,000 मामले लंबित हैं।