सोशल मीडिया से

भूल जाइए इस बात को कि अमेरिका काफी डरा हुआ मुल्क है. वह काफी ताकतवर है और आपको डराने की ताकत रखता है.-पंकज झा

आज 9/11 है. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद अमेरिका ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और ज्यादा चुस्त-दुरुस्त बनाया तो रूस के पे-रोल पर काम करने वाले भारतीय पत्रकारों-स्तंभकारों ने ऐसा साबित करने की कोशिश की कि अमेरिका एक काफी डरा हुआ मुल्क है. कभी ‘खान’ की जामातलाशी के किस्से उछाले गए तो कभी कलाम साहब के जूते उतरवा लेने की. लेकिन हाल की अपनी यूएस यात्रा के दौरान ”मित्रोखिन आर्काइव” के दलालों का झूठ सामने आया. हमारे देश के हवाई अड्डों पर जिस तरह के ‘सुरक्षा जांच’ का ताम-झाम है वैसा वहां कुछ भी देखने को नहीं मिला. अपने शब्दों में कहें तो काफी ‘लचर’ इंतजामात थे. इतना लचर कि मेरे सहयात्री मित्र तो हैंड बैगेज में कैची तक ले कर चले आये, लॉस एंजेल्स, दक्षिण कोरिया के सियोल आदि की सुरक्षा जांच से भी उनका कैची सलामत रहा. अंततः बैंकॉक एयरपोर्ट पर वो जब्त हुआ. तो भूल जाइए इस बात को कि अमेरिका काफी डरा हुआ मुल्क है. वह काफी ताकतवर है और आपको डराने की ताकत रखता है.

हां अगर आप ‘खान’ हों तो हो सकता है आपको साबित करना पड़े कि you r not a terrorist और इतना तो हक है उस देश को कि वो अपने हिसाब से संतुष्ट हो जाय आपकी सज्ज़नता के प्रति. इमिग्रेशन के समय हमारे आगे एक अरब दंपत्ति थे, उनकी जिद्द को सलाम जिन्होंने अपने हिजाब का एक-एक इंच उतारने में अमेरिकन अधिकारी के पसीने छुडा दिया. लेकिन फिर भी तटस्थ विनम्रता के साथ अंततः उनका चेहरा देखने में कामयाब होकर रहा है कॉप. जबकि चाहता तो तो वहीं से वापस लौटा सकता था उस मुस्लिम दंपत्ति को, भले बाद में ‘खबर’ कुछ भी बनती. और केवल ‘खान’ ही नहीं, अगर आप ‘पटेल’ हों तब भी आपकी तहकीकात ज्यादे की जा सकती है, हो सकता है आपको वीजा ही न मिले जैसे हमारे यहां के तब के विधायक दीपक पटेल को वीजा नहीं मिला जबकि उनके भाई वहां सेटल हैं. क्यूंकि उन्हें इस बात के प्रति आश्वस्त होना होता है कि आप अमेरिका में जा कर बस तो नहीं जायेंगे. बस इतनी सी बात है और अपनी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होना हर देश का मौलिक अधिकार है, हमें उसका सम्मान करना होगा.

तो वाम-पोषित बिचौलियों के झांसे में आने की कोई ज़रूरत नहीं है. उन्हें दुष्प्रचार कर अपना घर चलाने दीजिए लेकिन अमेरिका को उसके सही सन्दर्भों में समझने की कोशिश करें हम और आप. हज़ारों किलोमीटर की सड़क मार्ग से वहां की यात्रा के दौरान आपको एक पुलिसवाला नहीं दिखेगा लेकिन कोई छोटा सा क्राइम भी हो जाय तो पलक झपकते आपको पिलिस्वालों की फौज दिख जायेगी. उस ‘डरे हुए मुल्क’ से हमें यह सब सीखना होगा. ऐसा बिलकुल नहीं है कि उनके यहां कोई कमियां नहीं हैं, या वे लोग दूध के धुले हैं लेकिन इतना तय मानिए कि कुलदीप नय्यरों ने आपसे सफ़ेद झूठ बोला है कि अमेरिका एक डरा हुआ मुल्क है. उसे अपना दर्द भी बखूबी सम्हालने आता है, ज़रा देख आइये आज न्यूयार्क का वह ग्राउंड जीरो.

Related Articles

Back to top button