यूपी को बड़ा झटका, बंद हो गए तीन पॉवर प्लांट!

बिजलीघरों को जरूरत भर कोयले की आपूर्ति न होने से सूबे में बिजली संकट दिनोंदिन गहराता जा रहा है। कोयले की कमी के चलते मंगलवार सुबह निजी क्षेत्र के अनपरा ‘सी’ बिजलीघर की 600 मेगावाट क्षमता की एक इकाई बंद हो गई।

पारीछा में 110 मेगावाट और पनकी में 32 मेगावाट क्षमता की इकाई भी बंद हो गई है। परीछा की 250-250 मेगावाट क्षमता की इकाइयों को नाम मात्र लोड पर चलाया जा रहा है।

राज्य के बिजलीघरों का उत्पादन घटकर 2100 मेगावाट के आसपास रह गया है। उधर, केंद्रीय बिजलीघरों की भी कई इकाइयां बंद होने से केंद्र से प्रदेश को 3800-4400 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है जबकि कोटा 6600 मेगावाट से ज्यादा है। मांग के मुकाबले उपलब्धता काफी कम होने से गांवों से लेकर शहरों तक अतिरिक्त आपात कटौती बढ़ सकती है।

जैसी कि आशंका थी, पारीछा बिजलीघर में जरूरत भर कोयला नहीं पहुंचा। नतीजतन उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बीती रात दो रैक यानी करीब 7000 मीट्रिक टन कोयला पहुंचा जबकि रोजाना की जरूरत पांच रैक से ज्यादा की होती है।

इकाइयों के पूरी तरह बंद हो जाने से दोबारा चालू करने में वक्त लगता है इसलिए सीमित कोयले का इस्तेमाल करके काफी कम लोड पर चलाया जा रहा है।

250 मेगावाट क्षमता की इकाइयां 50-60 मेगावाट के लोड पर चलाई जा रही हैं। 210 मेगावाट क्षमता की एक इकाई पहले से बंद है जबकि 110 मेगावाट क्षमता की इकाई आज बंद हो गई।

पनकी की भी एक इकाई बंद हुई है जबकि सबसे बड़ा झटका अनपरा ‘सी’ की 600 मेगावाट क्षमता की इकाई के बंद होने से लगा है।

राज्य सरकार ने केंद्र से प्रदेश के सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बिजलीघरों को पर्याप्त कोयले की आपूर्ति कराने का अनुरोध किया है।

प्रदेश के निर्धारित बिजली कोटे में बढ़ोतरी के साथ ही सूबे में दो नए परमाणु उर्जा संयंत्र व अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट लगाने तथा नई परियोजनाओं को जल्द से जल्द पर्यावरणीय मंजूरी दिलाने व कोल लिंकेज की व्यवस्था करने की मांग भी केंद्र सरकार से की गई है।

नई दिल्ली में मंगलवार को राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र बाजपेई ने ये मांगे रखीं।

उन्होंने कहा कि बीते तीन माह में प्रदेश के सभी बिजलीघरों को आवश्यकतानुसार कोयले की आपूर्ति न होने से उत्पादन पर असर पड़ा है।

कोयले की कमी के कारण एनटीपीसी की इकाइयां भी ठप हो गई हैं तथा कुछ इकाइयां क्षमता से काफी कम उत्पादन कर रही हैं। इससे गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है और इसका सीधा असर राज्य के विकास पर पड़ रहा है।