गंगा में जल परिवहन के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को हकीकत में बदलने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। बहुप्रतीक्षित इलाहाबाद-हल्दिया जलमार्ग योजना के लिए विश्व बैंक से 42 सौ करोड़ रुपये स्वीकृत होने के बाद इससे जुड़ी उम्मीदों को पंख लग गए हैं।
जल परिवहन के लिए जल्द ही गंगा में ड्रेजिंग कराने पर सहमति बन सकती है। साथ ही, जलस्तर मेंटेन रखने के लिए इलाहाबाद से हल्दिया के बीच कुछ स्थानों पर बांधों का निर्माण कराने पर भी विचार चल रहा है।
जल परिवहन शुरू कराने से पहले जगह-जगह टर्मिनल बनाकर उन्हें रेल और सड़क मार्ग से जोड़ने की भी तैयारी है। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘जल मार्ग विकास’ के अंतर्गत इलाहाबाद-हल्दिया मार्ग को विकसित किया जा रहा है।
गौरतलब है कि गंगा में जल परिवहन की संभावना को अमली जामा पहनाने की दिशा में प्रधानमंत्री कार्यालय ने जहाजरानी मंत्रालय को विशेष जिम्मेदारी सौंपी है। इसी के तहत मंत्रालय से जुड़ी संस्था नेशनल इनलैंड नेविगेशन इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ हल्दिया से इलाहाबाद के बीच जल मार्ग का विस्तृत सर्वे कर चुके हैं।
इंस्टीट्यूट के निदेशक कैप्टन इंद्रवीर सोलंकी ने बताया कि जल मार्ग में बीच-बीच में टर्मिनल बनाकर उसे रेल व सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा। इससे माल की ढुलाई आसान बनेगी। यही नहीं जलमार्ग में बीच-बीच में जेट्टी व बड़े-बड़े गोदाम बनाने की भी योजना है। घाटों पर यात्री सुविधाओं से युक्त स्टेशन भी बनाए जाएंगे।
नदी में ड्रेजिंग का काम भी होना है। बड़े शहरों से जल के रास्ते माल ढुलाई व पर्यटन की संभावना तलाशने के दृष्टिकोण से बड़े शहरों में प्रोजेक्ट से जुड़े लोग बैठक भी कर रहे हैं। इसको लेकर वाराणसी में भी बैठक 12 सितंबर को होनी है।
इसमें कार्गो व पर्यटन को लेकर चर्चा होगी। इस योजना से वाराणसी के साथ-साथ चंदौली, गाजीपुर, बलिया व मिर्जापुर के विकास की संभावना बलवती होगी। यहां व्यापार के साथ-साथ पर्यटन के द्वार भी खुलेंगे।