बेंगलूर। आगामी 24 सितंबर को भारतीय मंगलयान के लाल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने से पहले इसरो सोमवार को अहम ‘चौथे पथ संशोधन कार्य’ व अंतरिक्ष यान के प्रमुख लिक्विड इंजन के प्रायोगिक परीक्षण में सफल हो गया। करीब ढाई बजे दोपहर इसका इंजन शुरू किया गया। इसरो ने ट्विटर के जरिए इस सफलता की जानकारी दी।
440 न्यूटन लिक्विड अपोजी मोटर (एलएएम) इंजन पिछले 300 दिनों से सुप्तावस्था (आइडल मोड) में था। इसका परीक्षण तकरीबन ढाई बजे लगभग चार सेकेंड के लिए किया गया। इस परीक्षण की सफलता से मंगलयान के मंगल की कक्षा में प्रवेश को लेकर इसरो के वैज्ञानिकों का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है। इसरो के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि हम चौथे पथ संशोधन कार्य और प्रमुख लिक्विड इंजन के परीक्षण के लिए पूरी तरह तैयार थे।
उन्होंने कहा कि एलएएम इंजन का प्रायोगिक परीक्षण एक इम्तिहान की तरह था। इसे 24 सितंबर को मंगल की कक्षा में प्रवेश के लिए लंबी अवधि के लिए सक्रिय किया गया है।’
इंजन का प्रायोगिक परीक्षण लगभग 0.567 किग्रा ईधन की खपत के साथ 3.968 सेकेंड के लिए 2.142 मीटर प्रति सेकेंड की गति से किया गया।
इसरो ने कहा कि यदि आज परीक्षण में कोई समस्या आती तो वह अपने प्लान बी के साथ तैयार थे। इसके तहत आठ प्रक्षेपकों को लंबी अवधि के लिए छोड़ा जाजा, जो संभवत: ज्यादा ईधन की खपत करते और यान को मंगल की कक्षा में प्रवेश कराने की कोशिश करते।
मंगल अभियान भारत का पहला अंतरग्रही अभियान है। इसे 5 नवंबर 2013 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से धु्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) सी-25 की मदद से प्रक्षेपित किया गया था। सोमवार को यह मंगल के प्रभावक्षेत्र में प्रवेश करने वाला है।
नासा का यान भी मंगल के करीब पहुंचा:
नासा का अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह की परिक्रमा के लिए तैयार है। यह यान मंगल ग्रह के ऊपरी वातावरण का अध्ययन करने और समय के साथ इसकी जलवायु के बदलने के कारणों का पता लगाएगा।
18 नवंबर 2013 को लांच मार्स एट्मास्फेयर एंड वोलाटाइल इवोल्यूशन (मावेन) नाम का यह अंतरिक्ष यान अपने अंतिम चरण में है। भारतीय समयानुसार यह यान सोमवार की सुबह सात बजे से पृथ्वी के पड़ोसी ग्रह के चक्कर लगाना शुरू कर देगा। यह यान मनुष्यों को मंगल ग्रह तक पहुंचने के लिए मार्ग प्रशस्त करने में सहायक होगा। वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि शायद 2030 तक मनुष्य मंगल पर पहुंच सके।
पिछले साल अपनी यात्रा शुरू करने के बाद से यह मानव-रहित अंतरिक्ष यान मावेन 71.1 करोड़ किलोमीटर की यात्रा तय कर चुका है। मंगल की परिक्रमा शुरू करने के बाद मावेन छह हफ्तों के परीक्षण के चरण में पहुंच जाएगा। इस चरण के पूरा होने के बाद यह मंगल के ऊपरी वातावरण की गैसों के अध्ययन के एक साल के अभियान में जुटेगा। इस दौरान यह मंगल की सतह से 3,730 मील की दूरी पर रहेगा। हालांकि मंगल के वातावरण के विभिन्न स्तरों की जांच के लिए यह पांच बार मंगल की सतह की ओर गोता लगाएगा। इन गोतों के दौरान इसकी दूरी मंगल की सतह से मात्र 78 मील के लगभग रहेगी।
20 हजार डॉलर का मार्स चैलेंज:
अंतरिक्ष के अध्ययन के प्रति रुचि रखने वालों के लिए शानदार मौका है। नासा ने ऐसे छोटे अंतरिक्ष उपकरणों के डिजाइन आइडिया के लिए 20 हजार डॉलर के पुरस्कार की घोषणा की है जिसका वजन मंगल के वातावरण में प्रवेश कर रहे यान के संतुलन के अनुकूल हो।
नासा के वरिष्ठ तकनीकविद् डेविड मिलर ने कहा कि नासा लोगों और खासकर निर्माण से जुड़े लोगों को विभिन्न अभियानों के जरिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है।