इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि पार्टी प्रत्याशियों के चेहरे भी बदले हैं और चुनावी चौसर के मोहरे भी। इस सीट पर कद्दावर मंत्रियों की पूरी ताकत झोंकने वाली सपा हर हाल में जीत चाहती है। और, सत्तारूढ़ पार्टी की यही जिद मोदी लहर पर सवार भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन रही है। इस बीच कांग्रेस भी है, जिसके पास खोने को कुछ भी नहीं है।
लोकसभा चुनावों के मेगा शो के बाद उपचुनावों में भी भाजपा बाजी मारने के लिए कसर नहीं छोड़ रही है। लेकिन, यही हाल सपा का भी है। सपा की कोशिश है कि नोएडा सीट जीतकर वह यह संदेश दे कि जनता अभी उसके साथ है और साथ ही यह भी कि मोदी लहर अब ठंडी पड़ गई है।
सपा ने साफ छवि वाली काजल शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। साथ ही कैबिनेट मंत्री नारद राय के हाथ में चुनाव की कमान सौंपी है। सहयोगियों के रूप में साथी मंत्री हैं, पूर्व सांसद सुरेंद्र नागर हैं और विधायक गुड्डू पंडित व मुकेश शर्मा भी टीम में हैं। लेकिन, चुनावी फैसलों में नारद राय का वजन सबसे ज्यादा है।