दिल्ली के उप-राज्यपाल नजीब जंग द्वारा प्रदेश में सरकार बनाने के संबंध में राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र के बाद इस बात की चर्चा जोरों पर है आखिर बीजेपी अपना बहुमत कैसे साबित करेगी।
दिल्ली विधान सभा में फिलहाल 70 विधायक हैं। बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 35 विधायकों का समर्थन चाहिए। जबकि फिलहाल उनके पास 32 विधायक ही हैं।
उधर भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय का कहना है कि वह अपने विधायकों की संख्या 28 मानकर चल रहे हैं।
असल में गत लोकसभा चुनाव में दिल्ली के तीन विधायक सांसद चुन लिए गए हैं। हालांकि अभी भी इन तीनों ने विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है। इसके अलावा शिरोमणी अकाली दल के एक विधायक भी बीजेपी के साथ हैं।
ऐसे में बीजेपी के पास कुल विधायकों की संख्या 29 ही होती है। इस नंबर के साथ सरकार बनने की संभावना न के बराबर है।
आम आदमी पार्टी के पास 27 विधायक हैं। बीजेपी को अगर इनका समर्थन चाहिए तो कम से कम 18 विधायकों को तोड़ना होगा। इससे कम विधायकों का दूसरी पार्टी में जाना दल-बदल कानून के खिलाफ होगा।
ठीक ऐसी ही स्थिती कांग्रेस के विधायकों के साथ भी है। उनके कुल 8 विधायक हैं और एंटी डिफेक्शन लॉ से बचने के लिए कम से कम 6 विधायकों को बीजेपी को अपने पक्ष में करना होगा।
ये दोनों ही संभावनाएं बहुत धुमिल दिखाई देती हैं। ऐसे में अब एक ही रास्ता है जो दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनवा सकता है। यह रास्ता है संसद द्वारा दिल्ली के उप राज्यपाल को दिया गया विशेषाधिकार।
एनसीटी एक्ट की धारा 9(2) के तहत उपराज्यपाल विधान सभा की विशेष बैठक बुला सकते हैं। इस बैठक में वह विधायकों को गुप्त मतदान के द्वारा सदन को अपना नेता चुनने को कह सकते हैं।
गौरतलब है कि किसी राजनीतिक पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता विधायक पार्टी द्वारा जारी व्हिप के विरोध में मतदान नहीं कर सकता। ऐसा करने पर वह एंटी डिफेक्शन लॉ का उल्लंघन करता है और उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है।