कल वीर अब्दुल हमीद का शहीदी दिवस था, लेकिन मुझे किसी भी मुस्लिम या शेखुलर हिन्दू मित्र की वाल पर उनको श्रद्धांजली देने वाली पोस्ट नहीं दिखी . हमारे जैसे लोगों ने जो श्रद्धांजली की पोस्ट डाली थीं उनका कोई लाईक, कमेन्ट या शेयर तक देखने को नहीं मिला.
क्या मुस्लिम जनता, देशभक्त मुसलमानों को पसंद नही करती है? आतंकवादियों के मारे जाने पर जितना हल्ला मचाते हैं और देशभक्त मुसलमानों को जिस तरह से भूल जाते हैं उसको देखकर तो कुछ ऐसा ही लगता है, वरना उनके सम्मान में कम से कम दो शब्द अवश्य लिखते.
जब कभी मुस्लिम आतंकियों और दंगाइयों का सवाल उठाता है तब जरुर अपने बचाव के लिए “अब्दुल कलाम”, “वीर अब्दुल हमीद” और “अशफाक उल्ला खां” का नाम लेते दिखाई दे जाते हैं.
नवीन वर्मा