ऐसे जिंदगी बिता रहा दिल्ली गैंगरेप का नाबालिग दोषी

20 महीने पहले एक नाबालिग लड़का अपने पांच बालिग साथिओं के साथ दिल दहलाने वाले गैंगरेप मामले में दोषी साबित किया गया।

दिल्ली गैंगरेप की इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। महिला सुरक्षा को लेकर सरकार को अपनी नियती ही नहीं नीति में भी बदलाव करना पड़ा। क्या आप जानते हैं कि वह नाबालिग लड़का अब क्या करता है?

दोषी साबित होने के बाद इस लड़के को तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया गया। आजकल वह अपने कमरे में पेंटिंग करते हुए अपना समय बिताता है।

अपनी सबसे नई पेटिंग को उसने नाम दिया है ‘द प्रिंसेस’। इस पेटिंग में एक युवा लड़की पीली साड़ी में खुद को एक खूबसूरत दर्पण में निहार रही है।

उसने और भी पेंटिंग बनाई हैं जिसका विषय भी महिलाएं हैं। उसकी एक कृति में कई महिलाएं सामूहिक नृत्य करती हुई देखी जा सकती हैं। इन सभी महिलाओं ने साड़ी पहन रखी है। उसने और भी कई पेंटिंग बनाई हैं जिसमें ऊंट, चिड़ियों और उनके घोसलों को देखा जा सकता है। उसकी सारी रचनाओं को आर्ट रूम की क्लास में टांगा गया है।

इतना ही नहीं इसी महीने उसकी एक पेंटिंग ने पुरस्कार भी जीता है। जुवेनाइल करेक्‍शन होम के सुपरिटेंडेंट राजीव लाकरा का कहना है कि पुरस्कार लेने के लिए वह बेहद उत्साहित है। अगर उसके व्यवहार में बदलाव आता है तो बाहर की दुनिया जरूर उसे स्वीकार करेगी। हम इसी उम्मीद से काम कर रहे हैं।

कला को नाबालिग अपराधियों की मनःस्थिती बदलने का महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। हालांकि वह कुकिंग क्लास भी करता है। इसके अलावा सिलाई-कढ़ाई के काम के साथ वह गणित और सदाचार के क्लासेज में भी भाग लेता है। उसे वॉलिबॉल खेलना पसंद है।

उसकी देखभाल करने वाली मनोचिकित्सक सुची गोयल का कहना है कि उसमें अब गुस्से का कोई अंश मौजूद नहीं है। वह पूरी कोशिश कर रहा कि लोगा उसे स्वीकार करें।

इस सच्चाई से अलग बाहर की दुनिया में उसकी तस्वीर कुछ और ही है। माना जाता है कि 16 दिसंबर 2012 की रात हुई उस घटना में जिन छह लोगों ने लड़की के साथ घृणित काम किया उसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी इस नाबालिगा की ही थी।

यही कारण है कि लोगों ने यह मांग की कि उसे किसी नाबालिग की तरह नहीं बल्कि एक अपराधी की तरह देखा जाना चाहिए। भारतीय कानून के मु‌ताबिक किसी नाबालिग अपराधी को ‌अधिक से ‌अधिक तीन साल की सजा दी जा सकती है।