सहारनपुर दंगे की रिपोर्ट पर मचा राजनीतिक घमासान
सहारनपुर दंगों पर उत्तर प्रदेश सरकार की रिपोर्ट पर राजनीतिक घमासान मच गया है। बसपा ने जहां इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए दंगे के लिए भाजपा और सपा की दोस्ती को जिम्मेदारी ठहराया है, वहीं कांग्रेस ने कहा है कि केंद्र में नई सरकार के आने के साथ ही देश के सांप्रदायिक तानेबाने को जानबूझ कर कमजोर किया जा रहा है। भाजपा ने इस रिपोर्ट को दंगों के अपराधी की जज बनने की कोशिश करार दिया है।
सहारनपुर दंगे की जांच के लिए सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व में एक दल गठित किया था।
इस दल ने अपनी रिपोर्ट में दंगे के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और नाकामी के अलावा कांग्रेस से जुड़े रहे स्थानीय नेता मुहर्रम अली पप्पू और भाजपा सांसद राघव लखन पाल को जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट में इन नेताओं पर लोगों को भड़काने का आरोप है।
पार्टी महासचिव नरेश अग्रवाल ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें साफ है कि दंगों में भाजपा सांसद का हाथ था। इसलिए हम कह सकते हैं कि सहारनपुर घटना में भाजपा का हाथ था।’
केंद्रीय गृह मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे पर कहा, ‘यह उनकी अपनी पार्टी की रिपोर्ट है। मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है और मैंने अभी रिपोर्ट देखी भी नहीं हैं।’
बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि सूबे में सपा और भाजपा की मिलीभगत से दंगे हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार आते ही यह राज्य सांप्रदायिक दंगों के मामले में देश के सभी राज्यों से आगे हो गया है। इसके बाद केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद देश भर में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।
कांग्रेस ने भाजपा पर देश भर का सांप्रदायिक माहौल खराब करने का आरोप लगाया। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि बड़े-बड़े वादे कर सत्ता में आई भाजपा अब लोगों का ध्यान हटाने के लिए ऐसे हथकंडों का सहारा ले रही है। उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन के बाद तीन महीने से भी कम समय में देश भर में हुए 600 सांप्रदायिक दंगे इसके गवाह हैं। हालांकि पार्टी ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी सतर्कता बरतने की नसीहत दी।