पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर बनी पंजाबी फिल्म ‘कौम दे हीरे’ की रिलीज पर रोक लगा दी गई है। यह फिल्म शुक्रवार को रिलीज होनी थी।
गृह मंत्रालय ने फिल्म की सामग्री पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि इस फिल्म से पंजाब व उत्तरी राज्यों में सांप्रदायिक माहौल बिगड़ सकता है। इसी के चलते गृह मंत्रालय ने सूचना व प्रसारण मंत्रालय को फिल्म को मिली क्लीयरेंस पर फिर से विचार करने को कहा था।
गृह मंत्रालय का मानना है कि फिल्म की कुछ सामग्री तो बहुत ही ज्यादा आपत्तिजनक है और इससे समुदायों के बीच बैर पैदा हो सकता है। इस वजह से सांप्रदायिक दंगे भड़कने की भी आशंका है।
माना जा रहा है कि यह फिल्म इंदिरा गांधी के हत्यारों बेअंत सिंह, सतवंत सिंह और केहर सिंह के कृत्य को महिमामंडित किया है। ऐसी भी खबरें हैं कि हाल ही में रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार सेंसर बोर्ड के सीईओ राकेश कुमार ने एक लाख रुपये लेकर इस फिल्म को क्लीन चिट दी थी।
जबकि फिल्म के निर्माताओं ने सफाई दी है कि उन्होंने फिल्म को सेंसर बोर्ड से पास करवाने के लिए कोई रिश्वत नहीं दी। पंजाब की भाजपा और कांग्रेस यूनिट ने इस विवादित फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की थी।
फिल्म के प्रोड्यूसर प्रदीप बंसल का तर्क है कि फिल्म सच्ची घटनाओं और जस्टिस ठक्कर आयोग की जांच पर आधारित है। उनका कहना है, ‘यह पूरी तरह से एक संतुलित फिल्म है, जिसमें किसी भी धर्म या समुदाय को ठेस नहीं पहुंचाई है।
कुछ लोग फिल्म को बिना देखे ही बेवजह विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।’ एक अन्य प्रोड्यूसर सतीश कत्याल ने फिल्म की रोक की मांग करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी बात कही है।
सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट के साथ पास किया था और यह शुक्रवार को उत्तर भारत के करीब 100 सिनेमा घरों में रिलीज होनी थी। इंदिरा गांधी को 31 अक्तूबर, 1984 को उन्हीं के दो सिख बॉडीगार्ड ने गोली मार दी थी।