ताज्जुब है. चारों तरफ खामोशी है. जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो.
ताज्जुब है. चारों तरफ खामोशी है. जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो. कमाल की धर्मनिरपेक्षता है. गाजा में हुआ होता तो खबर बनती. सबका खून उबाल मारता. लेकिन मेरठ गाजा नहीं है. और जहां बलात्कार हुआ है वह मंदिर भी नहीं है. और जिसका बलात्कार हुआ और धर्म परिवर्तन कराया गया… वह मुसलमान नहीं है. इसलिए खबर नहीं है. कुछ साथी कह रहे हैं कि इस पर तीखी प्रतिक्रिया नहीं होनी चाहिए. यकीनन नहीं होनी चाहिए. लेकिन म्यांमार में और गाजा में और स्पेन में जो होता है उस पर यहां तीखी प्रतिक्रिया क्यों होती है?
इस्लाम को विक्टिम के तौर पर पेश क्यों किया जाता है? ऐसे मुल्क में जहां पहले से ही धार्मिक कट्टरता चरम पर हो, वहां दुनिया के दो मुल्कों के बीच की लड़ाई को धर्म विशेष से जोड़ कर पेश किया जाना और लहुलूहान जिस्म को प्रदर्शित करना कहां तक जायज है? और अगर वह सब जायज है तो मेरठ कांड पर तीखी प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी जानी चाहिए? सलमान रुश्दी ठीक कहता है… इस्लाम के दिल में कुछ खोट है. अब इस खोट को दिल से बाहर निकालने की जिम्मेदारी तो इस्लाम के रहनुमाओं को ही उठानी पड़ेगी, वरना टकराव तो होगा ही.
एनडीटीवी समेत कई चैनलों-अखबारों में काम कर चुके पत्रकार समरेंद्र सिंह के फेसबुक वॉल से
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Sushant Jha सेक्यूलरिज्म के मौजूदा कथित मॉडेल को मैं खारिज करता हूं।
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Ramesh Mishra मैं आपकी बातों से सहमत हूँ..
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Chandra Prakash लोग जब कहते हैं कि बलात्कारी या किसी अपराधी का कोई धर्म नहीं होता। तो सुनकर अच्छा लगता है कि हम एक सभ्य और समझदार समाज का हिस्सा हैं। लेकिन अगले ही पल वो लोग कहते हैं कि इस बारे में बात मत करो… क्योंकि ये आग में घी का काम करेगा।
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Darain Shahidi “जहां बलात्कार हुआ है वह मंदिर भी नहीं है. और जिसका बलात्कार हुआ और धर्म परिवर्तन कराया गया… वह मुसलमान नहीं है. इसलिए खबर नहीं है. ” ये तुमने पूरे होशो हवास में लिखा है समर ?
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Samarendra Singh यकीनन सर. मैं जो भी लिखता हूं वो पूरे होश में लिखता हूं. मैं यह जानता हूं कि लिखे हुए से मुकरना मुमकिन नहीं है.